Friday, September 26, 2014

ज्योतिष : कुंडली से जाने :दुर्घटना का पूर्व अनुमान :दुर्घटनाओं की भविष्यवाणी :Astrology :Can anyone predict accidents through astrology?

यदि कुंडली से जाने :  ज्योतिष से जातक के जीवन में होने वाली  घटना के समय को जाना जा सकता है।  
ज्योतिषीय नियम हैं जो घटना के समय बताने  में सहायक होते हैं ?
घटना के समय को जानने के लिए -
लग्न और लग्नेश को देखा  जाता  है।
घटनाओं का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन  है ।
भाव का कारक ग्रह कौन है।
भाव में कौन कौन से ग्रह हैं।
भाव पर किस  ग्रह की दृष्टि।
कौनसी  ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
 भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये। इन सभी का अध्ययन करने   से किसी भी घटना का समय जाना जा सकता है।
कुंडली से जाने :दुर्घटना का पूर्व समय:
जन्म कुंडली में लग्न, चन्द्रमा और सूर्य :

12 वा , 8 वा , 4 भाव  
चार्ट डी 1, डी ९ . ट्रांजिट चार्ट.
जातक के साथ होने वाली दुर्घटना का पूर्व समयका पता लगाया जा सकता है?
दुर्घटना का संबंध लग्न और लग्नेश से   रहता है। लग्न जातक के स्वयं का होता  है।  लग्न में शुभ ग्रह होना  चाहिये हैं। अशुभ ग्रह हानि पहुंचाते हैं। शुभ ग्रह स्थित  होने से    और दृष्टि होने से   सुरक्षा   होती  है।   अकारक ग्रह या मारक ग्रह जब भी लग्न या लग्नेश पर गोचर करता है 
तब दुर्घटना  होने के योग बनते  है। अकारक ग्रह या मारक ग्रह की यदि दशा-अंतर्दशा चल रही हो, तो जातक को कष्ट और दुर्घटना  होने के योग बनते  है।    ग्रह मंगल : जातक को दुर्घटना में अधिक चोट आती या रक्त भी बहता है।
 दुर्घटना का समय :  ग्रह का गोचर लग्न  पर हो , वही समय दुर्घटना  का होता है। इसी तरह से  आने वाली दुर्घटना का पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है।ग्रह मंगल और शनि दुर्घटनाओं के योग बनाते हैं 
 दुर्घटनाओं के लिए कुछ और   योग
 लग्न या दूसरे घर में राहु और मंगल,
 लग्न में शनि,
 लग्न में मंगल ग्रह,
तीसरे घर में मंगल या शनि ग्रह
5 वीं भाव में, मंगल या शनि .दशा अवधि:12 वा , 8 वा , 4 भाव की ग्रह की महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा,अवधि के दौरान दुर्घटना  हो सकती   है या अस्पताल में भर्ती  हो सकते  है। 
कुंडली में हैं दुर्घटना योग
6ठा और 8वाँ भाव।  षष्ठ भाव व अष्टमेश का स्वामी भी अशुभ ग्रहों के साथ।
वाहन से दुर्घटना: शुक्र को देखना होगा। 

लोहा या मशीनरी से दुर्घटना: शनि को देखना होगा। 
आग या विस्फोटक से दुर्घटना : मंगल शनि को देखना होगा। चौपायों से दुर्घटना: शनि । 
अकस्मात दुर्घटना के लिए :राहु ।
शनि-मंगल-केतु अष्टम भाव: वाहनादि से दुर्घटना के कारण चोट लगती है।
इस प्रकार कुंडली  देखकर दुर्घटना के योग को जान सकते हैं। 

 दुर्घटनाओं से बचने के सरल उपाय
 हनुमान मंदिर में मिटटी के दिए में चमेली के तेल का दीपक जलाएं।
 पक्षियों को लाल-मसूर खिलाएं।
 हनुमान मंदिर से कलाई पर मौली बंधवाएं।
 हनुमान जी के मंदिर में गुड़ चने का प्रसाद बांटें।
 नींबू पर सिंदूर लगाकर चौराहे पर फैंक दें।
 विधवा स्त्रियों की इच्छा अनुसार मिठाई बांटें।
 घर की छत पर लाल पताका (झंडा) लगाएं।
हनुमान जी के चित्र पर लाल फूल चढ़ाएं। कर्पूर से जलाएं।
 नारियल पर मौली लपेटकर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।


अशुभ ग्रहों का उपाय 
सूर्य : सूर्य को जल दे. पिता की सेवा करे।  
गेहूँ और तांबे का बर्तन दान करें।
चंद्र : किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें:
माता की सेवा करे। 
चन्द्र के लिए चावल, दुध एवं चान्दी के वस्तुएं दान करें.
मंगल : मंगलवार को बंदरो को भुना हुआ गुड और चने खिलाये।
बड़े भाई बहन के सेवा करे. मंगल के लिए साबुत, मसूर की दाल दान करें 
बुध : ताँबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएँ।
 फिटकरी से दन्त साफ करे. साबुत मूंग का दान करें।
माँ दुर्गा की आराधना करें।
 बृहस्पति : केसर का तिलक रोजाना लगाएँ। 
कुछ मात्रा में केसर खाएँ और नाभि या जीभ पर लगाएं। 
चने की दाल या पिली वस्तु दान करें.
शुक्र : गाय की सेवा करें।
घर तथा शरीर को साफ-सुथरा रखें। 
 गाय को हरा चारा डाले।
दही, घी, कपूर का दान करें. 
शनि : शनि के दिन पीपल पर तेल का दिया जलाये। 
किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया दखें और बर्तन तेल के साथ दान करे.
हनुमान जी की पूजा करे और बजरंग बाण का पाठ करे.
काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें. 
राहु : जौ या मूली या काली सरसों का दान करें। 
 केतु :  चींटियों को। काला सफ़ेद कम्बल कोढियों को दान करें।
कौओं को रोटी खिलाएं. काला तिल दान करे.कर्म ठीक रखे। 
मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं.
माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे 
अपने धर्मं का पालन करे. भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.
पितरो का श्राद्ध करें. प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे गाय और कुत्ता पालें,  
ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे, 
यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से,
घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से। 
उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी . 
गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं। 

दुर्घटना से बचने के उपाय महामृत्युंजय मंत्र का जप ।
- शनिवार को छाया दान ।
- विष्णु सहस्त्रनाम  जप ।
 ग्रह ४/6/8 /भाव से संबंधित अनिष्ट ग्रहों का उपाय कीजिए ।
- पशु को चारा खिलाना और पक्षियों, मछलियों को भोजन कराने ।

हनुमान जी की शक्ति से संपन्न वाहन दुर्घटना नाशक यन्त्र को अपने घर और वाहन में स्थापित करने पर ,.
,श्री हनुमान जी की कृपा से वाहन आदि से दुर्घटना का भय बिलकुल नहीं रहता है । सर्वत्र रक्षा होती है ।

 इसे मंगलवार या शनिवार के दिन एक यन्त्र घर पर और एक यन्त्र अपने वाहन के आगे के हिस्से में कही पर भी रख दे । 
धुप दीप दिखा कर पूजा अवश्य करे पहले ।
इसके अतरिक्त जब भी घर से बहार निकले तो 11  बार. ॐ ज़ूम सः .इस मंत्र का जप करके निकले |
इन उपायों को करने से दुर्घटना के योग टल सकते हैं।

 विद्वान पंडित कुंडली देखकर यह भी बता सकते हैं कि किन ग्रहों के कारण कौन सा समय जातक के लिए ठीक नहीं है। ग्रहों के योग देखकर किसी दुर्घटना की पूर्व जानकारी के बारे में भी पता चल जाता है।   उपाय करने से होने वाले दुर्घटना को रोका या कम किया जा सकता है।
   नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिषी  को  दिखाइए ।
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Thursday, September 25, 2014

