Friday, February 27, 2015

ज्योतिष :ग्रह उच्च राशि मे होने से क्या दान नहीं करना चाहिए :Astrology: What should not donate:

 कुंडली में जो ग्रह उच्च राशि या अपनी स्वयं की राशि में स्थित हों तो उससे सम्बन्धित दान नहीं करना चाहिए। जो ग्रह कुंडली में नीच राशि हैं ,उनसे सम्बंधित वस्तुएं दान करें। नीच  ग्रह से सम्बन्धित दान कभी लेना नहीं चाहिए।
कुंडली  से जाने की कौन सा ग्रह किस राशी पर उच्च का होकर शुभ फल देता हें और किस राशी में नीच का होकर अशुभ  परिणाम/फल देता हें.
- सूर्य ग्रह मेष राशी में उच्च का होकर शुभ फल देता हें और तुला राशी में नीच का होकर अशुभ फल देता हें.
-चन्द्रमा ग्रह वृषभ राशी में उच्च का होकर शुभ फल देता हें और वृश्चिक में नीच का होकर अशुभ फल देता हें.
-मंगल ग्रह मकर में उच्च का होकर शुभ फल देता हें और कर्क में नीच का फल होकर अशुभ फल देता हें.
-बुध ग्रह कन्या में उच्च का होकर शुभ फल देता हें का और मीन में नीच का होकर अशुभ फल देता हें.
-गुरु ग्रह कर्क में उच्च का होकर शुभ फल देता हें और मकर में नीच का होकर अशुभ फल देता हें.
-शुक्र ग्रह मीन में उच्च का होकर शुभ फल देता हें और कन्या में नीच का होकर अशुभ फल देता हें.

-शनि ग्रह तुला में उच्च का होकर शुभ फल देता हें और मेष में नीच का होकर अशुभ फल देता हें.
-राहू ग्रह  मिथुन में उच्च का होकर शुभ फल देता हें  और धनु में नीच का होकर अशुभ फल देता हें ...-

-केतु ग्रह धनु में उच्च का होकर शुभ फल देता हें और मिथुन में नीच का होकर अशुभ फल देता हें ...
 कुंडली में जो ग्रह उच्च राशि  मे होने से  क्या दान नहीं करना चाहिए :
सूर्य : लाल चंदन, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, स्वर्ण, माणिक्य, घी , केसर का दान ।
चंद्रमा : चांदी,चावल, सफेद चंदन, मोती, शंख, कर्पूर, दही, मिश्री
का दान
मंगल : स्वर्ण, गुड़, घी, लाल वस्त्र, कस्तूरी, केसर,  मसूर की दाल, मूंगा, ताम्बे के बर्तन
का दान
बुध : कांसे का पात्र, मूंग, फल, पन्ना, स्वर्ण
का दान
गुरु : चने की दाल, धार्मिक पुस्तकें, पुखराज, पीला वस्त्र, हल्दी, केसर, पीले फल
का दान
शुक्र : चांदी, चावल, मिश्री, दूध, दही, इत्र, सफेद चंदन
का दान
शनि : लोहा, उड़द की दाल, सरसों का तेल, काले वस्त्र, जूते व नीलम का दान ।
राहु : तिल, सरसों, सप्तधान्य, लोहे का चाकू व छलनी व छाजला, सीसा, कम्बल, नीला वस्त्र, गोमेद का दान ।
केतु : लोहा, तिल, सप्तधान, तेल, दो रंगे या चितकबरे कम्बल या अन्य वस्त्र, शस्त्र, लहसुनिया व बहुमूल्य धातुओं में स्वर्ण का दान ।

नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिषी को  दिखाकर  इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते है ।
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ज्योतिष : अचानक धन-संपत्ति प्राप्ति के योग :लॉटरी :गुप्त धन :पैतृक संपत्ति :खजाना :Astrology: Sudden wealth gain: Lottery: Secret Money: Paternal property: Treasury

 ज्योतिष का ज्ञान रखने पर हम यह जान सकते है  की  अचानक धन-संपत्ति प्राप्ति (लॉटरी  :गुप्त धन :पैतृक संपत्ति :खजाना )के योग के लिए कुंडली  में  कई  सूत्र दिए हैं।
अचानक धन-संपत्ति प्राप्ति के सूत्र formula योग  :  
भाव :
प्रथम भाव  ।
द्वितीय धन भाव।
एकादश लाभ भाव।

पंचम प्रारब्ध एवं लक्ष्मी भाव।
अष्टम गुप्तधन भाव.
नवम भाग्य भाव।
तथा इन भावो की   स्वामी  ग्रहों को देखा जाता हैं । 
 स्वामी  ग्रहों बलाबल भी देखे ।
दशा-अंतरदशा :इन भावो के स्वामी की   अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को अचानक धन-संपत्ति प्राप्ति के योग बनते  है।
 इनके स्वामी युति, दृष्टि या परिवर्तन योग से यदि शुभ संबंध बनाते हैं, अकस्मात धन मिलता है।   
द्वितीय धन भाव ,अष्टम भाव में तथा अष्टम भाव का स्वामी  द्वितीय भाव में हो तो अकस्मात धन मिलता है।
प्रथम भाव  का स्वामी धनभाव में तथा द्वितीय भाव का स्वामी  प्रथम भाव भाव में  हो तो  अचानक धन देता है।  
लॉटरी :द्वितीयभाव एवं पंचमभाव स्थान या इनके स्वामी युति, दृष्टि या परिवर्तन योग से  लॉटरी खुलती है।      
कुंडली में धनभाव, पंचम भाव, एकादश भाव, नवम भाव का किसी भी प्रकार  इनके स्वामी से युति, दृष्टि या परिवर्तन योग से  अकस्मात धन मिलता है।
राहु-केतु :पंचम, नवम या एकादश भाव में राहु-केतु होते हैं, तो लॉटरी से  अकस्मात धन मिलता है। 
गुप्त धन: अष्टम भाव मे द्वितीय भाव का स्वामी  हो तो  जमीन में दबा हुआ, गुप्त धन मिलता  है या वसीयत द्वारा धन की प्राप्ती  होती है। 
पैतृक संपत्ति:  लग्नेश-धनेश के संबंध से या इनके स्वामी युति, दृष्टि या परिवर्तन योग से    पैतृक संपत्ति प्राप्त होती है।
माता से संपत्ति :माता से संपत्ति लग्नेश-चतुर्थेश के संबंध से या इनके स्वामी युति, दृष्टि या परिवर्तन योग से   संपत्ति प्राप्त होती है।
खजाना  :प्रथम भाव का स्वामी  शुभग्रह होकर यदि द्वितीय भाव में हो, तो खजाना प्राप्त हो सकता है।
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Thursday, February 26, 2015

