Tuesday, October 28, 2014

ज्योतिष : कुंडली से जाने विवाह का समय :Marriage time by Astrology :


 कुंडली से जाने विवाह का समय : नियम :

 कुंडली मै नीचे बताये गये योग देखना है।
 कारक :सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु
शुक्र : वैवाहिक सुख से संबंधित ग्रह है।
गुरु :स्त्रियों के लिए गुरु पति सुख प्रदाता ग्रह है। 

भाव :सप्तम, द्वितीय, , पंचम, नवम, प्रथम भाव को  देखे
ग्रह: द्वितीयेश, सप्तमेश, पंचमेश, नवमेश एवं लग्नेश को  देखे
विशेष ग्रह: विवाह के कारक ग्रह :गुरु, शुक्र एवं चंद्र, को  देखे  

विवाह : ग्रह की  दशा और अंतर्दशा में  विवाह  होता है।

कुंडली से जाने विवाह का समय :
  • नियम:सप्तम,  द्वादश, , नवम, प्रथम, दूसरा भाव,पंचम भाव  एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  विवाह के योग बनते  है ।
  • डी 9चार्ट मे भी दिखना है। 
  • लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में 
  • नवमेश की दशा या अंतर्दशा में 
  • पंचमेश की दशा या, अंतर्दशा में
  • प्रथम,दूसरा , पंचम , नवम और एकादश भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में।
  • सप्तमेश की दशा या अंतर्दशा में।
  • द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में 
  •  जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह सप्तम भाव या सप्तमेश से होता है ।
    द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी
    विवाह  होता है।
  • राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
  •   सप्तम भाव मै बैठे ग्रह की दशा या अंतर्दशा में भी विवाह  होता है।
  • जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है। 
  •  गोचर: शनि, बृहस्पति का गोचर , सप्तम भाव एवं सप्तमेश को देखे तब विवाह   होता है
फलादेश कैसे करते  है ----
 - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं। 

बाधा  के योग :
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भी  बाधा आती है .
 

कुण्डली मे D-9 (चार्ट ) का  भी आंकलन    करना  चाहिये
बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे। 
उपाय  :दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा। 
सरल    उपाय :


- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।   
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए। हो सके तो   सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे । 
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें। 

-हनुमान चालीसा का पाठ करें।  -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं। 
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।
- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:
सूर्य के उपाय 
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय।


 नोट -ज्योतिषि को अपनी कुंडली जरूर  दिखाइए। 

 ज्योतिष,वास्तु ,एक्यूप्रेशर पॉइंट्स ,हेल्थ , इन सबकी डेली टिप्स के लिए----लिंक को क्लिक  करें : 

Wednesday, October 22, 2014

ज्योतिष :कुंडली से जाने :कैरियर कम्प्यूटर : आई. टी. :नौकरी,कामयाबी प्राप्ति का समय: सूत्र :Astrology:Career in Computer

 ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं।  कुंडली से हम  जान सकते है की हमारा कम्प्यूटर  मे कैरियर होगा या नहीं ?नीचे  बताई गये पॉइंट्स को कुंडली मे देख  कर विश्लेशण करना होता है। 
कैरियर के निर्धारण : पंचमेश की बहुत महत्वपूर्ण है।
बुद्धि, प्रसिद्धि, जीवन का स्तर, सफलता।
कम्पयुटर के कारक
भाव : दशम भाव (कर्म का भाव) ,
सप्तम भाव :(दशम से दशम) ,
षष्ठ भाव :(दशम से नवम यानि कर्म का भाग्य भाव) .
ग्रह :दशमेश ग्रह  दशम भाव पर प्रभाव डालने वाले ग्रह ,
बलवान ग्रह (षड्बली) .
कारकों : कम्पयुटर के कारक ग्रह - शुक्र, मंगल, राहूकेतु , शनि .
बुध :बुद्धि व गणना का कारक ग्रह .
गुरु :ज्ञानकारक ग्रह .
कैरियर के लिए 2, 6, 10 भाव का आपस में संबंध
कैरियर निर्धारण : जन्म कुंडली, चंद्र कुंडली, सूर्य कुंडली में जो अधिक बली हो ।
शुक्र ग्रह :कम्प्यूटर का कारक.
मंगल :बिजली .

