शनि ग्रह के अशुभ ,खराब और बीमारी होने के संकेत:
अशुभ शनि के लक्षण ?
नशा करने का लत । सट्टे/ जुए का आदत । अनावश्यक झूठ बोलना ।
अवैध एवं अनैतिक संबंध।
जमीन, प्लाट, मकान में समस्या एवं विवाद।
मांसाहार की ओर प्रवृत्ति।भाइयों में विवाद/ दुश्मनी।
नौकरी-धंधे: व्यवधान, नौकरी छूटना, अनचाही जगह पर तबादला, पदोन्नति में बाधाएँ, व्यापार-व्यवसाय में मंदी, घाटा, दिवाला, कर्ज,
बीमारी :दुर्घटना में कोई हड्डी टूट जाए।चेहरे पर थकान, तनाव, बड़ी दाड़ी। जवानी में ही बुढ़ापे के रोग , जोड़ों में दर्द रहने लगे।आंखें कमजोर हो जाती है, कमर दर्द ।बाल झड़ना : बाल संबंधी कोई बीमारी ।
विद्यार्थी : पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता ।
विवाह : ससुराल पक्ष की आर्थिक हानि।
मकान : निर्माण कोई अशुभ घटना हो जाए।मन : बुराई , कुसंगति, नशे , धन एवं शरीर का नाश ।
आलस्य :कार्य करने की इच्छा ना हो।
जूते-चप्पल : बार-बार टूटना, गुम होना ।
व्यवसाय :आपका पार्टनर गबन , धोखा दे।घर: में कलेश , मित्रों और रिश्तेदारों से विवाद।
चोरी का आरोप , विरुद्ध जांच, दंड या सजा मिलना।
ऋण, लोन, उधार बढ़ता जाए।
शनि के उपाय :(वार:- शनिवार):
गाय की सेवा करना । सूर्यास्त के बाद हनुमानजी की पूजा सिंदूर, काली तिल्ली का तेल, इस तेल का दीपक एवं नीले रंग के फूल से करनी चाहिए।
शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करनी और सरसों के तेल का दीप जलाना चाहिए ।
शमी वृक्ष की जड़ को काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें।
बंदरों और कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाना चाहिए । काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करना चाहिए।
शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।
मांस, मदिरा का सेवन न करें।
लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर पहनना चाहिए।
मंत्र का जाप करना चाहिए:
वैदिक मंत्र- ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
लघु मंत्र- ऊं ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
भैरवजी की उपासना करें और काले तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए
काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को धारण करना चाहिए।
शनि ग्रह कि शांति :ग़रीब और वृद्ध को ,काला कपड़ा, साबुत उड़द, लोहा, यथा संभव दक्षिणा, तेल, काला पुष्प, काले तिल, चमड़ा, काला वस्त्र, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, काले कंबल का दान करना चाहिए।
लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए. रोटी पर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए.
हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ करना चाहिए।
गरीब, वृद्ध एवं कर्मचारियो के प्रति अच्छा व्यवहार रखना , मोर पंख धारण करना।
शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ और लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में दान करना चाहिए।
गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चाहिए। आलस्य, , ढिलाई, सुस्ती, जिम्मेदारी से बचना, दान॰उड़द, तिल, सभी तेल,लौह धातु, काला छाता,नीलम रत्न, काली गाय,काले वस्त्र, काले जूते,काली कम्बल, स्वर्ण,आदि का अनुदान !"शनि मन्त्र"ॐ ऐं ह्रीँ श्रीँ शनैश्चरायनम: ।जप संख्या 23000संध्याकाल !ॐ प्रां प्रीं प्रौँ स: शनये नम:ॐ शं शनैश्चराय नम: !
चांदी धारण करें। घर को व्यस्थित रखें। मुस्कराकर स्वागत करें। साधू, संतों, विद्वानों के साथ बैठकर ज्ञान की चर्चा करें। बदजुबानी पर लगाम लगाएं। गरीबों की, असहायों की, गाय की सेवा करें। पति -पत्नी प्रेम से रहें।
अशुभ शनि के लक्षण ?