ज्योतिष :ग्रह और सामाजिक रिश्ते :ग्रहों से रिश्ते ठीक करे :ग्रहों की वस्तुओं का दान :Astrology: Planets and social relationships: how to fix a relationship with planets:


 ज्योतिष के अनुसार जन्म पत्रिका के बाहर भावों में ग्रह और सामाजिक रिश्ते  अलग-अलग भाव से होते है।व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों  ग्रह स्वामी ,ग्रहों के आपसी संबंध, ग्रहों की दृष्टि,  आदि का प्रभाव व्यक्ति के संबंधों   पर पड़ता है। जो की  परिवारजनों के संबंधों को अनुकूल बनाता है।

ग्रह और संबंध :ग्रह अनुकूल होने पर ग्रहों के अनुसार संबंध ठीक रहते हैं।
सूर्य –  आप पुत्र-पुत्री या प्रेमिका से मधुर संबंध प्राप्त कर सकते हैं।
चंद्र –  मां व ससुर से अच्छे संबंध प्राप्त बना सकते हैं।
मंगल – ताऊ व ससुराल से अच्छे संबंधों के लिए। 
बुध -  आप भाई-बहन, मामा-मामी, शत्रु से अच्छे संबंध प्राप्त कर सकते हैं।
गुरु – भाई, जीजा, साली, पिता, चाचा, चाची से अच्छे संबंधों के लिए।
शुक्र – ताई, पत्नी, पति, प्रेमिका से अच्छे संबंधों के लिए।

शनि – पिता, सास, गुरु, मित्र, दामाद, पुत्रवधू व सेवक से अच्छे संबंध प्राप्त कर सकते हैं।
राहु – दादा से अच्छे संबंधों के लिए। 
केतु – नाना से अच्छे संबंधों के लिए धारण करें। 
 ग्रहों की वस्तुओं का दान करने  से ग्रह अनुकूल होने लगते  हैं और  संबंध ठीक होने  मे सहायता मिलती हैं।

सूर्य : सूर्य को जल देवे . पिता की सेवा करना चाहिए  ।  गेहूँ ,तांबे , बर्तन का दान करें।
चंद्र : मंदिर में  कच्चा दूध और चावल दान करे। माता की सेवा करना चाहिए  ।.  चावल, दुध ,चान्दी का दान करना चाहिए  ।
मंगल : मंगलवार को बंदरो को गुड और चने खिलाना चाहिए  ।  
भाई बहन की सेवा करना चाहिए  । 
साबुत, मसूर की दाल का  दान, करना चाहिए  ।
बंदर को चना खिलाना चाहिए।
बुध : ताँबे  का दान करना चाहिए ।
साबुत मूंग का दान करना चाहिए  ।
माँ दुर्गा की आराधना करनी चाहिए  ।  
मिट्ठू की सेवा करना चाहिए । 
बकरी को पत्तियाँ काखिलाना चाहिए।
बृहस्पति : केसर का तिलक लगाना चाहिए  ।  
केसर खाएँ और नाभि , जीभ पर लगाना चाहिए  ।
चने की दाल का पिली वस्तु का दान चाहिए ।
विद्वान व्यक्ति को शिक्षा सामग्री का दान चाहिए।
शुक्र : गाय की सेवा करना चाहिए ।
घर ,शरीर को साफ-सुथरा रखना चाहिए ।  
गाय को हरी घास खिलाना चाहिए। 
दही, घी, कपूर का दान करना चाहिए ।
बहन-बेटियों की मदद करना चाहिए। 
शनि : शनिवार के दिन पीपल पर तेल का दिया जलाना चाहिए ।  
बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना छाया दखें और बर्तन तेल के साथ दान करना चाहिए ।
काले साबुत उड़द और लोहे की वस्तु का दान करना चाहिए। 
काले कीड़े जहाँ रहते हों वहा पर  भुना हुआ आटा डालना चाहिए।
राहु : जौ ,मूली ,काली सरसों का दान करना चाहिए ।  
कोढ़ी  गूँ,गे-बहरे लोगों को  दान करना  चाहीए।
केतु :   काला सफ़ेद कम्बल कोढियों को दान करना चाहिए ।    
कौओं को रोटी खिलाएं. काला तिल का दान करे।  
लंगड़े, अपंग व्यक्ति को दान करना चाहिए ।
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Tuesday, February 24, 2015

ज्योतिष : महादशा और उपाय: भाव के अनुसार फल: फलादेश के नियम: Astrology : Maha Dasha and Remedies

