द्वितीय भाव से बनने वाले योग: अगर आपकी कुंडली में द्वितीय भाव का स्वामी अपने घर में हो अर्थात स्वराशि जिसे कहते हैं का हो तो जातक को व्यापार मैं सफलता प्राप्त होती है . कहने का अर्थ यह है कि नौकरी की जगह व्यापार करें तो उसमें अच्छी सफलता प्राप्त होती है, उदाहरण के लिए आप जो कुंडली देख रहे हैं उसमें द्वितीय भाव में शुक्र अपनी राशि में बैठा है जो कि जातक या जातिका को या व्यापार में सफलता दिलाता है.
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