कुंडली से जाने :विदेश यात्रा से लाभ या हानि :Know from Horoscope: gains or losses from foreign travel :

कुंडली से जाने :विदेश यात्रा से लाभ या  हानि :कुंडली देखकर जातक जान सकता है की विदेश यात्रा से लाभ या  हानि होगी।
 कुंडली में सूर्य, चन्द्र,मंगल, बुध, गुरु और राहु केतु ग्रह ये बताते हैं कि आप  किस उद्देश्य से विदेश जायगे  ।
 सूर्य :उच्च का सूर्य  कुंडली मे हो तो मान  सम्मान विदेश में दिलाता है  अगर सूर्य  नीच है , सूर्य खराब है तो जातक दंड विदेश  मे मिलता है।
 चन्द्र बलिष्ट ,उच्च का हो , तो जातक आसानी से विदेश जाता है.
चन्द्र नीच है ,  ख़राब है तो जातक को विदेश जाने में तो परेशानी का कारण बनता है .
विदेश में मन नहीं   लगता  है।
उच्च चन्द्र के कारण जातक लम्बी विदेश यात्राऐ  करता है।
खराब ,नीच चन्द्र वाले को नदी, समुद्र के पास यात्रा करनी चाहिए।     कुंडली मंगल उच्च का ,अच्छा हो ,तो जातक विदेश जाकर वहाँ बसता  है,
और  जातक स्वदेश भी आता है।
-राशि/ लगन :  मेष, सिंह, वृश्चिक राशि/ लगन वाले जातक विदेश  आते जाते रहते हैं।
बुध :जातक व्यापार  के लिए विदेश जाता है.
बुध तीसरे भाव, द्वादश भाव या चन्द्र से सम्बन्ध बनाये तो विदेश मे  हानि के योग बन सकते है।
 गुरु :उच्च शिक्षा, परोपकार या शांति के लिए विदेश जाता है।
चन्द्र शुक्र युति हो तो अवश्य ही विदेश घूमने  जाता  है।
तकनीकि क्षेत्र :  शनि राहु केतु तकनीकि क्षेत्र में काम के विदेश लिए विदेश जाता है।
विदेश  यात्रा:फॉरेन ट्रेवल :
 विदेश  यात्रा और विदेश निवास:
 विदेश  यात्रा
विदेश  यात्रा  के लिए कुंडली का  नवम भाव ,दसवा भाव ,या नवम लार्ड का प्रभाव या बारवह लार्ड का प्रभाव या सातवा  लार्ड का प्रभाव,चौथा भाव पर और तीसरे भाव पर रहेगा तो विदेश  दौरा होगा।
 विदेश निवास :
 विदेश निवास का पता हम कुंडली के सातवा भाव ,बारवा भाव या  सातवा  लार्ड का प्रभाव या बारवा लार्ड प्रभाव या  नौवा लार्ड प्रभाव का चौथा भाव पर रहने पर जातक विदेश निवास करता है। इन सब पर राहु और  शुक्र का प्रभाव भी रहता  है।
 विदेश यात्रा के  लिए कारक ग्रह:  चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र , शनि एवं राहु हैं।

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Wednesday, September 24, 2014

कुंडली से जाने : बच्चे बच्चियों को अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षण:लड़के और बहिकती लडकिया :Child girls attracted to the opposite sex

 कुंडली  में स्थित कुछ योगों  से पता चल सकता है की बच्चा किस पकार का है और उसी के अनुसार  ही बच्चे पर ध्यान देना  जरुरी है।
कुंडली में मंगल शुक्र का युति .मंगल के कारण बच्चों राह से भटकने है।
 कुंडली में  शुक्र चन्द्र की युति। 

 बच्चे बच्चियों पर ध्यान रखें।
 बच्चे बच्चियों को  अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षित होते है।
चंद्र शुक्र-प्रेम-प्रसंगों में सफलता प्राप्त करने एवं प्रेमिका को प्राप्त करने  ,विपरीत लिंगी से कार्य कराने के लिए।
चंद्रमा कमजोर हो तो बच्चा बहुत भावना वाला  होता है। 

 ऐसे   बच्चे बच्चियों को  कुछ स्वार्थी बच्चे/बच्चियां उसे ब्लैकमेल करते हैं।
कुंडली में  चन्द्र राहु की युति हो तो बच्चे के मन में  खुराफातें उपजती हैं.
चन्द्र राहु की युति कई प्रकार के भ्रम आजाते है और उन भ्रमो से बाहर निकलना ही नही हो पाता है
मंगल शनि की युति हो और मंगल बहुत बली हो तो बच्चा किसी को भी हानि पहुँचाने से नहीं डरेगा। गुरु ख़राब हो, नीच, अस्त, वक्री हो तो बच्चा अपने माता-पिता बड़े बुजुर्ग  किसी की भी इज्जत नहीं करेगा।
पांचवें भाव , पांचवें भाव का लॉर्ड और चंद्रमा भावनाओं को नियंत्रित करता    है ,
लग्न, पांचवें या सातवें भाव पर उनके प्रभाव से व्यक्ति अत्यधिक भावुक होता  है .
तीसरे लॉर्ड और मंगल साहस का कारक हैं.
 राहु और बारहवें और आठवें भाव के लॉर्ड्स सुख के लिए मजबूत इच्छा को दर्शाता है .

 शुक्र, चंद्रमा, आठवें भाव  लग्न या सातवें भाव के साथ जुड़ कर  कामुक सुख के लिए मजबूत इच्छा को दर्शाता है. 
राहु, शुक्र और भावनाओं और साहस के कारकों के साथ जुड़कर  प्यार के लिए जुनून दिखाता है।  
उम्र की अनदेखी, सभी सामाजिक मानदंडों अनदेखी कर कामुक सुख की इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रयास करता हैं।  
बृहस्पति और नौवें घर की कमजोरी अतिरिक्त योगदान करता हैं.पांचवें लॉर्ड की नियुक्ति सातवें या आठवें भाव  कामुक सुख के लिए कामुक सुख के लिए झुकाव. देता है।
प्यार और लगाव के लिए जिम्मेदार ग्रह  बुध, चंद्रमा, शुक्र और मंगल ग्रह और   भाव  5 वीं और 7thभाव  है .
मोह, घोटालों, आत्महत्याओं के  लिए 8the भाव को देखा जाता है।
मन के संतुलन के हानि के लिए  १२TH  भाव  ओर बुध गृह को  देखना  होता है।
वीनस-मंगल ग्रह युति ,सातवें घर में शुक्र,दुर्बल वीनस, 
एक्सट्राऑर्डिनरी सेक्स ड्राइव दे सकता है.
 मंगल  राहु, बुध, शुक्र और चंद्रमा ग्रह की दशा,और  5 ,7 वीं, 8 वीं और 12 वीं ,भाव  के साथ संबंध हो तब  होता  है।
 आठवें  भाव जो  की  वैवाहिक जीवन, विधवापन, पापों घोटालों, यौन अंग, रहस्य मामलों, अश्लील के लिए देखा जाता है।
वीनस 7 वीं या 8 वीं भाव के साथ   और मंगल ग्रह या राहु के साथ।,  विपरीत सेक्स के प्रति यौन इच्छा और आकर्षण तेज करता  है .
वीनस विपरीत सेक्स के प्रति मजबूत आकर्षण देता है जब यह मंगल ग्रह की राशि  मै होता  है।

उपाय :-
मंगल शुक्र योग के लिए बच्चे को खेलकूद में डालें। 

 बच्चे की एनेर्जी को खेलकूद में लगायें, बुध के लिए हरी सब्जियों का सेवन कराएँ
लड़की की कुंडली में इस तरह के योग हों तो उसे संगी,डांस, पेंटिंग आदि किसी कला में डाले
बड़ों का आदर करना सिखाएं . अपने बुजुर्गों का आदर करें इससे  गुरु ग्रह मजबूत होगा।

भगवान हनुमान और गणेश की पूजा.
 मंगल ग्रह भड़काने वाला हैं.
  (उसे भी अनुशासित उसे बनाना जा सकता  है : सुबह में हनुमान चालीसा का जाप ).
 