ज्योतिष में ग्रहों की  महादशा के अनुसार फल प्राप्त होते है।
कुंडली से हम यह पता लगता है  की कोनसा ग्रह की महादशा समस्या पैदा कर रही  तो उस ग्रह का उपाय करना चाहिएे।    
अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ग्रहों की महादशा का उपाय करना चाहिएे।
 वे हमारे अनुकूल है या प्रतिकूल ।
जो ग्रहों की महादशा आपके अनुकूल, भाग्येश, योगकारक और मित्र है ,केंद्र त्रिकोण के स्वामी हैं, लग्नेश है,तो उन ग्रहों की महादशा मे  भी उपाय करना चाहिए।
जो ग्रहों की महादशा आपके प्रतिकूल हैं  मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक हैं तो
 उनकी महादशा हमारे लिए लाभ  नहीं कर सकती है ।
अनुकूल  या प्रतिकूल ग्रह के महादशाके  उपाय अलग अलग होगे ।
अनुकूल ग्रह की महादशा मे  रत्न धारण करना चाहिएे।
अनुकूल ग्रह की महादशा मे मंत्रोच्चार या पूजन विधि तथा प्रार्थना  से कर सकते है।
प्रतिकूल ग्रह की महादशा ,मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक है  तो ग्रहों की महादशा मे वस्तुओं का दान करना चाहिए।
अनुकूल ग्रह की महादशा मे उपाय मंत्रोच्चार या पूजन होता है :
1.चंद्र ग्रह की महादशा : सोमवार को शिव भगवान की पूजा करें-   शिवलिंग पर कच्चा दूध एवं दहीं, धतुरा अर्पित करें। . कपूर . शिव पंचायतनसे  पूजन करें।
2.मंगल ग्रह की महादशा : मंगलवार को हनुमान जी पूजा करें।  दीपक लगाने के साथ ही अगरबत्ती, पुष्प आदि अर्पित करतथा सिंदूर, चमेली का तेल चढ़ाएं। मंत्र- ऊँ रामदूताय नम:, ऊँ पवन पुत्राय नम: ।  हनुमान चालीसा का पाठ  करें।
3. बुध  ग्रह की महादशा   : बुधवार को गणेश भगवान की पूजा  विधि-विधान से करें।   .
 4.गुरू ग्रह  की महादशा : बृहस्पतिवार को  बृहस्पति देव की पूजा  विधि-विधान से करें।    बृहस्पति देव विद्या, धन, और संतान की कृपा करने वाले देवता  है।  अपने शरीर अंग नाभि और मस्तक पर केसर तिलक लगाना चाहिए और  भोजन में भी केसर का प्रयोग करें।  गुरू मंत्रों, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ व जप करें या फिर कराएं। साधु, ब्राह्मण और पीपल के पेड़ की पूजा करें। पीपल की जड़ में जल, चने की दाल और पीले रंग की मिठाई चढ़ाएं।  पीले रंग के धागे में गुरूवार के दिन 5 मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
 5.शुक्र  ग्रह  की महादशा : ज्योतिष शास्त्र में भी मानव की पिड़ाओं और परेशानियों को दूर करने के लिए  उपाय शुक्रवार को ही करने को उपयुक्त बताया गया है।   चिटि्टयों को दाना , सफेद गाय को रोटी , गरीबों को भोजन और दान-पुण्य करें।
 6. शनि ग्रह की महादशा   : शनिवार को शनि देव की की पूजा करें: शनि देव के प्रकोप से बचते हैं। शनि देव को न्याय का देवता है।  शनि देव को खुश करगे तो आपके पापों का नाश करगे  .  हनुमान चालिसा का पाठ,शनि देव के दर्शन, नीले पुष्प अर्पित करें।शिवलिंग पर जल अर्पित करें। , पीपल की पूजा ,गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं।
7.सूर्य ग्रह  की महादशा : रविवार को सूर्य देव की  पूजा विधि से करना चाहिए:  सफलता और यश के लिए  सूर्य देव को नमस्कार करें, लाल चंदन का लेप, कुकुंम, चमेली और कनेर के फूल अर्पित करें,  दीप प्रज्जवलित, सूर्य मंत्र का जाप करें
 प्रतिकूल ग्रह ,अशुभ ग्रहों ,मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक है  तो ग्रहों की महादशा वस्तुओं का दान करना चाहिए।
प्रतिकूल ,अशुभ ग्रहों की महादशा मे  उपाय :
 सूर्य की महादशा : सूर्य को जल देवे . पिता की सेवा करना चाहिए  ।  गेहूँ ,तांबे , बर्तन का दान करें।
चंद्र की महादशा : मंदिर में  कच्चा दूध और चावल दान करे। माता की सेवा करना चाहिए  ।.  चावल, दुध ,चान्दी का दान करना चाहिए  ।
मंगल की महादशा : मंगलवार को बंदरो को गुड और चने खिलाना चाहिए  ।  भाई बहन की सेवा करना चाहिए  । साबुत, मसूर की दाल का  दान, करना चाहिए  ।
बुध की महादशा : ताँबे  का दान करना चाहिए ।
 साबुत मूंग का दान करना चाहिए  ।माँ दुर्गा की आराधना करनी चाहिए  ।
बृहस्पति की महादशा : केसर का तिलक लगाना चाहिए  ।  केसर खाएँ और नाभि , जीभ पर लगाना चाहिए  ।चने की दाल का पिली वस्तु का दान चाहिए ।
शुक्र की महादशा : गाय की सेवा करना चाहिए ।
घर ,शरीर को साफ-सुथरा रखना चाहिए ।
गाय को हरी घास खिलाना चाहिए।
दही, घी, कपूर का दान करना चाहिए ।
शनि की महादशा : शनिवार के दिन पीपल पर तेल का दिया जलाना चाहिए ।  बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना छाया दखें और बर्तन तेल के साथ दान करना चाहिए ।
हनुमान जी की पूजा करना चाहिए । बजरंग बाण का पाठ करे।
काले साबुत उड़द और लोहे की वस्तु का दान करना चाहिए । .
राहु की महादशा : जौ ,मूली ,काली सरसों का दान करना चाहिए ।
केतु की महादशा :   काला सफ़ेद कम्बल कोढियों को दान करना चाहिए ।    कौओं को रोटी खिलाएं. काला तिल का दान करे।
  अगर आपके जीवन में जिस ग्रह की महादशा  चल  रही है तो आप उस तरह   उपचार कर सकते हैं   ।
महादशा  का भाव के अनुसार फल का होना :
लग्नेश की महादशा - स्वास्थ्य अच्छाहोना , धन-प्रतिष्ठा में वृद्धि होना।
धनेश की महादशा - अर्थ लाभका होना , मगर शरीर कष्ट, स्त्री (पत्नी) को कष्ट होना।
तृतीयेश की महादशा - भाइयों के लिए परेशानी, लड़ाई-झगड़ा का होना।
चतुर्थेश की महादशा - घर, वाहन सुख होना , प्रेम-स्नेह में वृद्धि होना।
पंचमेश की महादशा - धनलाभ होना , मान-प्रतिष्ठा , संतान सुख, माता को कष्ट होना।
षष्ठेश की महादशा - रोग होना , शत्रु, भय, अपमान का होना ,संताप होना।
सप्तमेश की महादशा - जीवनसाथी को स्वास्थ्‍य कष्ट, चिंता का होना।
अष्टमेश की महादशा - कष्ट होना , हानि होना , मृत्यु का भय होना।
नवमेश की महादशा - भाग्योदय का होना , तीर्थयात्रा का होना , प्रवास का होना , माता को कष्ट।
दशमेश की महादशा - राज्य से लाभ, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति, धनागम, प्रभाव मे  वृ‍द्धि, पिता को लाभ।
लाभेश की महादशा - धन से लाभ, पुत्र की प्राप्ति, यश में मिलना , पिता को कष्ट होना।
व्ययेश की महादशा - धन मे हानि, अपमान का होना , पराजय, देह कष्ट, शत्रु पीड़ा होना।
 फलादेश के नियम :
  - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
 - जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
 -त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
 - क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
 - सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।
नोट : अच्छे भावों के स्वामी केंद्र या ‍त्रिकोण में होने पर ही अच्छा प्रभाव दे पाते हैं। ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए पूजा व मंत्र जाप करना चाहिए।
 नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिषि  को  दिखाकर  इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते है ।