नशा करने का लत । सट्टे/ जुए का आदत । अनावश्यक झूठ बोलना ।
अवैध एवं अनैतिक संबंध।
जमीन, प्लाट, मकान में समस्या एवं विवाद।
मांसाहार की ओर प्रवृत्ति।भाइयों में विवाद/ दुश्मनी।
नौकरी-धंधे: व्यवधान, नौकरी छूटना, अनचाही जगह पर तबादला, पदोन्नति में बाधाएँ, व्यापार-व्यवसाय में मंदी, घाटा, दिवाला, कर्ज,
बीमारी :दुर्घटना में कोई हड्डी टूट जाए।चेहरे पर थकान, तनाव, बड़ी दाड़ी। जवानी में ही बुढ़ापे के रोग , जोड़ों में दर्द रहने लगे।आंखें कमजोर हो जाती है, कमर दर्द ।बाल झड़ना : बाल संबंधी कोई बीमारी ।
विद्यार्थी : पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता ।
विवाह : ससुराल पक्ष की आर्थिक हानि।
मकान : निर्माण कोई अशुभ घटना हो जाए।मन : बुराई , कुसंगति, नशे , धन एवं शरीर का नाश ।
आलस्य :कार्य करने की इच्छा ना हो।
जूते-चप्पल : बार-बार टूटना, गुम होना ।
व्यवसाय :आपका पार्टनर गबन , धोखा दे।घर: में कलेश , मित्रों और रिश्तेदारों से विवाद।
चोरी का आरोप , विरुद्ध जांच, दंड या सजा मिलना।
ऋण, लोन, उधार बढ़ता जाए।
शनि के उपाय :(वार:- शनिवार):
गाय की सेवा करना । सूर्यास्त के बाद हनुमानजी की पूजा सिंदूर, काली तिल्ली का तेल, इस तेल का दीपक एवं नीले रंग के फूल से करनी चाहिए।
शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करनी और सरसों के तेल का दीप जलाना चाहिए ।
शमी वृक्ष की जड़ को काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें।
बंदरों और कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाना चाहिए । काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करना चाहिए।
शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।
मांस, मदिरा का सेवन न करें।
लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर पहनना चाहिए।
मंत्र का जाप करना चाहिए:
वैदिक मंत्र- ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
लघु मंत्र- ऊं ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
भैरवजी की उपासना करें और काले तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए
काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को धारण करना चाहिए।
शनि ग्रह कि शांति :ग़रीब और वृद्ध को ,काला कपड़ा, साबुत उड़द, लोहा, यथा संभव दक्षिणा, तेल, काला पुष्प, काले तिल, चमड़ा, काला वस्त्र, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, काले कंबल का दान करना चाहिए।
लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए. रोटी पर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए.
हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ करना चाहिए।
गरीब, वृद्ध एवं कर्मचारियो के प्रति अच्छा व्यवहार रखना , मोर पंख धारण करना।
शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ और लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में दान करना चाहिए।
गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चाहिए। आलस्य, , ढिलाई, सुस्ती, जिम्मेदारी से बचना, दान॰उड़द, तिल, सभी तेल,लौह धातु, काला छाता,नीलम रत्न, काली गाय,काले वस्त्र, काले जूते,काली कम्बल, स्वर्ण,आदि का अनुदान !"शनि मन्त्र"ॐ ऐं ह्रीँ श्रीँ शनैश्चरायनम: ।जप संख्या 23000संध्याकाल !ॐ प्रां प्रीं प्रौँ स: शनये नम:ॐ शं शनैश्चराय नम: !
चांदी धारण करें। घर को व्यस्थित रखें। मुस्कराकर स्वागत करें। साधू, संतों, विद्वानों के साथ बैठकर ज्ञान की चर्चा करें। बदजुबानी पर लगाम लगाएं। गरीबों की, असहायों की, गाय की सेवा करें। पति -पत्नी प्रेम से रहें।
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