कुंडली किसी योग्य ज्योतिषाचार्य को दिखा  कर परामर्श लेना  चाहिए। 

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आप भी मुझे फोन कर सकते हैं  :   0731 2591308/ 09893234239 / 08861209966 /jio 08319942286 (08:00 AM- 10:00 PM के बीच) .
 

Tuesday, September 23, 2014

ज्योतिष: कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय :सरकारी नौकरी: उच्च पद : उपाय :Astrology :The timing of receipt job :

 कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम: प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।
डी १० चार्ट मे भी दिखना है। 
लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में 
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में 
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में 

दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में  
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।

छठा भाव :छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है।
छठे भाव का कारक भाव शनि है।
 दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी  करता है।

राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है। 
 गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
गोचर  : नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु का या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से संबंध होता है।सरकारी नौकरी:यह जान लें कि दशम भाव बली हो तो नौकरी  .
 नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति
सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर  सरकारी
नौकरी करता है
 केंद्र में गुरु स्थित होने पर
सरकारी नौकरी मे  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी करता है.
मंगल
कुण्डली में बली हो तो पुलिस, खुफिया विभाग अथवा सेना में उच्च पद होने की संभावना होती है।
गुरु
कुण्डली में बली हो तो  जातक को अच्छा वकील, जज, धार्मिक प्रवक्ता , ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद बनाता है।
बुध
कुण्डली में बली हो तो  व्यापारी, लेखक, एकाउन्टेंट, लेखन एवं प्रकाशन, में  ।
शुक्र
कुण्डली में बली हो तो  फिल्मी कलाकार,  गायक, सौंदर्य संबंधी ।
राहु से आयात व्यापार एवं केतु से निर्यात व्यापार ।  

 कामयाबी योग :

कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।  
  फलादेश कैसे करते  है ----
  - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं। 

बाधा  के योग :
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भी  बाधा आती है .
 

कुण्डली मे D-१०   (चार्ट ) का  भी आंकलन    करना  चाहिये
बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे। 
दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।
नौकरी मिलने के लिए उपाय -- 

- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।   
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए।    हो सके तो   सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे । 
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें। 

-हनुमान चालीसा का पाठ करें।  -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं। 
- इंटरव्यू देने के लिए निकलने से पहले एक चम्मच दही और चीनी मुंह में  रख लें।
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।

- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:
सूर्य के उपाय 
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय।

  नोट -ज्योतिषि को अपनी कुंडली दिखाइए। 

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Sunday, September 21, 2014

ज्योतिष : कुंडली से जाने :संतान प्राप्ति का समय :निःसंतान योग :संतान बाधा दूर करने के सरल उपाय: Astrology:Time of receipt children by Horoscope: obstacle to overcome by simple upay:

  ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
 कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं।


ज्योतिषीय नियम हैं जो घटना के समय बताने  में सहायक होते हैं .
संतान प्राप्ति  का समय :
लग्न और लग्नेश को देखा  जाता  है।
घटना का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन  है ।
भाव का कारक ग्रह कौन है। 
भाव में कौन कौन से ग्रह हैं। 
भाव पर किस  ग्रह की दृष्टि। 
कौन से ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये। 
 इन सभी का अध्ययन करने   से किसी भी घटना का समय जाना जा सकता है।
 संतान प्राप्ति के समय को जानने के लिए पंचम भाव, पंचमेश अर्थात पंचम भाव का स्वामी, पंचम कारक गुरु, पंचमेश, पंचम भाव में स्थित ग्रह और पंचम भाव ,पंचमेश पर दृष्टियों पर ध्यान देना चाहिए।   जातक का विवाह हो चुका हो और संतान अभी तक नहीं हुई हो , संतान का समय निकाला जा सकता है। 
पंचम भाव जिन शुभ ग्रहों से प्रभावित हो उन ग्रहों की दशा-अंतर्दशा और गोचर के शुभ रहते संतान की प्राप्ति होती है। 
गोचर में जब ग्रह पंचम भाव पर या पंचमेश पर या पंचम भाव में बैठे ग्रहों के भावों पर गोचर करता है तब संतान सुख की प्राप्ति का समय होता है।यदि गुरु गोचरवश पंचम, एकादश, नवम या लग्न में भ्रमण करे तो भी संतान लाभ की संभावना होती है। जब गोचरवश लग्नेश, पंचमेश तथा सप्तमेश एक ही राशि में भ्रमण करे तो संतान लाभ होता है।  
  संतान कब (साधारण योग): पंचमेश यदि पंचम भाव में स्थित हो या लग्नेश के निकट हो, तो विवाह के पश्चात् संतान शीघ्र होती है दूरस्थ हो तो मध्यावस्था में, अति दूर हो तो वृद्धावस्था में संतान प्राप्ति होती है। यदि पंचमेश केंद्र में हो तो यौवन के आरंभ में, पणफर में हो तो युवावस्था में और आपोक्लिम में हो तो अधिक अवस्था में संतान प्राप्ति होती है।
 पुत्र और पुत्री प्राप्ति का समय कैसे जानें? 
  संतान प्राप्ति के समय के निर्धारण में यह भी जाना जा सकता है कि पुत्र की प्राप्ति होगी या पुत्री की। यह ग्रह महादशा, अंतर्दशा और गोचर पर निर्भर करता है। यदि पंचम भाव को प्रभावित करने वाले ग्रह पुरुष कारक हों तो संतान पुत्र और यदि स्त्री कारक हों तो पुत्री होगी।पुरुष ग्रह की महादशा तथा पुरुष ग्रह की ही अंतर्दशा चल रही हो एवं कुंडली में गुरु की स्थिति अच्छी हो तो निश्चय ही पुत्र की प्राप्ति होती है। विपरीत स्थितियों में कन्या जन्म की संभावनाएं होती हैं।

जन्म कुंडली में संतान योग जन्म कुंडली में संतान विचारने के लिए पंचम भाव का अहम रोल होता है। पंचम भाव से संतान का विचार करना चाहिए। दूसरे संतान का विचार करना हो तो सप्तम भाव से करना चाहिए। तीसरी संतान के बारे में जानना हो तो अपनी जन्म कुंडली के भाग्य स्थान से विचार करना चाहिए भाग्य स्थान यानि नवम भाव से करें।

१   पंचम भाव का स्वामी स्वग्रही हो
२.
पंचम भाव पर पाप ग्रहों की दॄष्टि ना होकर शुभ ग्रहों की दॄष्टि हो अथवा स्वयं चतु सप्तम भाव को देखता हो.
३.
पंचम भाव का स्वामी कोई नीच ग्रह ना हो यदि  भाव पंचम में कोई उच्च ग्रह हो तो अति सुंदर योग होता है.
४.
पंचम भाव में कोई पाप ग्रह ना होकर शुभ ग्रह विद्यमान हों और षष्ठेश या अष्टमेश की उपस्थिति  भाव पंचम में नही होनी चाहिये.
५.
पंचम भाव का स्वामी को षष्ठ, अष्टम एवम द्वादश भाव में नहीं होना चाहिये. पंचम भाव के स्वामी के साथ कोई पाप ग्रह भी नही होना चाहिये साथ ही स्वयं पंचम भाव का स्वामी नीच का नही होना चाहिये.
६.
पंचम भाव का स्वामी उच्च राशिगत होकर केंद्र त्रिकोण में हो.
पति एवम पत्नी दोनों की कुंडलियों का अध्ययन करना चाहिए | 
सप्तमांश लग्न का स्वामी जन्म कुंडली में :बलवान ,शुभ स्थान ,सप्तमांश लग्न भी शुभ ग्रहों से युक्त  |
 ८  एकादश भाव में शुभ ग्रह बलवान हो |
संतान सुख मे परेशानी के योग :
ऊपर बताये गये  ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है | 
पंचम भाव: राशि ( वृष ,सिंह कन्या ,वृश्चिक ) हो  तो कठिनता से संतान होती है |