 आप भी मुझे फोन कर सकते हैं  :   0731 2591308/ 09893234239 / 08861209966 /jio 08319942286 (08:00 AM- 10:00 PM के बीच) .
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ज्योतिष और विवाह :विवाह कौन तय करेगा ?Astrology and Marriage: Marriage Who will decide?

ज्योतिष का ज्ञान रखने पर हम यह जान सकते है  की  विवाह कौन तय करेगा ?
यह तय करने  के लिए हम कुंडली मे :
सप्तमभाव ,सप्तमेश,शुक्र ग्रह पर जिस ग्रह की दृष्टि हो तब वह ग्रह
कुंडली में जिस भाव का स्वामी हो उस स्थान से संबंध रखना वाला रिश्ता ही विवाह कराता हैं।
प्रथम भाव:जातक स्वय। 
दूसरा भाव:परिवार व कुटुंब वाले। 
तीसरा भाव:भाई बहनों। 
चतुर्थ भाव: माता या मातृ पक्ष । 
पांचवा भाव:प्रेम संबंध । 
छठा भाव :  मामा पक्ष। 
सातवा भाव  :साझेदारी।
नवम भाव :धार्मिक स्थान। 
दशम भाव: पिता या पिता के पक्ष  । 
एकादश भाव : बड़े भाई बहन
द्वादश भाव:चाचा पक्ष  । 

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Monday, February 23, 2015

ज्योतिष और विवाह : कन्या का समय पर विवाह होने के लिए उपाय:Astrology and Marriage: Remedy to be married in time:

विवाह योग्य कन्या का समय पर विवाह होने के लिए उपाय: 
सोमवार को शिवलिंग का पूजन करें एवं जल चढ़ावे। 
गुरुवार का व्रत रखे ।
सोने की अंगूठी में पुखराज रत्न धारण करे। 
शिव-पार्वती का प्रतिदिन पूजन करना चाहिये।
गुरुवार को गाय को चने की दाल खिलाना चाहिये।
भगवान नारायण कि अराधना करना चाहिये ।
पानी में एक चूटकी हल्दी मिलाकर स्नान करना चाहिये।
भोजन में केसर का सेवन करना चाहिये।
गुरुवार को किसी गरीब को, ब्राह्मण को ,किसी सुहागिन स्त्री को ,गुरु ग्रह से संबंधित सामग्री का दान करना चाहिये।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह बाधा के निम्न उपाय करें:
सूर्य: प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में सूर्य को जल चढ़ाएं , मंत्र: ऊँ सूर्याय: नम:।

मंगल : चांदी का चौकोर टुकड़ा सदैव पास रखें। मंगलवार के दिन देवी-मंदिर में लाल गुलाब का फूल चढ़ाएँ, पूजन करें एवं मंगलवार का व्रत रखें।  नौ मंगलवार तक करें। अंतिम मंगलवार को 9 वर्ष की नौ कन्याओं को भोजन करवाकर लाल वस्त्र, मेहँदी एवं यथाशक्ति दक्षिणा देंना चाहिये।
शनि:शनिवार को शिवजी पर काले तिल चढ़ाएं । काले घोड़े की नाल का छल्ला सीधे हाथ।
की मध्यमा अंगुली (मीडिल फिंगर) में पहनें।
राहू :शनिवार को बहते पानी में नारियल बहाएं।
विवाह योग्य कन्या का कमरा  वायव्य कोण में होना चाहिये।


 कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंद गोपसुतं देवि पतिं में कुरु ने नमः॥ (कात्यायनिमंत्र श्रीमद् भागवत)
माँ कात्यायनि देवी या पार्वतीदेवी के फोटो को सामने रखकर जो कन्
या पूजन कर इस कात्यायनि मंत्र की 1 माला का जाप प्रतिदिन करती है,
हे गौरी! शंकरर्धाङ्गिस यथा त्वं शंकरप्रिया।
तथा माँ कुरुं कल्याणिस कान्तं कान्तां सुदुर्लभाम्‌।
भगवती पार्वती का पूजन कर इस मंत्र की 5 माला प्रतिदिन करना ।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष का प्रतिदिन 11 बार पाठ करें। अथर्वशीर्ष के प्रत्येक मंत्र से श्री गणेशजी की प्रतिमा पर दूर्वा चढ़ाएँ। इस प्रकार 84 दिनों तक नियमित करें, शीघ्र मनोकामना पूर्ण होती है । 

कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहा  पर कन्या को मेहँदी लग रहे हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहँदी उस कन्या के हाथ से लगवा ले तो विवाह का मार्ग ठीक होता है|
लड़की गुरुवार को अपने तकिए के नीचे हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में लपेट कर रखे।
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Sunday, February 22, 2015

ज्योतिष और विवाह:शादी किस उम्र में होगी :Astrology and Marriage: At What age would you marry

ज्योतिष का ज्ञान रखने पर हम यह जान सकते है  कि शादी किस उम्र में होने  कि सभावना है। कुंडली मे हमे इन भाव,ग्रह आदि  का  विचार करना चाहिए।  
लग्न और लग्नेश को देखा  जाता  है। घटना का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन  है ।
भाव का कारक ग्रह कौन है। 
भाव में कौन कौन से ग्रह हैं। 
भाव पर किस  ग्रह की दृष्टि। 

विवाह के योग कब बनते हैं:
जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों गोचर मे सप्तम भाव या लग्न को देखते हों,  सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह मे । सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।

भाव  :कुंडली का सातवाँ भाव । 
शुभ ग्रह: शुक्र बुध गुरु और चन्द्र  शुभ ग्रह हैं |
अशुभ ग्रह : राहू मंगल शनि सूर्य यह सब अशुभ ग्रह हैं |
राशि:कुंडली के  सातवाँ भाव की राशि। 
बीस से चौबीस वर्ष की उम्र में शादी:
सातवेंभाव  मे :
बुध  :बीस वर्ष की उम्र में शादी करवाता है।
शुक्र, गुरु ,चन्द्र :कुंडली के सातवें भाव में हैं तो चौबीस पच्चीस वर्ष  की उम्र में शादी करवाता है। 
राहू, शनि का प्रभाव :राहू, शनि का प्रभाव ,सातवाँ भाव पर हो तो दो साल और शादी की उम्र मे जोड देना चाहिए
अशुभ ग्रह : राहू मंगल शनि सूर्य यह सब अशुभ ग्रह हैं |अशुभ ग्रह सातवें घर में होंगे शादी में देर उतनी ही अधिक होगी। 
  राहू केतु ,शनि, मंगल ,सूर्य :कुंडली के सातवें भाव में हैं तो सत्ताईस से तीस वर्ष  की उम्र में शादी करवाता है। शादी काफी विघ्नों के बाद  होती है |
राहू : राहू सातवें भाव में हैं तो  आसानी से विवाह नहीं होने देता | 
बात पक्की होने के बावजूद रिश्ते टूटते रहते हैं | 
केतु :केतु सातवें भाव में तो   गुप्त शत्रुओं की वजह से शादी में अडचनें होती है | 
शनि  :शनि सातवें भाव हो तो  शादी तीस वर्ष की उम्र के बाद ,बत्तीस से चालीस वर्ष की उम्र में होती है।
शनि मंगल, शनि राहू, मंगल राहू या शनि सूर्य या सूर्य मंगल, सूर्य राहू एक साथ सातवें भाव में हों तो विवाह में बहुत अधिक देरी होने की संभावना रहती है | शादी तीस वर्ष की उम्र के बाद होती है
मांगलिक: मांगलिक होने पर विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बन सकते हैं।
पुरुष की कुंडली में शुक्र और स्त्री की कुंडली में गुरु निर्बल हो तो विवाह में देरी हो सकती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी ग्रह बाधा की वजह से विवाह में विलंब हो रहा हो तो उस ग्रह का उपाय करना चाहिए
 नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिषि  को  दिखाकर हम शादी किस उम्र में होगी इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते है ।
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Thursday, February 19, 2015

ज्योतिष : ग्रहों की शांति के लिये कड़ा पहनें :Astrology:Wear the bracelet for planetary peace:

ग्रहों  की शांति के लिये कड़ा पहनें,कौनसा कड़ा,किस दिन पहनें ?
सूर्य ग्रह के लिये तांबे का  कड़ा पहनें।
ऊँ घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का जप करना चाहिए । 
रविवार को पहनें
चंद्र ग्रह के लिये तांबे का  कड़ा पहनें।
ऊँ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करना चाहिए । 
सोमवार को पहनें । 

मंगल ग्रह के लिये तांबे का कड़ा पहनें।
ऊँ अं अंगारकाय नमः मंत्र का जप करना चाहिए ।
मंगलवार को पहनें। 

