चन्द्र के अशुभ ,खराब और बीमारी होने के संकेत:
दूध देने वाला जानवर का मर जाना ।
माता का बीमार हो जाना।
जलस्रोतों का सूख जाना।
क्षमता क्षीण होना ।
राहु, केतु या शनि के साथ या दृष्टि चन्द्र पर होना ।
मानसिक रोगों का होना ।
दिल, बायां भाग ।
मिर्गी ।
पागलपन।
बेहोशी।
फेफड़े संबंधी रोग।
मासिक धर्म गड़बड़ होना ।
स्मरण शक्ति कमजोर होना ।
मानसिक तनाव ,मन में घबराहट।
शंका ,अनिश्चित भय।
सर्दी-जुकाम रहता है।
आत्महत्या के विचार आना ।
चंद्र ग्रह के उपाय:
प्रतिदिन माता का आशीर्वाद लेना।
शिव की भक्ति। सोमवार का व्रत।
दान :सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र,1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना।
शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, ,बैल, दही ।
मोती धारण करे ।
'ॐ सोम सोमाय नमः' का 108 बार जाप करना ।
बुजुर्गो का आशीर्वाद लें ,माता की सेवा करे, घर के बुजुगों ,साधु और ब्राह्मणों का आशीर्वाद लेना ।
रात में सिराहने के नीचे पानी रखकर सुबह उसे पौधों में डालना ।
उत्तरी पश्चिमी कोना चंद्रमा का होता है, यहां पौधे लगाए जाएं ।
जल से होने वाले पेट संबंधित रोग का होना .
मातृप्रेम में कमी का होना।
खिरनी की जड़ को सफेद कपड़े में बांधकर पूर्णमाशी को सायंकाल गले में धारण करना ।
देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए।
चन्द्रमा की रोशनी मैं सोना चाहिए।
घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर रखे।
पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए।
सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगावे।
खिरनी की जड़ को सफेद डोरे में बांधकर पहनने से लाभ होता है।
हवन में पलाश की लकड़ी का समिधा की तरह उपयोग करना चाहिए।
’ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’’ का पाठ करे ।
माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट नही देना चाहिए।
ऊँ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करें।
ऊँ नमः शिवाय का जप करें।
चांदी का कड़ा या छल्ला पहनना चाहिए।
चंदन का तिलक लगाना चाहिए।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए ।
पलंग के नीचे चांदी के बर्तन में जल रखें या चांदी के आभूषण धारण करना चाहिए । गन्ना, सफेद गुड़, शक्कर, दूध या दूध से बने पदार्थ या सफेद रंग की मिठाई का सेवन करना चाहिए ।
चमेली तथा रातरानी का परफ्यूम या इत्र का उपयोग करता चाहिए ।
शुभ चन्द्र होने के संकेत:
धनवान और दयालु ।
सुख और शांति ।
भूमि और भवन।
नोट : उपरोक्त में से कुछ उपाय कुंडली की पूरी जांच किए बगैर नहीं करना चाहिए। किसी विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें।
दूध देने वाला जानवर का मर जाना ।
माता का बीमार हो जाना।
जलस्रोतों का सूख जाना।
क्षमता क्षीण होना ।
राहु, केतु या शनि के साथ या दृष्टि चन्द्र पर होना ।
मानसिक रोगों का होना ।
दिल, बायां भाग ।
मिर्गी ।
पागलपन।
बेहोशी।
फेफड़े संबंधी रोग।
मासिक धर्म गड़बड़ होना ।
स्मरण शक्ति कमजोर होना ।
मानसिक तनाव ,मन में घबराहट।
शंका ,अनिश्चित भय।
सर्दी-जुकाम रहता है।
आत्महत्या के विचार आना ।
चंद्र ग्रह के उपाय:
प्रतिदिन माता का आशीर्वाद लेना।
शिव की भक्ति। सोमवार का व्रत।
दान :सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र,1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना।
शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, ,बैल, दही ।
मोती धारण करे ।
'ॐ सोम सोमाय नमः' का 108 बार जाप करना ।
बुजुर्गो का आशीर्वाद लें ,माता की सेवा करे, घर के बुजुगों ,साधु और ब्राह्मणों का आशीर्वाद लेना ।
रात में सिराहने के नीचे पानी रखकर सुबह उसे पौधों में डालना ।
उत्तरी पश्चिमी कोना चंद्रमा का होता है, यहां पौधे लगाए जाएं ।
जल से होने वाले पेट संबंधित रोग का होना .
मातृप्रेम में कमी का होना।
खिरनी की जड़ को सफेद कपड़े में बांधकर पूर्णमाशी को सायंकाल गले में धारण करना ।
देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए।
चन्द्रमा की रोशनी मैं सोना चाहिए।
घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर रखे।
पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए।
सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगावे।
खिरनी की जड़ को सफेद डोरे में बांधकर पहनने से लाभ होता है।
हवन में पलाश की लकड़ी का समिधा की तरह उपयोग करना चाहिए।
’ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’’ का पाठ करे ।
माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट नही देना चाहिए।
ऊँ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करें।
ऊँ नमः शिवाय का जप करें।
चांदी का कड़ा या छल्ला पहनना चाहिए।
चंदन का तिलक लगाना चाहिए।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए ।
पलंग के नीचे चांदी के बर्तन में जल रखें या चांदी के आभूषण धारण करना चाहिए । गन्ना, सफेद गुड़, शक्कर, दूध या दूध से बने पदार्थ या सफेद रंग की मिठाई का सेवन करना चाहिए ।
चमेली तथा रातरानी का परफ्यूम या इत्र का उपयोग करता चाहिए ।
शुभ चन्द्र होने के संकेत:
धनवान और दयालु ।
सुख और शांति ।
भूमि और भवन।
नोट : उपरोक्त में से कुछ उपाय कुंडली की पूरी जांच किए बगैर नहीं करना चाहिए। किसी विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें।
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