निःसंतान योग
 पंचम भाव में क्रूर, पापी ग्रहों की मौज़ूदगी
पंचम भाव में बृहस्पति की मौजूदगी
पंचम भाव पर क्रूर, पापी ग्रहों की दृष्टि
पंचमेश का षष्ठम, अष्टम या द्वादश में जाना
पंचमेश की पापी, क्रूर ग्रहों से युति या दृष्टि संबंध
पंचम भाव, पंचमेश व संतान कारक बृहस्पति तीनों ही पीड़ित हों 
नवमांश कुण्डली में भी पंचमेश का शत्रु, नीच आदि राशियों में स्थित होना
पंचम भाव व पंचमेश को कोई भी शुभ ग्रह न देख रहे हों संतानहीनता की स्थिति बन जाती है।
 

 पुत्र या पुत्री :
सूर्य ,मंगल, गुरु पुरुष ग्रह हैं |
शुक्र ,चन्द्र स्त्री ग्रह हैं |
 बुध और शनि नपुंसक ग्रह हैं |
 संतान योग कारक पुरुष ग्रह होने पर पुत्र होता  है।
 संतान योग कारक स्त्री ग्रह होने पर पुत्री होती  है |
शनि और बुध  योग कारक हो  पुत्र व पुत्री होती  है|
ऊपर बताये गये  ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों तो ,  पुत्र या पुत्रियों की हानि होगी |

 बाधक ग्रहों की क्रूर व पापी ग्रहों की किरण रश्मियों को पंचम भाव, पंचमेश तथा संतान कारक गुरु से हटाने के लिए रत्नों का उपयोग करना होता  है। 

संतान बाधा दूर करने के सरल  उपाय:
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं गुरुवे नमः का जाप करें |
तर्जनी में गुरु रत्न पुखराज स्वर्ण में धारण  करें।
संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करे :
ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः |

जाप ,हवन. तर्पण ,ब्राह्मणों को भोजन |
गायें की सेवा करे  |
गरीब बालक, बालिकाओं को, पढ़ाएं, लिखाएं, वस्त्र, कापी, पुस्तक, दान करे 
आम, बील, आंवले, नीम, पीपल के पौधे लगाना चाहिए ।गोपाल सहस्रनाम- हरिवंश पुराण   का पाठ करना चाहिए
क्रूर ग्रह का उपाय करें।
दूध   अंजीर, सफेद प्याज का मुरब्बा  सेवन करें।
भगवान शिव का पूजन करें।
बड़े का अनादर ना करे।
धार्मिक आचरण रखना चाहिए
गरीबों को  खाना खिलाएं, दान , करें।
अनाथालय में  दान दें।
कुता  को प्यार करे।
संतान दोष अथवा पितृ दोष का  उपाय करना चाहिए 
घर का वास्तुदोष का  उपाय करे। 

हरिवंश पुराण का पाठ या संतान गोपाल मंत्र का जाप कराये .बाधक   ग्रहो के उपाय करे। सोने  का उपयोग न करे।
ताबै का उपयोग  करे।ताबै के बर्तन का पानी पीये।
मास मदिरा का सेवन ना करे। 
अनुलोम विलोन ,कपालभाति करना चाहिए   । 
खासी सरदी का  उपाय  करे। 
जब पंचम भाव में का स्वामी सप्तम में तथा सप्तमेश सभी क्रूर ग्रह से युक्त हो तो वह स्त्री मां नहीं बन पाती।
 क्रूर ग्रह , बाधाकारक ग्रहों  का जाप ,दान ,हवन ,करने से संतान  की प्राप्ति हो सकती  है
सूर्य :
पितृ पीड़ा
पितृ शान्ति के लिए  पिंड दान |
हरिवंश पुराण का श्रवण करें |
रविवार को  गेंहु,गुड ,केसर ,लाल चन्दन ,लाल वस्त्र ,ताम्बा,दान करे  |
गायत्री जाप करे।
ताम्बे के पात्र में ,जल में , लाल चन्दन ,लाल पुष्प ड़ाल कर नित्य सूर्य को अर्घ्य  कराना
चाहियें  |
चन्द्र : माता का शाप  है। 

गायत्री का जाप करें |
मोती चांदी की अंगूठी में  अनामिका या कनिष्टिका अंगुली में धारण करें |
सोमवार के नमक रहित व्रत |
सोमवार को चावल ,चीनी ,आटा, श्वेत वस्त्र ,दूध दही ,नमक ,चांदी  का दान करें |
मंगल : भ्राता का शाप  . 

रामायण का पाठ करें | 
मूंगा  सोने या ताम्बे  की अंगूठी में अनामिका अंगुली में धारण करें |
मंगलवार के नमक रहित व्रत रखें
मंगलवार को गुड  ,लाल रंग का वस्त्र और फल ,ताम्बे का पात्र ,सिन्दूर , मसूर की दाल  का दान करें |
बुध : मामा का शाप  

विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें |
पन्ना सोने या चांदी की अंगूठी में बुधवार को कनिष्टिका अंगुली में  |
बुधवार  के नमक रहित व्रत।
बुधवार को कर्पूर,घी, खांड, ,हरे  रंग का वस्त्र ,कांसे का पात्र ,साबुत मूंग  का दान करें |
बृहस्पति : गुरु ,ब्राह्मण का शाप. 
पुखराज सोने  गुरुवार को  तर्जनी अंगुली में  |
गुरूवार के नमक रहित व्रत। .
गुरूवार को घी, हल्दी, चने की दाल , पीत रंग का वस्त्र का दान करें | 

गुरु का सत्कार करें |
शुक्र :  स्त्री को कष्ट देना है।
गौ दान  
करें | 
ब्राह्मण दंपत्ति दान  करें |
हीरा
या (जरकन )प्लैटिनम या चांदी की अंगूठी शुक्रवार को मध्यमा अंगुली में धारण करें |
शुक्रवार  के नमक रहित व्रत। 
शुक्रवार को  आटा ,चावल दूध ,दही, मिश्री ,श्वेत चन्दन ,इत्र, श्वेत रंग का वस्त्र ,चांदी का दान करना 
चाहियें |
शनि : प्रेत बाधा है
रुद्राभिषेक करें | 

नीलम या   लाजवर्त मध्यमा अंगुली में धारण करें |
कील  का छल्ला पहने |
शनिवार के नमक रहित व्रत रखें |
शनिवार को काले उडद ,तिल ,तेल ,लोहा,काले जूते ,काला कम्बल , काले  रंग का वस्त्र का दान करें |
श्री हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करना करे।

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कुंडली से जाने मकान, जमीन जायदाद और वाहन सुख कब प्राप्त होगे : Houses, real estate and about physical pleasures through horoscope