बुध ग्रह के लिये कांसे का कड़ा पहनें।
ऊँ बुं बुधाय नमः मंत्र का जप करना चाहिए ।
बुधवार को पहनें। 
शुक्र ग्रह के लिये चांदी  का  कड़ा पहनें।
ऊँ शुं शुक्राय नमः मंत्र का जप करना चाहिए । 
शुक्रवार को पहनें । 
शनि ग्रह के लिये लोहे का  कड़ा पहनें।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जप करना चाहिए । 
शनिवार को पहनें राहु के लिये अष्टधातु का कड़ा पहनें।
ऊँ रां राहवे नमः मंत्र का जप करें। 
शनिवार को पहनें
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Monday, February 16, 2015

महाशिवरात्रि :शिवरात्रि :Maha Shivaratri: Shivaratri

 मंत्र : रोगों से मुक्ति दिलवाएगा यह शिव मंत्र का जाप
 जय भोलेनाथ !! मृत्यु को हरा कर जीवनदान देता है महामृत्युंजय मंत्र..
महाशिवरात्रि : 20 साल बाद तीन दिन में तीन शुभ संयोग -
शिवरात्रि पर 48 वर्ष बाद ग्रहों के दुर्लभ योग,कैसा होगा 12राशियोंपरअसर 
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Friday, February 13, 2015

ज्योतिष और वास्तु: सुखी जीवन के लिए सरल उपाय करे :Astrology and Vaastu:Simple Tips For Happy Life

ब्रह्म बेला में उठ कर इश्वर का नाम, ध्यान, योग और पूजा करनी चाहिए  ।
सूर्योदय से पूर्व ब्रह्मा बेला में उठकर , अपने दोनों हांथो की हंथेली को  रगड़ कर और हंथेली को देख कर अपने मुंह पर फेरे, क्योंकि :- शास्त्रों में कहा गया है की:
कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती । 

करमूले स्थिता गौरी, मंगलं करदर्शनम् ॥
सूर्य :सूर्योदय के पहले उठे और उगते सूर्य के दर्शन करे।
भोजन  :भोजन करते समय शांत  रहना चाहिए।
योग :योग ,प्राणायाम को प्रतिदिन करना चाहिए।
आशीर्वाद  : माता पिता गुरुजनों  का आशीर्वाद लेना चाहिए।
भोजन : गाय, कुत्ता और कौवा का भोजन जरुर निकलना चाहिए।
सोते समय :सोते समय सर दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए।
बीम :बीम  के नीचे न बैठें और न ही सोयें ।
तुलसी  :तुलसी  का पौधा लगाना  चाहिए।
नमक : नमक या सेंधानमक का पोछा लगाना चाहिए।
झाडू  : झाडू खुले स्थान पर नही रखना चाहिए।
टूटे-फूटे  :टूटे-फूटे बरतन, टूटा दर्पण , टूटी चारपाई  न रखें ।
घड़ी :बंद घड़ी नही रखना चाहिए।
भोजन : उत्तर ,पूर्व की ओर मुंह करके भोजन करना चाहिए।
सफाई : शनिवार और अमावस्या को सारे घर की सफाई करके  कबाड़ को बाहर निकले और पुराने जूते-चप्पलों का दान करना चाहिए।
बाथरूम :स्नान करने के बाद बाथरूम  को कभी गंदा नही  छोड़ना चाहिए।
बुधवार :  बुधवार को किसी को उधार नही देना चाहिए, वापस नहीं आएगा।
राहू काल: राहू काल में कोई कार्य शुरू नही करना चाहिए ।
श्री सूक्त :श्री सूक्त का पाठकरना चाहिए ।
इष्ट का जाप व पूजन अवश्य करना चाहिए।
श्री सूक्त का पाठ करने से धन आता रहेगा।
अन्न, वस्त्र, तेल, कंबल, अध्ययन सामग्री का दान करना चाहिए।

राशि या लग्न स्वामी ग्रह के रंग की कोई वस्तु अपने साथ हमेशा रखनी चाहिए।
 वास्तु  के सरल उपाय :

घर में तुलसी के पौधे | घर, परिसर को स्वच्छ रखें | कच्चे नीम पत्ती की धूनी जलाएं | कंडे को प्रज्ज्वलित कर धुना एवं लोबान से धूप दिखाना  चाहिए। भजन की (C.D) चलाना  चाहिए।
मृत पितर के चित्र अपनी दृष्टिके सामने नही  रखना  चाहिए।  कलह-क्लेश नही होना चाहिए|प्रसन्न एवं संतुष्ट रहना चाहिए।  कार्य करते हुए नामजप , स्तोत्र आदि का पाठ करना चाहिए |सुबह और संध्या समय ,पूजा स्थलपर आरती करें | पर्दे, दीवार, चादर के रंग काले, बैंगनी या गहरे रंगके नही होने
चाहिए

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Thursday, February 12, 2015

ज्योतिष :सुदर्शन कुंडली : सुदर्शन चक्र :Astrology: Sudarshan Horoscope: Sudarshan kundali:video

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ज्योतिष :सुदर्शन कुंडली : सुदर्शन चक्र
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ज्योतिष :सुदर्शन कुंडली : सुदर्शन चक्र :Astrology: Sudarshan Horoscope: Sudarshan kundali:


कुंडली का विवेचन और सुदर्शन कुंडली।
कुंडली का विवेचन करने के लिए : लग्न कुण्डली, चंद्र कुण्डली व सूर्य कुण्डली। इन तीनों को जब एक साथ मिलाकर देखा जाता है तो सुदर्शन चक्र  होता है।
लग्न  :लग्न ,चन्द्र लग्न ,सूर्य लग्न ,इन तीनो लग्नो का  विवेचन करना चाहिए।
इन तीनो लग्नो  से सुदर्शन चक्र का बनता है।
लग्न: शरीर ,लक्षण, स्वभाव ,स्वास्थ्य का प्रभाव। 
चन्द्र लग्न :मन  का प्रभाव । 
सूर्य लग्न:आत्मा ऊर्जा का प्रभाव ।
इन तीनो लग्नो का बल देख कर  विवेचन करना चाहिए।यह जानकारी सुदर्शन कुंडली   से प्राप्त होती  है। 
फलादेश  :कुंडली का विवेचन  करते समय दशा विचाऱ के समय तीन लग्नो को आधार मानकर फलादेश करना चाहिए ।
विद्वान एवं जानकार ज्योतिषी से परामर्श लेना  चाहिए। 
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ज्योतिष : सिग्निफिकैटर :कुण्डली से से कैसे जाने कि गोद जायगे या नहीं ? :Astrology: You will be Adopted or not ?

