बृहस्पति ग्रह के अशुभ ,खराब और बीमारी होने के संकेत:
विवाह में विलंब होना ।
सोना खोना।
चोटी के बाल उड़न।
शिक्षा में बाधा होती है ।
अपयश का शिकार होना ।
मान-सम्मान की हानि।
रोजगार से संबंधित परेशानी।
विवाह में देरी.. पेट में पीड़ा।
व्यर्थ की लंबी यात्राएं।
विवाह में विलंब होना ।
सोना खोना।
चोटी के बाल उड़न।
शिक्षा में बाधा होती है ।
अपयश का शिकार होना ।
पिता, दादा, नाना को कष्ट देना।
साधु संतों को कष्ट देना ।
घर में हवा आने वाले रास्ते खराब हैं ।
दक्षिण का द्वार का खराब होना ।
ईशान कोण का दूषित होना ।
दाढ़ी का बढ़ना ।
सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं ।
पिता से विवाद होना ।
अकारण झूठ बोलना ।
शराब पीने और मांस खाने से ।
अविद्या, संतान चिंता, दुर्भाग्य, अपमान, अशुभफल तथा धन की तंगी देता है।
गुरु की बीमारी :
श्वास रोग, वायु विकार, फेफड़ों में दर्द ।
अस्थमा, दमा, श्वास के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द का होना ।
पेचिश, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी का होना ।
अविद्या, संतान चिंता, दुर्भाग्य, अपमान, अशुभफल तथा धन की तंगी देता है।
गुरु ग्रह के उपाय:
केले की जड़ को पीले कपड़े में बांधकर पीले धागे में गुरुवार को धारण करना चाहिए ।
यज्ञ में पीपल को समिधा के रूप में काम में लिया जाता है।
‘’ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’’ पाठ करने से लाभ होता है।:
ऊँ बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जप करना ।
हल्दी की गांठ गले में पहनना ।
गाय को बेसन के लड्डू खिलाना ।
ब्राह्मणों की सेवा करना ।
अनुशासन, ईमानदार एवं कर्त्तव्यनिष्ठ होना ।
ब्रह्माजी की पूजा करना ।
केले के वृक्ष की पूजा करना , पीपल की करना ।
पीली वस्तुओं (बूंदी के लडडू, पीले वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, पीले फल) का दान करना ।
पुखराज सोने की अंगूठी में धारण करना।
केले की जड़ या हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में गले में धारण करे ।
पीला वस्त्र धारण करना चाहिए।
बेसन की सब्जी, मिठाई, चना दाल, पपीता, आम, केला का सेवन करना चाहिए।
मंदिर के पुजारी या शिक्षक को पीला वस्त्र, धार्मिक पुस्तक या पीले खाद्य पदार्थ दान करना चाहिए।
गुरुवार के दिन पीपल के पेड़ में बृहस्पति मंत्र जपते हुए जल अर्पण करना चाहिए।
केसर या हल्दी का तिलक लगाना चाहिए।
घर में पीले पुष्प गमलों में लगाना चाहिए।
विष्णु की पूजा आराधना करना चाहिए।
शिक्षक, ब्राह्मण, साधु, विद्वान, पति, संतान का दिल नही दु:खाना चाहिए।
बृहस्पतिवार के दिन फलाहार वृक्ष लगाएं और फलों का दान करें।
11.हल्दी की गांठ या केला-जड़ को पीले कपड़े में बांह पर बांधें।
बेसन की सब्जी, मिठाई, चना दाल, पपीता, आम, केला का सेवन करना चाहिए।
मकान का द्वार, खिड़की और रोशनदान सही दिशा में रखना चाहिए।
नाक, कान और दांत हमेशा साफ-सुथरे रखना चाहिए ।
पीपल का वृक्ष लगाना चाहिए।
सच बोलने का कोशिश करें।
पीपल में जल चढ़ाना चाहिए।
आचरण को शुद्ध रखना चाहिए।
पिता, दादा और गुरु का आदर करना चाहिए।
गुरु बनाना चाहिए।
घर में धूप-दीप देना चाहिए।
केसर या चंदन का तिलक लगाएं चाहिए ।
सात्विक भोजन करना चाहिए।
काले, कत्थई, लाल, मेहरून, हरे और भूरे रंग का उपयोग करने से बचें। पीले, गुलाबी, नीले और सफेद रंग का इस्तेमाल अधिक करें।
हर गुरुवार चने की दाल का दान करना चाहिए ।
गुरु शुभ होने पर: धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित करता है।
धर्म संबंधी कार्यों में विशेष लाभ प्राप्त होता है।
भाग्य का ठीक रहता है।
चीनी, केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक, मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजन दान करना।
केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए ।
परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा दान करना शुभ होता है।
गुरूवार को भीगी चना दाल, गुड़, केला गाय को खिलाना ।
केले के पेड़ की पूजा करना । गुरू गायत्री मंत्र या "?
