गोचर : निरन्तर चलने वाला।
गोचर का फल भावानुसार शुभ-अशुभ होता है।
भ्रमण काल:
सूर्य,शुक्र,बुध का भ्रमण काल १ माह होता हैं।
चंद्र का भ्रमण काल सवा दो दिन होता हैं ।
मंगल का भ्रमण काल ५७ दिन होता हैं । गुरू का भ्रमण काल १ वर्ष होता हैं । राहु-केतु का भ्रमण काल डेढ़ वर्ष होता हैं । शनि का भ्रमण काल डेढ़ वर्ष होता हैं । ये ग्रह इतने समय में एक राशि में रहते हैं। बाद मे अपनी राशि-परिवर्तन करते हैं।
गोचर के अनुसार ग्रहों का फल :
१. सूर्य-
सूर्य जन्मकालीन राशि से ३,६,१० और ११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
२. चंद्र-
चंद्र जन्मकालीन राशि से १,३,६,७,१०,व ११ भाव में शुभ फल देता है।
बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
३. मंगल-
मंगल जन्मकालीन राशि से ३,६,११ भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
४. बुध-
बुध जन्मकालीन राशि से २,४,६,८,१० और ११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
५. गुरू-
गुरू जन्मकालीन राशि से २,५,७,९ और ११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
६. शुक्र-
शुक्र जन्मकालीन राशि से १,२,३,४,५,८,९,११ और १२ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
७. शनि-
शनि जन्मकालीन राशि से ३,६,११ भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
८. राहु-
राहु जन्मकालीन राशि से ३,६,११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
९. केतु-
केतु जन्मकालीन राशि से १,२,३,४,५,७,९ और ११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
नोट :अपनी कुंडली अच्छे ज्योतिषी को दिखाइए ।
गोचर का फल भावानुसार शुभ-अशुभ होता है।
भ्रमण काल:
सूर्य,शुक्र,बुध का भ्रमण काल १ माह होता हैं।
चंद्र का भ्रमण काल सवा दो दिन होता हैं ।
मंगल का भ्रमण काल ५७ दिन होता हैं । गुरू का भ्रमण काल १ वर्ष होता हैं । राहु-केतु का भ्रमण काल डेढ़ वर्ष होता हैं । शनि का भ्रमण काल डेढ़ वर्ष होता हैं । ये ग्रह इतने समय में एक राशि में रहते हैं। बाद मे अपनी राशि-परिवर्तन करते हैं।
गोचर के अनुसार ग्रहों का फल :
१. सूर्य-
सूर्य जन्मकालीन राशि से ३,६,१० और ११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
२. चंद्र-
चंद्र जन्मकालीन राशि से १,३,६,७,१०,व ११ भाव में शुभ फल देता है।
बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
३. मंगल-
मंगल जन्मकालीन राशि से ३,६,११ भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
४. बुध-
बुध जन्मकालीन राशि से २,४,६,८,१० और ११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
५. गुरू-
गुरू जन्मकालीन राशि से २,५,७,९ और ११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
६. शुक्र-
शुक्र जन्मकालीन राशि से १,२,३,४,५,८,९,११ और १२ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
७. शनि-
शनि जन्मकालीन राशि से ३,६,११ भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
८. राहु-
राहु जन्मकालीन राशि से ३,६,११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
९. केतु-
केतु जन्मकालीन राशि से १,२,३,४,५,७,९ और ११ वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
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