कुण्डली से  से कैसे जाने  कि गोद (adopt )जायगे या नहीं ?
कुंण्डली  मे नीचे  बताये गये योगोे को  देख्नना होगा।
राशि: कर्क ,सिंह पर पाप ग्रहों का प्रभाव। 

ग्रह:चंद्रमा ,सूर्य ग्रह पर पाप ग्रहों का प्रभाव। 
भाव :चतुर्थ ,दशम भाव में पाप ग्रहों का प्रभाव।  
चर या द्विस्वभाव राशि :नवम भाव ,नवमेश का चर ,द्विस्वभाव राशि मे होना और पाप ग्रहों का प्रभाव होना । 
विद्वान एवं जानकार ज्योतिषी से परामर्श लेना  चाहिए।
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Tuesday, February 3, 2015

ज्योतिष उपाय: किस ग्रह का उपाय कब और क्यों?अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ग्रहों का उपाय :Astrology upay : Upay when and why for planet? Upay for Favorable and unfavorable planets:

कुंडली का  विश्लेषण करना आवश्यक है।  
कुंडली से हम यह पता लगता है  की कोनसा ग्रह समस्या पैदा कर रहा तो उस ग्रह का उपाय करना चाहिएे।      
उपाय किस ग्रह का कैसे करें ?  
अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ग्रहों का उपाय करना चाहिएे।  
हमें उपाय दोनों प्रकार के ग्रहों का करना चाहिएे।  वे हमारे अनुकूल है या प्रतिकूल ।
जो ग्रह आपके अनुकूल, भाग्येश, योगकारक और मित्र है ,केंद्र त्रिकोण के स्वामी हैं, लग्नेश है,तो उन ग्रहों का उपाय करना चाहिए। 
जो ग्रह आपके प्रतिकूल हैं  मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक हैं तो
 हमारे लिए लाभ  नहीं कर सकते। 
अनुकूल  या प्रतिकूल ग्रह के उपाय अलग अलग होगे ।
अनुकूल ग्रह का रत्न धारण करना चाहिएे। 
अनुकूल ग्रह का उपाय मंत्रोच्चार या पूजन विधि तथा प्रार्थना  से कर सकते है।
प्रतिकूल ग्रह  ,मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक है  तो ग्रहों की वस्तुओं का दान करना चाहिए। 
अनुकूल ग्रह का उपाय मंत्रोच्चार या पूजन :
1.चंद्र ग्रह : सोमवार को शिव भगवान की पूजा करें-   शिवलिंग पर कच्चा दूध एवं दहीं, धतुरा अर्पित करें। . कपूर . शिव पंचायतनसे  पूजन करें। 
2.मंगल ग्रह : मंगलवार को हनुमान जी पूजा करें।  दीपक लगाने के साथ ही अगरबत्ती, पुष्प आदि अर्पित करतथा सिंदूर, चमेली का तेल चढ़ाएं। मंत्र- ऊँ रामदूताय नम:, ऊँ पवन पुत्राय नम: ।  हनुमान चालीसा का पाठ  करें।
3. बुध  ग्रह  : बुधवार को गणेश भगवान की पूजा  विधि-विधान से करें।   .
 4.गुरू ग्रह  : बृहस्पतिवार को  बृहस्पति देव की पूजा  विधि-विधान से करें।    बृहस्पति देव विद्या, धन, और संतान की कृपा करने वाले देवता  है।  अपने शरीर अंग नाभि और मस्तक पर केसर तिलक लगाना चाहिए और  भोजन में भी केसर का प्रयोग करें।  गुरू मंत्रों, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ व जप करें या फिर कराएं। साधु, ब्राह्मण और पीपल के पेड़ की पूजा करें। पीपल की जड़ में जल, चने की दाल और पीले रंग की मिठाई चढ़ाएं।  पीले रंग के धागे में गुरूवार के दिन 5 मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
 5.शुक्र  ग्रह  : ज्योतिष शास्त्र में भी मानव की पिड़ाओं और परेशानियों को दूर करने के लिए  उपाय शुक्रवार को ही करने को उपयुक्त बताया गया है।   चिटि्टयों को दाना , सफेद गाय को रोटी , गरीबों को भोजन और दान-पुण्य करें।
 6. शनि ग्रह  : शनिवार को शनि देव की की पूजा करें: शनि देव के प्रकोप से बचते हैं। शनि देव को न्याय का देवता है।  शनि देव को खुश करगे तो आपके पापों का नाश करगे  .  हनुमान चालिसा का पाठ,शनि देव के दर्शन, नीले पुष्प अर्पित करें।शिवलिंग पर जल अर्पित करें। , पीपल की पूजा ,गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं।
हनुमान जी की पूजा करना चाहिए । बजरंग बाण का पाठ करे।
7.सूर्य ग्रह  : रविवार को सूर्य देव की  पूजा विधि से करना चाहिए:  सफलता और यश के लिए  सूर्य देव को नमस्कार करें, लाल चंदन का लेप, कुकुंम, चमेली और कनेर के फूल अर्पित करें,  दीप प्रज्जवलित, सूर्य मंत्र का जाप करें 
 प्रतिकूल ग्रह ,अशुभ ग्रहों ,मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक है  तो ग्रहों की वस्तुओं का दान करना चाहिए।
प्रतिकूल ,अशुभ ग्रहों का उपाय 
 सूर्य : सूर्य को जल देवे . पिता की सेवा करना चाहिए  ।  गेहूँ ,तांबे , बर्तन का दान करें।
चंद्र : मंदिर में  कच्चा दूध और चावल दान करे। माता की सेवा करना चाहिए  ।.  चावल, दुध ,चान्दी का दान करना चाहिए  ।
मंगल : मंगलवार को बंदरो को गुड और चने खिलाना चाहिए  ।  भाई बहन की सेवा करना चाहिए  । साबुत, मसूर की दाल का  दान, करना चाहिए  ।
बुध : ताँबे  का दान करना चाहिए ।
 साबुत मूंग का दान करना चाहिए  ।माँ दुर्गा की आराधना करनी चाहिए  । 
बृहस्पति : केसर का तिलक लगाना चाहिए  ।  केसर खाएँ और नाभि , जीभ पर लगाना चाहिए  ।चने की दाल का पिली वस्तु का दान चाहिए ।
शुक्र : गाय की सेवा करना चाहिए ।
घर ,शरीर को साफ-सुथरा रखना चाहिए ।  
गाय को हरी घास खिलाना चाहिए। 
दही, घी, कपूर का दान करना चाहिए ।
शनि : शनिवार के दिन पीपल पर तेल का दिया जलाना चाहिए ।  बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना छाया दखें और बर्तन तेल के साथ दान करना चाहिए ।