 कुंडली से जाने मकान, जमीन जायदाद और भौतिक सुखों कब प्राप्त  होगे ?
 ज्योतिषीय नियम हैं जो घटना के समय बताने  में सहायक होते हैं .
 घटना के समय को जानने के लिए -  .
लग्न और लग्नेश को देखा  जाता  है।
 घटना का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन  है ।
भाव का कारक ग्रह कौन है। 
भाव में कौन कौन से ग्रह हैं। 
भाव पर किस  ग्रह की दृष्टि। 
कौन से ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये। 
 इन सभी का अध्ययन करने   से किसी भी घटना का समय जाना जा सकता है।
  मकान, जमीन-जायदाद और भौतिक सुखों को चतुर्थ भाव से देखना
 चाहिए । चतुर्थ भाव का स्वामी, कारक ग्रह, चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह, चतुर्थ भाव पर पड़ने वाली ग्रह की दृष्टियां।इन   सब का विष्लेशण कर के ही पता लगता की जातक को मकान, जमीन-जायदाद का सुख प्राप्त होगा या नहीं। चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह यदि शुभ हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टियां  हों।  चतुर्थ भाव और चतुर्थेश शुभ प्रभाव में हों.   जातक को  भौतिक सुख प्राप्त होने  मे साहयक होते हैं। जो ग्रह चतुर्थ भाव पर शुभ प्रभाव डालते हैं उन्हीं की दशा-अंतर्दशा और गोचर भी चतुर्थ भाव प्रभाव डालते हैं उस समय जातक को मकान, जमीन जायदाद और अन्य भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।सुखों में कुछ अचल और कुछ चल होते हैं। शनि, मंगल आदि का गोचर और दशा अंतर्दशा के कारण   अचल संपत्ति देता है और शुक्र, चंद्र चल सुख जैसे वाहन इत्यादि देते है । 
 अब हम आपको कुछ वो योग बता रहे हैं जो  कुंडली में विद्यमान हों तो जातक को मकान, जमीन जायदाद और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। 
 १. चतुर्थ भाव का स्वामी स्वग्रही हो
२.
चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों की दॄष्टि ना होकर शुभ ग्रहों की दॄष्टि हो अथवा स्वयं चतु सप्तम भाव को देखता हो.
३.
चतुर्थ भाव का स्वामी कोई नीच ग्रह ना हो यदि चतुर्थ भाव में कोई उच्च ग्रह हो तो अति सुंदर योग होता है.
४.
चतुर्थ भाव में कोई पाप ग्रह ना होकर शुभ ग्रह विद्यमान हों और षष्ठेश या अष्टमेश की उपस्थिति चतुर्थ भाव में कदापि नही होनी चाहिये.
५.
चतुर्थ भाव का स्वामी को षष्ठ, अष्टम एवम द्वादश भाव में नहीं होना चाहिये. चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ कोई पाप ग्रह भी नही होना चाहिये साथ ही स्वयं चतुर्थ भाव का स्वामी नीच का नही होना चाहिये.
६.
चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च राशिगत होकर केंद्र त्रिकोण में हो.
७. मंगल भी बलवान हो. मंगल पर राहु की युति अथवा दॄष्टि प्रभाव नही होना चाहिये.

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ज्योतिष :जीवन में घटनाओं के समय को ज्योतिष के द्वारा भविष्यवाणी की जा सकती है :जाने कैसे ?Astrology :The timing of events in life can be predicted by astrology: how ?

कुंडली से जाने :  ज्योतिष से जातक के जीवन में होने वाली  घटनाओं के समय को जाना जा सकता है।
जीवन में घटनाओं के समय  को ज्योतिष के  द्वारा भविष्यवाणी की जा सकती है
ज्योतिषीय नियम हैं जो घटना के समय बताने  में सहायक होते हैं .
 घटना के समय को जानने के लिए -  .
लग्न और लग्नेश को देखा  जाता  है।
 घटना का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन  है ।
भाव का कारक ग्रह कौन है। 
भाव में कौन कौन से ग्रह हैं। 
भाव पर किस  ग्रह की दृष्टि। 
कौन से ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये। इन सभी का अध्ययन करने   से किसी भी घटना का समय जाना जा सकता है।


