शुक्र ग्रह के अशुभ ,खराब और बीमारी होने के संकेत:
प्रमेह, मूत्राशय, चर्म, सेक्स संबंधी बीमारी का होना ।
शुक्र स्त्री, वाहन और धन सुख पैर प्रभाव डालता है।
दक्षिण-पूर्व दिशा के दूषित होने से भी शुक्र ग्रह खराब फल देता है।
दांत खराब होना ।
अनैतिक या पराई स्त्री से यौन संबंध बनाना ।
पत्नी या पति से अनावश्यक कलह होना ।
शारीरिक रूप से गंदे बने रहना, गंदे-फटे कपड़े पहनना ।
घर की साफ-सफाई को नही रखना ।
घर का बेडरूम और किचन खराब रखना ।
घर में काले, कत्थई रंगों की अधिकता ।
गृह कलह होता है और धन-दौलत नष्ट होने लगती ।
घर की दक्षिण-पूर्व दिशा को का वास्तु ठीक न होना ।
गाल, ठुड्डी और नसों की बीमारी ।
वायु प्रकोप, संतान उत्पन्न करने में अक्षमता, दुर्बल शरीर, अतिसार, अजीर्ण ।
मनं में चंचलता रहती है, एकाग्रता नहीं हो पाती |
खान पान में अरुचि, भोग विलास में रूचि और धन का नाश होता है |
चर्म रोग हो जाता है।
स्वप्न दोष की शिकायत रहती है।
वीर्य की कमी का होना ।
यौन रोग होना । कामेच्छा की कमी हो जाती है।
अंगूठे में दर्द का बना रहना ।
शरीर में त्वचा संबंधी रोगो का उत्पन्न होना ।
अंतड़ियों के रोग।
गुर्दे का दर्द।
पांव में तकलीफ ।
शुक्र ग्रह के उपाय:
माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करे |
श्री सूक्त का पाठ करे |
खोये के मिस्ठान व मिश्री का भोग |
ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करे |
कन्या भोजन कराये |
ज्वार दान करें।
गरीब बच्चो व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री |
नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले ।
अन्न का दान करे |
ॐ सुं शुक्राय नमः का १०८ बार नित्य जाप |
दान ,शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शुक्र ग्रह के देवता की आराधना और उनके जाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में करना |
श्वेत रत्न, चाँदी, चावल, दूध, सफेद कपड़ा, घी, सफेद फूल, धूप, अगरबत्ती, इत्र, सफेद चंदन दान रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दानें।
सफेद वस्त्र का प्रयोग करें।
चांदी, चावल, दूध, दही, श्वेत चंदन, सफेद वस्त्र तथा सुगंधित पदार्थ किसी पुजारी की पत्नी को दान ।
त्रिफला, दालचीनी, कमल गट्टे, मिश्री, मूली या सफेद शलजम का उपयोग आहार में करना ।
सफेद फूल, चंदन या कपूर की सुगंध शुभ ।
चंदन के तेल में कपूर डालकर उपयोग करना ।
काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
किसी कन्या के विवाह में कन्यादान अवसर करना चाहिए।
किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान ।
शुक्रवार के दिन व्रत रखें. मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें. ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं.छोटी इलायची का सेवन ।
घर में तुलसी का पौधा लगाएं।
श्वेत चंदन का तिलक ।
पानी में चंदन मिलाकर स्नान ।
शुक्रवार के दिन गाय/गौशाला में हरा चारा ।
सुगंधित पदार्थ का इस्तेमाल ।
शुक्रवार का व्रत रखना चाहिए।
खटाई नही खाना चाहिए।
स्त्री का सम्मान करना चाहिए, पत्नी को खुश रखना चाहिए।
पराई स्त्री से संबंध नही रखना चाहिए।
गृह कलह छोड़कर परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से रहना चाहिए।
घर को वास्तु अनुसार ठीक करना चाहिए।
सफेद वस्त्र दान करना चाहिए।
भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को देना चाहिए।
स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
हमेशा साफ कपड़े पहना चाहिए ।
नित्य नहाना चाहिए।
शरीर को गंदा नही रखना चाहिए।
सुगंधित इत्र या सेंट का उपयोग करना चाहिए।
सुहागिनों के समय-समय पर सुहाग की वस्तुएं देना चाहिए।
मां लक्ष्मी की उपासनाकरें , खीर का दान करें।
सरपोंखा की जड़ को चमकीले धागे में बांधकर धारण करना । गूलर की समिधा को शुक्र शांति के यज्ञ में इस्तेमाल करना ।
शुभ शुक्र के फल :
गृहस्थ जीवन का सुख मिलना ।
शरीर पुष्ट और सुंदर होता ।
स्त्री सुख का मिलना । आत्मविश्वास बढ़ना ।
भूमि, धन, मकान और वाहन का सुख होना ।
ऐशो-आराम में मिलना ।
फिल्म, काव्य, स्त्री और साहित्य में रुचि रखना ।
शुक्र महादशा: ॐ शुं शुक्राय नम: का जप।
मां लक्ष्मी की पूजा। श्रीसूक्त का पाठ करना ।
शुक्र की वस्तुओं का दान व हीरा या ओपल धारण करना ।
किसी विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें।
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