काले साबुत उड़द और लोहे की वस्तु का दान करना चाहिए । . 
राहु : जौ ,मूली ,काली सरसों का दान करना चाहिए । 
केतु :   काला सफ़ेद कम्बल कोढियों को दान करना चाहिए ।    कौओं को रोटी खिलाएं. काला तिल का दान करे.।
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Monday, February 2, 2015

ज्योतिष और रोग : रोग लंबे समय के लिए क्यों रहते है ?कब रोग ठीक होगा :उपाय :Astrology and disease: why the disease for a long time ?


 ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
 कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं। ज्योतिष में रोग विचार  में  विचारणीय  सूत्र( फॉर्मूला )।
ज्योतिष में रोग विचार :
 षष्ठ स्थान 
 ग्रहों,
 राशियों, 
कारकग्रह ,  .
छः भावों का विश्लेषण:प्रथम भाव या लग्न, षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश भावों ,मारक भाव द्वितीय एवं सप्तम का रोग ,स्वास्थ्य से  संबंध है
 ज्योतिष और रोग :जन्म कुंडली शनि या राहु छठे हाउस , रोग के हाउस से जुड़े हुए हैं
तब
रोग  लंबे समय के लिए रहेगा  क्योंकि शनि या राहु धीमी गति से चलते है।
 चंद्रमा तेज से गति से चलता है तो रोग जल्द ही ठीक हो जाते हैं। 
रोग ग्रहों की  प्रकृति होते है के अनुसार होते हैं. उनके प्रभाव की अवधि भी उनकी प्रकृति के अनुसार होते हैं।
 शनि ग्रह और  बीमारी: शारीरिक कमजोरी, दर्द, पेट दर्द, घुटनों या पैरों में होने वाला दर्द, दांतों ,त्वचा सम्बन्धित रोग, अस्थिभ्रंश, मांसपेशियों से सम्बन्धित रोग, लकवा, बहरापन, खांसी, दमा, अपच, स्नायुविकार ,नेत्र रोग और खाँसी ।
 राहु और  बीमारी:मस्तिष्क सम्बन्धी विकार, यकृत सम्बन्धी विकार, निर्बलता, चेचक, पेट में कीड़े, ऊंचाई से गिरना, पागलपन, तेज दर्द, विषजनित परेशानियां,  पशुओं या जानवरों से शारीरिक कष्ट, कुष्ठ रोग, कैंसर । बुखार, दिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना ।
 कब रोग ठीक होगा : रोगकारक ग्रह की दशा अन्तर्दशा की समाप्ति के बाद  रोग ठीक होगा ।  लग्नेश , योगकारक ग्रह की दशा अन्तर्दशा प्रत्यन्तर्दशा प्रारम्भ हो जाए, तो रोग से छुटकारा प्राप्त हो सकता  हैं। शनि :रोग से जातक को लम्बे समय तक पीड़ित रहता है।  राहु :किसी रोग का कारक  होता है, तो बहुत समय तक उस रोग की पता नही हो पाता है। ऐसे में रोग अधिक अवधि तक चलता है।
रोग का निवारण के लिए मन्त्र का जाप करे  :
 त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनानमृत्योमुरक्षीय मामृतात्।।
प्रतिदिन इस मन्त्र को भोजन करते समय, ओषधि लेते
समय तीन बार इस मन्त्र का जप
करने से शरीर स्वस्थ रहता हे  और रोगों को नष्ट करता हे।
मंत्रों और हनुमान चालीसा के पाठ।
गायत्री मंत्र का पाठ। 
उपाय: ग्रहों के द्वारा उत्पन्न रोग के समय अपने सम्बंधित चिकित्सक की सलाह पर दवा का सेवन करना चाहिए। अपने ज्योतिषी की सलाह पर सम्बंधित भावः जिस से बीमारी उत्पन्न है के स्वामी की तथा कारक ग्रह से सम्बंधित उपाय करना चाहिए।
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