Monday, February 2, 2015

ज्योतिष और रोग : रोग लंबे समय के लिए क्यों रहते है ?कब रोग ठीक होगा :उपाय :Astrology and disease: why the disease for a long time ?


 ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
 कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं। ज्योतिष में रोग विचार  में  विचारणीय  सूत्र( फॉर्मूला )।
ज्योतिष में रोग विचार :
 षष्ठ स्थान 
 ग्रहों,
 राशियों, 
कारकग्रह ,  .
छः भावों का विश्लेषण:प्रथम भाव या लग्न, षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश भावों ,मारक भाव द्वितीय एवं सप्तम का रोग ,स्वास्थ्य से  संबंध है
 ज्योतिष और रोग :जन्म कुंडली शनि या राहु छठे हाउस , रोग के हाउस से जुड़े हुए हैं
तब
रोग  लंबे समय के लिए रहेगा  क्योंकि शनि या राहु धीमी गति से चलते है।
 चंद्रमा तेज से गति से चलता है तो रोग जल्द ही ठीक हो जाते हैं। 
रोग ग्रहों की  प्रकृति होते है के अनुसार होते हैं. उनके प्रभाव की अवधि भी उनकी प्रकृति के अनुसार होते हैं।
 शनि ग्रह और  बीमारी: शारीरिक कमजोरी, दर्द, पेट दर्द, घुटनों या पैरों में होने वाला दर्द, दांतों ,त्वचा सम्बन्धित रोग, अस्थिभ्रंश, मांसपेशियों से सम्बन्धित रोग, लकवा, बहरापन, खांसी, दमा, अपच, स्नायुविकार ,नेत्र रोग और खाँसी ।
 राहु और  बीमारी:मस्तिष्क सम्बन्धी विकार, यकृत सम्बन्धी विकार, निर्बलता, चेचक, पेट में कीड़े, ऊंचाई से गिरना, पागलपन, तेज दर्द, विषजनित परेशानियां,  पशुओं या जानवरों से शारीरिक कष्ट, कुष्ठ रोग, कैंसर । बुखार, दिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना ।
 कब रोग ठीक होगा : रोगकारक ग्रह की दशा अन्तर्दशा की समाप्ति के बाद  रोग ठीक होगा ।  लग्नेश , योगकारक ग्रह की दशा अन्तर्दशा प्रत्यन्तर्दशा प्रारम्भ हो जाए, तो रोग से छुटकारा प्राप्त हो सकता  हैं। शनि :रोग से जातक को लम्बे समय तक पीड़ित रहता है।  राहु :किसी रोग का कारक  होता है, तो बहुत समय तक उस रोग की पता नही हो पाता है। ऐसे में रोग अधिक अवधि तक चलता है।
रोग का निवारण के लिए मन्त्र का जाप करे  :
 त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनानमृत्योमुरक्षीय मामृतात्।।
प्रतिदिन इस मन्त्र को भोजन करते समय, ओषधि लेते
समय तीन बार इस मन्त्र का जप
करने से शरीर स्वस्थ रहता हे  और रोगों को नष्ट करता हे।
मंत्रों और हनुमान चालीसा के पाठ।
गायत्री मंत्र का पाठ। 
उपाय: ग्रहों के द्वारा उत्पन्न रोग के समय अपने सम्बंधित चिकित्सक की सलाह पर दवा का सेवन करना चाहिए। अपने ज्योतिषी की सलाह पर सम्बंधित भावः जिस से बीमारी उत्पन्न है के स्वामी की तथा कारक ग्रह से सम्बंधित उपाय करना चाहिए।
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