 ज्योतिष  मे विभिन्न क्षेत्र के लिए सिग्निफिकैटर:
 गर्भपात: पांचवें और दूसरे भाव और ग्रहों  मै बृहस्पति और सूर्य
दुर्घटनाओं: छठे    भाव और मंगल ग्रह.
स्नेह ,प्यार : 5 हाउस और चंद्रमा.
बेसिक शिक्षा: 4 हाउस, चंद्रमा और बुध.
एलर्जी: कमजोर ग्रहों भाव पर  राहु / केतु का प्रभाव.
विश्लेषणात्मक क्षमता: बुध, 3H.
एसेट्स: 4 हाउस, 2 हाउस, मंगल और शुक्र.
Asthama: 3H, 4H,
बुध और ; चंद्रमा.
काला जादू: 5 वीं हाउस, सूर्य और चंद्रमा , राहु या केतु का प्रभाव.
व्यवसाय: शुक्र और बुध.
बच्चे: 5 वीं हाउस, 2 हाउस, बृहस्पति और सूर्य
आराम: 12 वीं हाउस, 4 हाउस, 7 हाउस, 2 हाउस, सूर्य, शुक्र और चंद्रमा.
प्रतियोगिताएं: पांचवें घर का भाव . तीसरे भाव या दूसरे भाव के लार्ड।,
कोरोनरी समस्याओं:  4H, सूर्य और चंद्रमा पर राहु, केतु का प्रभाव.
साहस: 3H, सूर्य, मंगल ग्रह.
क्रिएटिव खुफिया: 5 वीं हाउस, 2 हाउस, बृहस्पति और सूर्य
ऋण: छठे घर और चंद्रमा.
Depressions: 4 भाव , चंद्रमा, बुध और सूर्य
विवाद: छठे भाव , छठे भाव पीड़ित ,सूर्य और मंगल ग्रह .
आराम से लाभ: 8 हाउस, बृहस्पति और सूर्य
शिक्षा (बेसिक): 4 हाउस, चंद्रमा और बुध.
शिक्षा (उच्चतर): 5 वीं हाउस, 2 हाउस, 9 हाउस, सूर्य, बुध और बृहस्पति.
शिक्षा (आध्यात्मिक): 9 हाउस, और सूर्य और बृहस्पति की ताकत.
बड़े भाई: 11 वीं भाव और बृहस्पति.
रोजगार: 10 वीं हाउस, 2 हाउस और सूर्य
उद्यमी क्षमताओं: 3H, मंगल, शुक्र और  शनि ग्रह.
निष्कासन: 4 घर और ग्रह चंद्रमा और सूर्य
परिवार: 2 हाउस, 7 हाउस, 4 हाउस, शुक्र और चंद्रमा. पारिवारिक विवाद: दूसरा घर और चंद्रमा.
कट्टरता: छठे घर पर राहु का प्रभाव
पिता: 9 हाउस, 4 हाउस, सूर्य और बृहस्पति.
घातक दुर्घटनाओं / बहुत गंभीर दुर्घटनाओं: आठवें भाव और एमएमपी या केतु,
वित्तीय शोधन क्षमता: 6 हाउस, 2 हाउस, चंद्रमा और शुक्र.
विदेश निवास: 7 हाउस, 12 वीं भाव या 7th लार्ड या 12 वीं लार्ड  या 4 हाउस या 10 वीं हाउस, राहु और शुक्र पर 9th लार्ड का प्रभाव.
विदेश दौरा: 9 हाउस, 10 वीं हाउस या 4 हाउस या 3 हाउस पर 9th लार्ड या 12 वीं लार्ड या 7 वीं लार्ड का प्रभाव.
जनरल भाग्य / किस्मत: 9 हाउस, 4 हाउस, 2 हाउस, सूर्य और बृहस्पति.
सुखी विवाहित जीवन: 7 हाउस, 4 हाउस, 2 हाउस, 8 वीं हाउस, 12 वीं हाउस, चंद्रमा और शुक्र.
स्वास्थ्य (भावनात्मक): 1 हाउस, 5 वीं हाउस, 6 हाउस, चंद्रमा और बुध.
स्वास्थ्य (कार्य): 1 हाउस, 6 हाउस, चंद्रमा और बुध.
स्वास्थ्य (सामान्य): 1 हाउस, 6 हाउस, सूर्य, मंगल और चंद्रमा.
स्वास्थ्य (शारीरिक): 1 हाउस, 6 हाउस, सूर्य और मंगल ग्रह.
हृदय रोग: 1 हाउस, 6 हाउस, 4 हाउस, सूर्य और चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति.
पति: 7 हाउस, 2 हाउस, 4 हाउस, 8 वीं हाउस, 12 वीं हाउस, बृहस्पति और सूर्य : बारहवें हाउस  छठे हाउस हठ: 5 वीं हाउस, 4 हाउस, 2 हाउस, बृहस्पति और सूर्य
आय और लाभ: 11 वीं हाउस, 2 हाउस, 10 वीं हाउस, 3 हाउस, बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा.
विरासत: 8 हाउस, 9 हाउस, 4 हाउस, सूर्य और चंद्रमा.
पहल: 3 हाउस और मंगल.
अंतर्ज्ञान: 5 वीं हाउस और सूर्य
किडनी: छठे घर और वीनस.
मुकदमों: छठे भाव और सूर्य और मंगल ग्रह.
याचिका: 6 हाउस और 6 हाउस में के ग्रह.
दीर्घायु: 1 हाउस, 8 वीं हाउस, 12 वीं हाउस और शनि.
माता पिता की कमी: 4 और 9 हाउस और  सूर्य और चंद्रमा.
प्यार: significator वीनस है.
विलासिता: 4 हाउस, वीनस, 12 वीं भाव और 7 वीं हाउस.
घातक ट्यूमर: कमजोर ग्रहों पर और भाव  पर राहु का प्रभाव
वैवाहिक जीवन में कलह: 7th  , 6 हाउस  पर केतुका प्रभाव.
शादी - समय: 7, 2 और 4 भाव या इन भाव पर प्रभावित ग्रहों.
वैवाहिक टाई: 8 हाउस, 2 हाउस और 12 वीं हाउस.
मानसिक क्षमताओं: 1 हाउस, 3 हाउस, 4 हाउस, 5 वीं हाउस, चंद्रमा, सूर्य और बुध.
माँ: 4 हाउस, चंद्रमा और 9 वीं हाउस.
संगीत प्रतिभा: 2 और 3 हाउस , शुक्र और बुध.
घबराए नियंत्रण: 6 हाउस और बुध.
आत्माओं से कब्ज़ा: 5 वीं हाउस, सूर्य, चंद्रमा  पर राहु या केतुप्रभाव; बुध .
गरीबी: दूसरा, चौथी और छठी भाव और ग्रहों मे  सूर्य और शनि.
व्यावसायिक शिक्षा: 2nd हाउस, 5 वीं हाउस और 10 वीं हाउस.
व्यावसायिक निर्धारक: 10 भाव और 2 भाव   लग्न ,
व्यावसायिक स्थिति: 10 वीं हाउस, 2 हाउस, 5 वीं हाउस, 3 हाउस, सूर्य, बुध, शुक्र और बृहस्पति.
संतान: 5 वीं हाउस, 2 हाउस, बृहस्पति और सूर्य
लम्बे समय तक रोग: छठे घर, ग्रह मंगल और बुध.
समृद्धि: 11 वीं हाउस, 2 हाउस, 10 वीं हाउस, 3 हाउस, बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा.
Purvapunya: 9 घर, पांचवें घर, बृहस्पति और सूर्य
श्वसन संबंधी विकार: 3H,  बुध और  चंद्रमा.
गुर्दे संबंधी विकार: 6H, 7 वीनस.
रोमांस: मंगल और राहु.
लघु यात्रा: 3 हाउस और 9 वीं हाउस.
अटकलें: 5 वीं हाउस, राहु और बुध.
सट्टा व्यापार बाजार: राहु
आध्यात्मिक शिक्षा: 9 हाउस, सूर्य और बृहस्पति.
आध्यात्मिक जीवन: 9 हाउस, 4 हाउस, सूर्य और बृहस्पति.
खेल: 3 हाउस, लग्न , 9 हाउस, मंगल ग्रह, सूर्य और शुक्र. 

सरकार के साथ स्थिति: 2nd हाउस, 10 वीं हाउस, सूर्य और मंगल ग्रह.
मजबूत दिमाग और इच्छा शक्ति: 3 भाव और दसवें भाव , ग्रह, सूर्य  2 भाव ,
सफलता: 3 हाउस, सूर्य और बृहस्पति.
क्षय रोग: 4, चंद्रमा और बुध.
वाहन: 4 हाउस और वीनस.
धन:१, 2 हाउस. 2 4 , 9 भाव
धन भाव / ग्रहों - 11 वीं हाउस, 5 वीं हाउस, चंद्रमा और बृहस्पति.
धन जमा - वीनस significator ग्रह है.
विधवापन: सातवें, चौथे दूसरे और 12 वीं भाव  और इन घरों पर एमएमपी / केतु का प्रभाव.
पत्नी: 7 हाउस, 2 हाउस, 4 हाउस, 8 वीं हाउस, 12 वीं हाउस, शुक्र और चंद्रमा.
विल पावर: रवि, 3 भाव , पहले और दूसरे भाव के लार्ड
छोटे भाइयों: 3 हाउस और मंगल.

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Saturday, September 20, 2014

ज्योतिष और वास्तु के अनुसार परीक्षा में सफलता : शिक्षा प्राप्ति के लिए सरल उपाय :Astrology :How to get success in the exam the simple formula:

 ज्योतिष और वास्तु के अनुसार परीक्षा में सफलता कैसे प्राप्त करे।
ज्योतिषानुसार शनि की साढ़ेसाती और ढैया भी पढ़ने में अरुचि होती है।  विद्यार्थी की कुंडली को पढ़वाकर उसके उपाय करना होता है।
 इसके लिए सरसों के तेल का छाया दान।
शनि की वस्तुओं का दान । 

शनि के मंत्रों का जप।  
शनि मंदिर का दर्सन मन को एकाग्रचित्त करता  हैं।
मन को एकाग्रचित्त करने के लिए प्राणायाम ।
 शरीर में शक्ति व स्फूर्ति पैदा होती है, मन एकाग्र हो जाता है। 
 प्राणायाम कर लेना लाभदायक होता है।
 सरस्वती यंत्र की स्थापना करना होता  है  और सरस्वती मंत्र का जप  लाभप्रद है।
 ।। ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नमः ।।
 देवि सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता ।

 नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
 गायत्री मंत्र का जप रुद्राक्ष और स्फटिक मिश्रित माला पर कीजये । 
ओम  भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम । भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।
 सरस्वती मंत्र सहित सरस्वती लाॅकेट बुधवार को धारण करें।
 बुधवार को गणेष जी  अराधना करे ।
 पढ़ाई के कमरे में मां सरस्वती का चित्र रखें। 
पढ़ते समय अपना मुख पूर्व या ईशान की ओर रखें। 
 मन एकाग्र रहेगा। 
सोते समय अपने  सिर दक्षिण दिशा में रखें।
 प्रातः काल ताजा व ऊर्जावान महसूस करेंगे।
परीक्षा में सफलता के उपाय:
विद्यार्थियों को अध्ययन करते समय अपना मुंह पूर्व ,उत्तर की हो ।
ब्रम्हा मुहूर्त में उठकर अध्ययन करीये ।
पाठच्य पुस्तकों में गुरुवार के दिन मोरपंख रखें।
ब्राम्ही का सेवन करे ।
परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए ,यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाते हैं।
गणेशजी का स्मरण करें
भगवान गणेशजी को हर बुधवार के दिन दूर्वा चढ़ाने से बच्चों में कुशाग्र बुद्धि आती  है।
मां सरस्वती का याद करें।
अपनी जिह्वा को तालु में लगाकर मां सरस्वती के बीज मंत्र ‘ऐं’ मंत्र का जाप करे। 