बुध :को शिल्प, तर्क, गणना .
शनि : तकनीकी काम व यन्त्रों .
युति  :सूर्य मंगल  इंजिनियर .
शिक्षाभाव: दूसरे, चौथे ,पांचवे , नवम भाव:
दशमी भाव :आजीविका और कैरियर  ,
लग्न कुंडली के दशमस्थ ग्रह या दशमेश तथा दशमांश कुंडली (डी-10) के दशमस्थ ग्रह या दशमेश  
षष्ठ भाव :सेवा तथा नौकरी
द्वितीय भाव :धन
पंचम घर / पंचमेश से दशम व दशमेश का संबध
मंगल ,शनि  राहु/ केतु ,इंजिनियरों की कुण्डली में होता है.
दशाएं : ,दशमेश /दशम भाव में बैठे ग्रहों .
शिक्षा के कारक :गुरु, बुध, मंगल,
शुक्र व शनि दोनो यन्त्रों से जुडे ग्रह अगर ,शिक्षा भाव, दूसरे, चौथे ,पांचवे , नवम,  भाव: से संबध बनाये तो जातक आई.टी क्षेत्र में  सफलता प्राप्त करता है.
किसी भी जन्म कुंडली में दशम भाव ही कर्म का भाव कहलाता है।
नवम भाव भाग्य भाव है।
नवमांश व दशमांश
कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम:
प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।
डी १० चार्ट मे भी दिखना है।
लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में
दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।
राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :   गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।  

बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे।
दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।
नौकरी मिलने के लिए उपाय --
- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।  
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए।    हो सके तो   सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे ।
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें।
-हनुमान चालीसा का पाठ करें।  -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं।
- इंटरव्यू देने के लिए निकलने से पहले एक चम्मच दही और चीनी मुंह में  रख लें।
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।
- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:सूर्य के उपाय
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय।
 नोट -ज्योतिषि को अपनी कुंडली दिखाइए।


 ज्योतिष,वास्तु ,एक्यूप्रेशर पॉइंट्स ,हेल्थ , इन सबकी डेली टिप्स के लिए----लिंक को क्लिक  करें : 

Tuesday, October 21, 2014

कुंडली से जाने : इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर :नौकरी प्राप्ति का समय: कामयाबी योग :Engineering education to achieve career:When to get Jobs,: video


Astrologer Housi Lal Chourey  कुंडली से जाने : इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर :नौकरी प्राप्ति का समय: कामयाबी योग :Engineering education to achieve career:When to get Jobs,
Astrology Simplified Videros:
ग्रह-तारे: click the blog.
http://hchourey.blogspot.in/ :

 कुंडली से जाने  इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर :नौकरी प्राप्ति का समय: कामयाबी योग
 नीचे  बताई गये पॉइंट्स को कुंडली मे देख  कर विश्लेशण करना होता है। 
इंजीनियरिंग की शिक्षा: शिक्षा और कैरियर के निर्धारण : 
इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर बनने संबंधी शिक्षा: लग्न, लग्नेश, चतुर्थ, चतुर्थेश, पंचम, पंचमेश, दशम भाव या दशमेश का बुध ,शुक्र, मंगल, शनि राहू केतु से संबंध होता है। ,
पंचमेश की बहुत महत्वपूर्ण है। बुद्धि, प्रसिद्धि, जीवन का स्तर, सफलता।
उच्च शिक्षा : बुध या शुभ ग्रह लग्न, चौथे, पांचवें, सातवें, भाग्य ,दशम भावमे  बलवान-स्वग्रही उच्च का होना चाहिए।
 चंद्र, गुरु एवं शुक्र ग्रह का शुभ योग हो तो वह व्यक्ति सफलता प्राप्त कर आर्थिक स्थिति मजबूत करता है।

बुध: तर्क शक्ति, ज्ञान एवं निर्णय शक्ति का कारक है.
इंजीनियर के कारक:
मंगल  :भूमिपुत्र मंगल खनिज, रंग, रसायन, फार्मेसी, धातु, सीमेंट तथा फैक्टरियों का कारक ग्रह है .
शनि :मशीनरी, लोाहा, पत्थर, मजदूरी, प्रधान धंधा, हार्डवेयर, लकड़ी, शस्त्र, ईंट, इलेक्ट्रिकल कार्योंं का कारक है।
पहले,चौथे, पांचवे, दसवें भाव एवं इनके स्वामियों का सम्बन्ध मंगल, शनि, राहु, केतु से  होना चाहिए।
 भाव : दशम भाव (कर्म का भाव) ,
 सप्तम भाव :(दशम से दशम) ,
 षष्ठ भाव :(दशम से नवम यानि कर्म का भाग्य भाव) .
 ग्रह :दशमेश ग्रह  दशम भाव पर प्रभाव डालने वाले ग्रह ,
बलवान ग्रह (षड्बली) .
 
इंजीनियर के कारक ग्रह - शुक्र, मंगल, राहू केतु , शनि .

बुध :बुद्धि व गणना का कारक ग्रह .
गुरु :ज्ञानकारक ग्रह .
 कैरियर के लिए 2, 6, 10 भाव का आपस में संबंध
 कैरियर निर्धारण : जन्म कुंडली, चंद्र कुंडली, सूर्य कुंडली में जो अधिक बली हो ।

 मंगल, सूर्य :को बलवान होना इंजीनियर,
मंगल बुध : इलेक्ट्रिकल इंजीनियर का कारक
 मंगल :बिजली .

