कुंडली से जाने मकान, जमीन जायदाद और भौतिक सुखों कब प्राप्त होगे ?
ज्योतिषीय नियम हैं जो घटना के समय बताने में सहायक होते हैं .
घटना के समय को जानने के लिए - .
लग्न और लग्नेश को देखा जाता है।
घटना का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन है ।
भाव का कारक ग्रह कौन है।
भाव में कौन कौन से ग्रह हैं।
भाव पर किस ग्रह की दृष्टि।
कौन से ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये।
इन सभी का अध्ययन करने से किसी भी घटना का समय जाना जा सकता है।
मकान, जमीन-जायदाद और भौतिक सुखों को चतुर्थ भाव से देखना
चाहिए । चतुर्थ भाव का स्वामी, कारक ग्रह, चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह, चतुर्थ भाव पर पड़ने वाली ग्रह की दृष्टियां।इन सब का विष्लेशण कर के ही पता लगता की जातक को मकान, जमीन-जायदाद का सुख प्राप्त होगा या नहीं। चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह यदि शुभ हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टियां हों। चतुर्थ भाव और चतुर्थेश शुभ प्रभाव में हों. जातक को भौतिक सुख प्राप्त होने मे साहयक होते हैं। जो ग्रह चतुर्थ भाव पर शुभ प्रभाव डालते हैं उन्हीं की दशा-अंतर्दशा और गोचर भी चतुर्थ भाव प्रभाव डालते हैं उस समय जातक को मकान, जमीन जायदाद और अन्य भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।सुखों में कुछ अचल और कुछ चल होते हैं। शनि, मंगल आदि का गोचर और दशा अंतर्दशा के कारण अचल संपत्ति देता है और शुक्र, चंद्र चल सुख जैसे वाहन इत्यादि देते है ।
अब हम आपको कुछ वो योग बता रहे हैं जो कुंडली में विद्यमान हों तो जातक को मकान, जमीन जायदाद और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
१. चतुर्थ भाव का स्वामी स्वग्रही हो
२. चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों की दॄष्टि ना होकर शुभ ग्रहों की दॄष्टि हो अथवा स्वयं चतु सप्तम भाव को देखता हो.
३. चतुर्थ भाव का स्वामी कोई नीच ग्रह ना हो यदि चतुर्थ भाव में कोई उच्च ग्रह हो तो अति सुंदर योग होता है.
४. चतुर्थ भाव में कोई पाप ग्रह ना होकर शुभ ग्रह विद्यमान हों और षष्ठेश या अष्टमेश की उपस्थिति चतुर्थ भाव में कदापि नही होनी चाहिये.
५. चतुर्थ भाव का स्वामी को षष्ठ, अष्टम एवम द्वादश भाव में नहीं होना चाहिये. चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ कोई पाप ग्रह भी नही होना चाहिये साथ ही स्वयं चतुर्थ भाव का स्वामी नीच का नही होना चाहिये.
६. चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च राशिगत होकर केंद्र त्रिकोण में हो.
७. मंगल भी बलवान हो. मंगल पर राहु की युति अथवा दॄष्टि प्रभाव नही होना चाहिये.
ज्योतिषीय नियम हैं जो घटना के समय बताने में सहायक होते हैं .
घटना के समय को जानने के लिए - .
लग्न और लग्नेश को देखा जाता है।
घटना का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन है ।
भाव का कारक ग्रह कौन है।
भाव में कौन कौन से ग्रह हैं।
भाव पर किस ग्रह की दृष्टि।
कौन से ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये।
इन सभी का अध्ययन करने से किसी भी घटना का समय जाना जा सकता है।
मकान, जमीन-जायदाद और भौतिक सुखों को चतुर्थ भाव से देखना
चाहिए । चतुर्थ भाव का स्वामी, कारक ग्रह, चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह, चतुर्थ भाव पर पड़ने वाली ग्रह की दृष्टियां।इन सब का विष्लेशण कर के ही पता लगता की जातक को मकान, जमीन-जायदाद का सुख प्राप्त होगा या नहीं। चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह यदि शुभ हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टियां हों। चतुर्थ भाव और चतुर्थेश शुभ प्रभाव में हों. जातक को भौतिक सुख प्राप्त होने मे साहयक होते हैं। जो ग्रह चतुर्थ भाव पर शुभ प्रभाव डालते हैं उन्हीं की दशा-अंतर्दशा और गोचर भी चतुर्थ भाव प्रभाव डालते हैं उस समय जातक को मकान, जमीन जायदाद और अन्य भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।सुखों में कुछ अचल और कुछ चल होते हैं। शनि, मंगल आदि का गोचर और दशा अंतर्दशा के कारण अचल संपत्ति देता है और शुक्र, चंद्र चल सुख जैसे वाहन इत्यादि देते है ।
अब हम आपको कुछ वो योग बता रहे हैं जो कुंडली में विद्यमान हों तो जातक को मकान, जमीन जायदाद और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
१. चतुर्थ भाव का स्वामी स्वग्रही हो
२. चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों की दॄष्टि ना होकर शुभ ग्रहों की दॄष्टि हो अथवा स्वयं चतु सप्तम भाव को देखता हो.
३. चतुर्थ भाव का स्वामी कोई नीच ग्रह ना हो यदि चतुर्थ भाव में कोई उच्च ग्रह हो तो अति सुंदर योग होता है.
४. चतुर्थ भाव में कोई पाप ग्रह ना होकर शुभ ग्रह विद्यमान हों और षष्ठेश या अष्टमेश की उपस्थिति चतुर्थ भाव में कदापि नही होनी चाहिये.
५. चतुर्थ भाव का स्वामी को षष्ठ, अष्टम एवम द्वादश भाव में नहीं होना चाहिये. चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ कोई पाप ग्रह भी नही होना चाहिये साथ ही स्वयं चतुर्थ भाव का स्वामी नीच का नही होना चाहिये.
६. चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च राशिगत होकर केंद्र त्रिकोण में हो.
७. मंगल भी बलवान हो. मंगल पर राहु की युति अथवा दॄष्टि प्रभाव नही होना चाहिये.
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