परीक्षा में जाने से पूर्व मीठे दही पर तुलसी के पत्ते रखकर सेवन करके घर से निकलें।
बुधवार या पंचमी  को बच्चे  जीभ पर चांदी की शलाका मधु में डुबाकर उससे 'ऐं' मंत्र लिख देने से बच्चा विद्वान होता है।
वृष या कुंभ लग्न के जातक , पन्ना बुधवार को कनिष्ठिका में धारण करना चाहिए।
 गणेश जी को 'ॐ गं गणेशाय नमः' पढ़ते हुए 108 बार बारी-बारी से दुर्वा चढ़ाएं।
गणपति जी के श्लोक का पाठ कर गणेश जी का ध्यान करके अध्ययन करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी को गणेश जी की पूजा करके 'ॐ गं गणेशाय नमः' या 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का 108 बार जाप  करना चाहिए।
अध्धयन कक्ष में कभी भी कोई कॉपी किताबें पेन पेंसिल को खुला न रखें
अध्धयन कक्ष में कॉपी किताबों को हमेशा उनकी नियत स्थान , बैग या अलमारी में ही सलीके से रखें।

 पड़ाई की मेज, कुर्सी टूटी न हो। 
 कापी, किताबें फटी न हो. धूल मिटटी की  साफ सफाई होती रहे ।
पड़ने की मेज पर खाना नहीं खाना चाहिए ,  पड़ाई की टेबिल पर कॉपी किताबें बंद करके , बनाये गए स्थान पर ही खाना चाहिए ।
पड़ाई करते समय अपने इष्ट देव का ध्यान   करना चाहिए।
सरस्वती यंत्र को गले में धारण  करना चाहिए।

तुलसी के पत्तों को मिश्री के साथ पीसकर उसका रस विधार्थी को पिलाने से उसकी स्मरण शक्ति का बडती  है ।   
गणेश चालीसा का पाठ करें।
 कमरे की ईशान की दीवार पर माँ सरस्वती की तस्वीर लगायें। 
 अपने माता पिता, घर के अन्य बडे् बुजुर्ग के रोज चरण स्पर्श करें। गुरुजनों को पूर्ण सम्मान दें। 
परीक्षा देने जाते समय यदि छात्र कोई भी मीठा खाकर जाये। 
रोज नियम से उगते हुए सूर्य देव को फूल ,लाल चंदन, चावल आदि डालकर जल चडाने  चाहिए।
कमरे में यथासंभव हरे रंग के परदे लगवाने चाहिए।
परीक्षा में जाने से पूर्व मीठे दही पर तुलसी के पत्ते रखकर ग्रहण करे।
दोनों कानों के नीचे के भाग को अंगूठे और अंगुलियों से दबाकर नीचे की ओर खीचें। पूरे कान को ऊपर से नीचे करते हुए मरोड़ें।
कान के नीचे के भाग को खींचे। 

परीक्षा के लिए घर से निकलते समय पहले दायाँ पैर घर से बाहर निकाले और परीक्षा कक्ष में भी पहले दायाँ पैर ही अन्दर करना।
बादाम और सौंफ को मिलाकर बारीक़ कूट लें । इसको प्रतिदिनरात में सोते समय पानी के साथ ले लें.


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ज्योतिष :जन्म कुण्डली से जाने : विवाह: शादी का समय :ग्रहों की दशा- अन्तर्दशा से :गोचर से :Time for the marriage :Astrology

जन्म कुण्डली से  जाने: विवाह ,शादी  का समय :ग्रहों की दशा- अन्तर्दशा में विवाह हो सकता है |  
विवाह में सहायक ग्रह, उसकी दशांतर्दशा एवं गोचर पर निर्भर करता है।
२ ,५ ,७ ,९ ,११ भाव ,और उनके लॉर्ड्स को भी देखना होता है।
 सप्तम या सप्तम से सम्बन्ध रखने वाले ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा में विवाह होता है।
कन्या की कुन्डली में शुक्र से सप्तम और पुरुष की कुन्डली में गुरु से सप्तम की दशा में या अन्तर्दशा में विवाह होता है।
सप्तमेश की महादशा में, पुरुष के कुंडली मैं ,शुक्र या चन्द्र की अन्तर्दशा में और स्त्री के कुंडली मैं गुरु या मंगल की अन्तर्दशा में विवाह होता है।
सप्तमेश जिस राशि में हो,उस राशि के स्वामी के त्रिकोण में गुरु के आने पर विवाह होता है।
गुरु गोचर से सप्तम में या लगन में या चन्द्र राशि में या चन्द्र राशि के सप्तम में आये तो विवाह होता है।
सप्तमेश जब गोचर से शुक्र की राशि में आये और गुरु से सम्बन्ध बना ले तो विवाह सम्बन्ध बनता है।
 इसलिए सप्तम भाव के स्वामी, स्प्तम भाव के कारक अर्थात विवाह के कारक (स्त्री के लिए गुरु और पुरुष क लिए शुक्र), सप्तम भाव म बैठ ग्रह, सप्तम भाव पर दृष्टि रखने वाले ग्रह,
 दशाओं में सप्तमेश ,लग्नेश ,गुरु एवम विवाह कारक शुक्र का गोचर जब लग्न ,सप्तम भाव या इनसे त्रिकोण में होता है उस समय विवाह का योग 

बनता है |
  चंद्र, गुरु अथवा शुक्र की दशाओं में भी विवाह हो सकता है।

राहु की दशा में विवाह हो सकता है। 
सप्तमेश जिस राशि में बैठा हो उसके स्वामी ग्रह की दशा में विवाह हो सकता है।
 द्वितीयेश की दशा में अथवा द्वितीयेश जिस राशि में स्थित हो उसके स्वामी की दशा में विवाह होता है।
 सप्तमेश राहु या केतु से युत हो तो इनकी दशा भुक्ति में विवाह होता है। नवमेश और दशमेश की दशा में विवाह होता है।
 सप्तमेश में नवमेश की दशा- अन्तर्द्शा में विवाह हो सकता है।
 सप्तमेश की दशा- अन्तर्दशा में विवाह   हो सकता है।
सप्तमेश  नवमेश पंचमेश  आपस से भी संबन्ध बनाते हों तो इस ग्रह दशा में प्रेम विवाह हो   सकता है|
सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की दशा– अन्तर्दशा में विवाह  हो सकता है।  शुक्र, सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश जब शुभ ग्रह होकर अशुभ भाव या अशुभ ग्रह की राशि में स्थित होने पर अपनी दशा- अन्तर्दशा के  में विवाह की संभावनाएं हो सकती है|
इसके अतिरिक्त जब अशुभ ग्रह बली होकर सप्तम भाव में स्थित हों या स्वयं सप्तमेश हों तो इस ग्रह की दशा के  अन्तिम भाग में विवाह
जब विवाह कारक ग्रह शुक्र  गोचर में शनि, गुरु से संबन्ध बनाने पर अपनी दशा- अन्तर्दशा में विवाह हो  सकता   है|
सप्तमेश के मित्रों की ग्रह दशा में विवाह होने के योग बनते है|
सप्तम व सप्तमेश से दृ्ष्ट ग्रहों की दशा में विवाह होने के योग बनते है|
लग्नेश की दशा में सप्तमेश की अन्तर्दशा में भी विवाह होने की संभावनाएं बनती है|
शुक्र शुभ ग्रह की राशि तथा शुभ भाव (केन्द्र, त्रिकोण) में स्थित हों, तो शुक्र कि अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर दशा से आने पर विवाह हो सकता है.
शुक्र से युति करने वाले ग्रहों की दशा- अन्तर्दशा में विवाह होने की संभावनाएं बनती है|