गुं गुरूवे नम:" का जप करना ।
बेसन का लड्डू विष्णु-लक्ष्मी मंदिर में चढ़ाएं।
गुरूवार को पीले वस्त्र में चने की दाल, कच्ची हल्दी की गांठ, गुड़, दक्षिणा सहित मंदिर में चढ़ाएं।
पीले फूल, केसर या केवड़े का दूध प्रयोग करना।
मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
मन्दिर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
नोट : उपरोक्त में से कुछ उपाय कुंडली की पूरी जांच किए बगैर नहीं करना चाहिए।
गुरु महादशा: मंत्र ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम: का जप करन ।
भगवान विष्णु की पूजा करना ।
पीले वस्त्र धारण करना , चने की दाल, हल्दी, पीले पुष्प, पीला नैवेद्य, गुड़ दान करना ।
साथ ही सुनैला या पुखराज तर्जनी उंगली में धारण करना ।
विवाह में विलंब होना ।
सोना खोना।
चोटी के बाल उड़न।
शिक्षा में बाधा होती है ।
अपयश का शिकार होना ।
मान-सम्मान की हानि।
रोजगार से संबंधित परेशानी।
विवाह में देरी.. पेट में पीड़ा।
व्यर्थ की लंबी यात्राएं।
विवाह में विलंब होना ।
सोना खोना।
चोटी के बाल उड़न।
शिक्षा में बाधा होती है ।
अपयश का शिकार होना ।
पिता, दादा, नाना को कष्ट देना।
साधु संतों को कष्ट देना ।
घर में हवा आने वाले रास्ते खराब हैं ।
दक्षिण का द्वार का खराब होना ।
ईशान कोण का दूषित होना ।
दाढ़ी का बढ़ना ।
सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं ।
पिता से विवाद होना ।
अकारण झूठ बोलना ।
शराब पीने और मांस खाने से ।
अविद्या, संतान चिंता, दुर्भाग्य, अपमान, अशुभफल तथा धन की तंगी देता है।
गुरु की बीमारी :
श्वास रोग, वायु विकार, फेफड़ों में दर्द ।
अस्थमा, दमा, श्वास के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द का होना ।
पेचिश, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी का होना ।
अविद्या, संतान चिंता, दुर्भाग्य, अपमान, अशुभफल तथा धन की तंगी देता है।
गुरु ग्रह के उपाय:
केले की जड़ को पीले कपड़े में बांधकर पीले धागे में गुरुवार को धारण करना चाहिए ।
यज्ञ में पीपल को समिधा के रूप में काम में लिया जाता है।
‘’ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’’ पाठ करने से लाभ होता है।:
ऊँ बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जप करना ।
हल्दी की गांठ गले में पहनना ।
गाय को बेसन के लड्डू खिलाना ।
ब्राह्मणों की सेवा करना ।
अनुशासन, ईमानदार एवं कर्त्तव्यनिष्ठ होना ।
ब्रह्माजी की पूजा करना ।
केले के वृक्ष की पूजा करना , पीपल की करना ।
पीली वस्तुओं (बूंदी के लडडू, पीले वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, पीले फल) का दान करना ।
पुखराज सोने की अंगूठी में धारण करना।
केले की जड़ या हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में गले में धारण करे ।
पीला वस्त्र धारण करना चाहिए।
