कुंडली से जाने विवाह का समय : नियम :
कुंडली मै नीचे बताये गये योग देखना है।
कारक :सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु
शुक्र : वैवाहिक सुख से संबंधित ग्रह है।
गुरु :स्त्रियों के लिए गुरु पति सुख प्रदाता ग्रह है।
भाव :सप्तम, द्वितीय, , पंचम, नवम, प्रथम भाव को देखे ।
ग्रह: द्वितीयेश, सप्तमेश, पंचमेश, नवमेश एवं लग्नेश को देखे ।
विशेष ग्रह: विवाह के कारक ग्रह :गुरु, शुक्र एवं चंद्र, को देखे ।
विवाह : ग्रह की दशा और अंतर्दशा में विवाह होता है।
कुंडली से जाने विवाह का समय :
- नियम:सप्तम, द्वादश, , नवम, प्रथम, दूसरा भाव,पंचम भाव एकादश भाव का संबंध या इसके स्वामी से होगा तो विवाह के योग बनते है ।
- डी 9चार्ट मे भी दिखना है।
- लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में
- नवमेश की दशा या अंतर्दशा में
- पंचमेश की दशा या, अंतर्दशा में
- प्रथम,दूसरा , पंचम , नवम और एकादश भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में।
- सप्तमेश की दशा या अंतर्दशा में।
- द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में ।
- जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह सप्तम भाव या सप्तमेश से होता है ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी विवाह होता है। - राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
- सप्तम भाव मै बैठे ग्रह की दशा या अंतर्दशा में भी विवाह होता है।
- जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है।
- गोचर: शनि, बृहस्पति का गोचर , सप्तम भाव एवं सप्तमेश को देखे तब विवाह होता है।
- जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वामी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।
बाधा के योग :
भाव दूषित हो तो अशुभ फल देते है।
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो भी बाधा आती है .
कुण्डली मे D-9 (चार्ट ) का भी आंकलन करना चाहिये ।
बाधक ग्रहो को जानकर उनका उपाय करे।
उपाय :दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।
सरल उपाय :
- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा खिलाना चाहिए। हो सके तो सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे ।
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें।
-हनुमान चालीसा का पाठ करें। -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं।
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।
- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:सूर्य के उपाय
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय।
नोट -ज्योतिषि को अपनी कुंडली जरूर दिखाइए।
ज्योतिष,वास्तु ,एक्यूप्रेशर पॉइंट्स ,हेल्थ , इन सबकी डेली टिप्स के लिए----लिंक को क्लिक करें :