शीघ्र विवाह एवं विवाह में रुकावट दूर करने के उपाय / टोटके
  •  गुरूवार :को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए|
  • केसर: टीका लगाना चाहिए|  
  • बजुर्ग व्यक्तियों: सम्मानकरें|
  •  शीघ्र विवाह: सोमवार को  चने की दाल ,कच्चा दूध दान करें|
  •  बुध :रूकावट दे रहा हो को हरी घास उपाय करे |
  • गुरूवार :को पीपल,केले के वृक्ष पर जल अर्पित करने से विवाह बाधा दूर |
  •  बृहस्पति देव:प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की वस्तुएं जैसे हल्दी, पीला फल, पीले रंग का वस्त्र, पीले फूल, केला, चने की दाल आदि  गुरु ग्रह को चढ़ानी चाहिए। 
  •  गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए। 
  •   ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रों स: मंत्र का माला प्रति गुरुवार जप करें।
      शिव-पार्वती का पूजन करना 
    चाहिए।  
  •  शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें।
  •  जल्दी शादी  उपाय: 
  • किसी ग्रह बाधा उपाय करें।
     सूर्य:प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाएं और
    मंत्र: ऊँ सूर्याय: नम:  का जप करें।
      मंगल :विलंब होने पर चांदी का चौकोर टुकड़ा सदैव अपने पास रखें।  
  • सूर्य : विवाह प्रस्ताव के जाते समय थोड़ा गुड़ खाकर और पानी पीकर जाना चाहिए।
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Friday, September 19, 2014

आदतों को सुधारो और ग्रहो को सुधारो :Correct habits that improve the planet :Astrology Simplified video,

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Housi Lal Choureyआदतों को सुधारो तो  ग्रह सुधरते  है ,जाने  कैसे  ?
Correct habits that improve the planet :
Astrology Simplified Videos:
ग्रह-तारे: click the blog.
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आदतों को सुधारो तो   ग्रह भी  सुधरते  है ,जाने  कैसे  ?
आदत बदलने  से ही ग्रह भी आपकी कुंडली के  ठीक होते  है।  
मंदिर को साफ़ करते है तो बृहस्पति बहुत अच्छे फल देगा ।
अपनी झूठी थाली या बर्तन उसी जगह पर छोड़ना -सफलता मे कमी।    झूठे बर्तन को उठाकर  जगह पर रखते  है या साफ़ कर लेते है तो चन्द्रमा , शनि  ग्रह ठीक  होते है ।
देर रात जागने से  चन्द्रमा अच्छे फल नहीं  देता
है
कोई भी बाहर से आये  उसे स्वच्छ पानी जरुर पिलाए। राहू  
ग्रह ठीक   होता  है । राहू का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता । 
थूकने की आदत  - यश,सम्मान मे कमी ।
 रसोई को गन्दा रखते हैं तो आपको मंगल ग्रह  से दिक्क्तें आएँगी। रसोई हमेशा साफ़ सुथरी रखेंगै तो   मंगल ग्रह ठीक  होता ।
  घर में सुबह उठकर पौधों को पानी दिया जाता है तो हम बुध,सूर्य,शुक्र और चन्द्रमा मजबूत करते हैं    
जो लोग पैर घसीट कर चलते से ,शराब और सिगरेट पीने से  राहु खराब  होता है । 
बाथरूम में कपडे इधर उधर फेंकते  है ,  बाथरूम में पानी बिखराकर आ जाते है तो चन्द्रमा  अच्छे फल नहीं देता  है। 
बाहर से आकर अपने चप्पल , जूते , मोज़े इधर उधर फेंक देते है ,उन्हें  शत्रु परेशान करते है
राहू और शनि ठीक  फल  नही देते  है  जब बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा , सलवटे होंगी ,चादर कही , तकिया कही  है। 
 चीख कर बोलेंने से शनि  खराब खराब होता हैैं।  
बुजूर्गों के आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि बढती  है.
घर में बच्चे और वृद्ध खुश रहते है उस घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
आप  ने  जाना की खराब आदतों के  कारण  से  आप अपने   ग्रहों को खराब कर  रहे  है। अपने  आप  को  बदलकर देखिए,और ग्रहों के खराब प्रभाव ठीक कीजये। 

Thursday, September 18, 2014

कुंडली से जाने तलाक के कारण :Divorce in astrology:Astrology Simplified video,

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Housi Lal Chourey कुंडली से जाने तलाक के कारण  :
Divorce in astrology:
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कुंडली से जाने तलाक के कारण  
जन्म पत्रिका का सप्तम स्थान होता है।

पांच हानिकर या seprative ग्रह हैं
 सूर्य / , मंगल ग्रह / , शनि और राहु केतु seprative ग्रह हैं.
 सातवें भाव विवाह का प्रतिनिधित्व करते हैं. \.
शनि के 7 वें
भाव में होनेपर  देर से शादी करना  चाहिऐ लगभग  ,28 या 30 की  उम्र मे .
मंगल ग्रह.

पति-पत्नी के बीच विवाद होते हैं।
 सातवें भाव में मंगल ग्रह साथी के साथ बहुत कुछ तर्क करता है: सातवें वीं घर में सूर्य.:  अहंकार और अभिमान का ग्रह है,
 
सातवें भाव में दुर्बल वीनस,
 सातवें भाव में राहु :
राहु सप्तम होने पर जीवन साथी व्यभिचारी होता है।
सातवें घर में केतु शादी में कोई दिलचस्पी नहीं रखता  है.
6 या 12 वें घर में बैठा 7th घर  लार्ड
तलाक का कारण बनाता है। 
ऊपर बताये गये ग्रहों ,सातवें भाव में तलाक के कारण बनते  है।.
 तलाक होने की संभावना बढ़ जाती है।
डी -9 चार्ट की  भी जाँच करनी चाहिए.
 शनि और राहु तलाक के लिए सबसे खतरनाक ग्रह हैं. शनि / राहु 7th घर के साथ कोई संबंध है  तलाक देता है
 भाव 2, 4, 5 ,7 , 8 , 11  और 12  वैवाहिक मामलों के  हैं. इन भावो कमजोर हो जाने पर और उनके लॉर्ड्स malefics साथ जुड़ने या aspected होने  पर तब विवाहित जीवन में परेशानी आती है.
  भाव के साथ जुड़े होने पर , तो शनि महा दशा 19 साल और राहु महा दशा 18 साल के लिए रहती  है . इनकी महा दशा / अंतर दशा के दौरान संघर्ष झगड़े, विवाद, गलतफहमी होती  है। 
 शादी से पहले संबंध और बाद के वैवाहिक संबंधों, शारीरिक हमला, बहुत आम हैं और कहीं भी  होता है.
benefic ग्रहों बृहस्पति, चंद्रमा, बुध और शुक्र दशा / अंतर दशा के दौरान तलाक नहीं होता है।
 सूर्य / , मंगल ग्रह / , शनि और राहु केतु seprative ग्रह की दशा या अंतर दशा आती है जब तलाक  होता है.
उपाय -
ईस्ट देव की आराधना करे।
सप्तम स्थान में स्थित क्रूर ग्रह के उपाय करे ।
मंगल   ग्रह  का दान करें। 
 गुरुवार का व्रत करें।
 माता पार्वती का पूजन करें।
सोमवार का व्रत करें।
प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। 

पीपल की परिक्रमा करें।