बेसन की सब्जी, मिठाई, चना दाल, पपीता, आम, केला का सेवन करना चाहिए।
मंदिर के पुजारी या शिक्षक को पीला वस्त्र, धार्मिक पुस्तक या पीले खाद्य पदार्थ दान करना चाहिए।
गुरुवार के दिन पीपल के पेड़ में बृहस्पति मंत्र जपते हुए जल अर्पण करना चाहिए।
केसर या हल्दी का तिलक लगाना चाहिए।
घर में पीले पुष्प गमलों में लगाना चाहिए।
विष्णु की पूजा आराधना करना चाहिए।
शिक्षक, ब्राह्मण, साधु, विद्वान, पति, संतान का दिल नही दु:खाना चाहिए।
बृहस्पतिवार के दिन फलाहार वृक्ष लगाएं और फलों का दान करें।
11.हल्दी की गांठ या केला-जड़ को पीले कपड़े में बांह पर बांधें।
बेसन की सब्जी, मिठाई, चना दाल, पपीता, आम, केला का सेवन करना चाहिए।
मकान का द्वार, खिड़की और रोशनदान सही दिशा में रखना चाहिए।
नाक, कान और दांत हमेशा साफ-सुथरे रखना चाहिए ।
पीपल का वृक्ष लगाना चाहिए।
सच बोलने का कोशिश करें।
पीपल में जल चढ़ाना चाहिए।
आचरण को शुद्ध रखना चाहिए।
पिता, दादा और गुरु का आदर करना चाहिए।
गुरु बनाना चाहिए।
घर में धूप-दीप देना चाहिए।
केसर या चंदन का तिलक लगाएं चाहिए ।
सात्विक भोजन करना चाहिए।
काले, कत्थई, लाल, मेहरून, हरे और भूरे रंग का उपयोग करने से बचें। पीले, गुलाबी, नीले और सफेद रंग का इस्तेमाल अधिक करें।
हर गुरुवार चने की दाल का दान करना चाहिए ।
गुरु शुभ होने पर: धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित करता है।
धर्म संबंधी कार्यों में विशेष लाभ प्राप्त होता है।
भाग्य का ठीक रहता है।
चीनी, केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक, मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजन दान करना।
केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए ।
परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा दान करना शुभ होता है।
गुरूवार को भीगी चना दाल, गुड़, केला गाय को खिलाना ।
केले के पेड़ की पूजा करना । गुरू गायत्री मंत्र या "?
गुं गुरूवे नम:" का जप करना ।
बेसन का लड्डू विष्णु-लक्ष्मी मंदिर में चढ़ाएं।
गुरूवार को पीले वस्त्र में चने की दाल, कच्ची हल्दी की गांठ, गुड़, दक्षिणा सहित मंदिर में चढ़ाएं।
पीले फूल, केसर या केवड़े का दूध प्रयोग करना।
मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
मन्दिर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
नोट : उपरोक्त में से कुछ उपाय कुंडली की पूरी जांच किए बगैर नहीं करना चाहिए।
गुरु महादशा: मंत्र ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम: का जप करन ।
भगवान विष्णु की पूजा करना ।
पीले वस्त्र धारण करना , चने की दाल, हल्दी, पीले पुष्प, पीला नैवेद्य, गुड़ दान करना ।
साथ ही सुनैला या पुखराज तर्जनी उंगली में धारण करना ।
किसी विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें।
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