 बुध :को शिल्प, तर्क, गणना .
 शनि : तकनीकी काम व यन्त्रों .
 युति  :सूर्य मंगल  इंजिनियर .
शिक्षाभाव: दूसरे, चौथे ,पांचवे , नवम भाव:
दशमी भाव :आजीविका और कैरियर  ,
लग्न कुंडली के दशमस्थ ग्रह या दशमेश तथा दशमांश कुंडली (डी-10) के दशमस्थ ग्रह या दशमेश  
षष्ठ भाव :सेवा तथा नौकरी
द्वितीय भाव :धन
पंचम घर / पंचमेश से दशम व दशमेश का संबध
मंगल ,शनि  राहु/ केतु ,इंजिनियरों की कुण्डली में होता है.
दशाएं : ,दशमेश /दशम भाव में बैठे ग्रहों .

 शिक्षा के कारक :गुरु, बुध, मंगल,
 किसी भी जन्म कुंडली में दशम भाव ही कर्म का भाव कहलाता है।
 नवम भाव भाग्य भाव है।
नवमांश व दशमांश 

 कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम:
 प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।
डी १० चार्ट मे भी दिखना है।
लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में
दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।
राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :  

 गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।
गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है। 


 1.सूर्य: लोक प्रशासन ,राजनीति ,अर्थशास्त्र,गणित ,मौसम ,वनस्पति विज्ञान ,पशु चिकित्सा ,दवा संबंधी युद्ध संबंधी विषय आदि.
2.चंद्र : गृह विज्ञान,साहित्य,पशुपालन ,मनोविज्ञान ,नर्सिंग ,जल संबंधी,साज़ सज्जा ,शहद , छोटे बच्चों की देखभाल संबंधी विषय भोज्य पदार्थ संबंधी विषय ,व वस्त्र आदि से संबंधित.
3.मंगल : खनिज संबंधी ,ऑटो मोबाइल ,सेना ,पुलिस ,धातु ,पेट्रोलियम ,शारीरिक शिक्षा,व्यायाम ,फिजियोथेरेपी,धरती के अंदर होने वाले कार्यों से संबंधी आदि विषय.
4.बुध : बैंकिंग ,संचार , त्वचा संबंधी ,पत्र्कारिक्ता,शिक्षा,साँस संबंधी विषय,अर्थशास्त्र, कर्मकांड,पैसे संबंधी ,टैक्स आदि से संबंधित विषय.
5.गुरु: शिक्षा ,ज्योतिष ,क़ानून ,चिकित्सा ,व्याकरण,देखभाल ,प्रबंधन आदि संबंधित ..
6. शुक्र : फ़िल्म ,शरीर कि सुंदरता संबंधी ,नाटक ,एनिमेशन ,वस्त्र ,भोजन संबंधी वा लगभग वो सभी विषय जो चंद्र से भी जुड़े होते हैं .
7.शनि :इतिहास ,कृषि ,लेब टेस्ट आदि से संबंधी ,चमड़ा ,सिविल ,कंप्यूटर,अस्पताल ,एरोनाटिकल,विधि शाश्त्र ,कैंसर ,प्रबंधन ,मनोविज्ञान ,बाज़ार से संबंधी विषय.
8.राहू: पुरातत्व ,विषाणु संबंधी, दूरसंचार , इंजीनियरिंग ,जादू टोना ,रहश्य्मय विषय ,बॉयोटेक्नोलॉजी ,तकनीकी काम,रेडियोलॉजी  आदि. 


. नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर  सरकारी
नौकरी करता है
 केंद्र में गुरु स्थित होने पर
सरकारी नौकरी मे  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी करता है.
मंगल
कुण्डली में बली हो तो पुलिस, खुफिया विभाग अथवा सेना में उच्च पद होने की संभावना होती है।
गुरु
कुण्डली में बली हो तो  जातक को अच्छा वकील, जज, धार्मिक प्रवक्ता , ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद बनाता है।
बुध
कुण्डली में बली हो तो  व्यापारी, लेखक, एकाउन्टेंट, लेखन एवं प्रकाशन, में  ।
शुक्र
कुण्डली में बली हो तो  फिल्मी कलाकार,  गायक, सौंदर्य संबंधी ।
राहु से आयात व्यापार एवं केतु से निर्यात व्यापार ।  


  फलादेश कैसे करते  है ----
  - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं। 

बाधा  के योग :
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भी  बाधा आती है .
 

कुण्डली मे D-१०   (चार्ट ) का  भी आंकलन    करना  चाहिये
बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे। 
दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।
नौकरी मिलने के लिए उपाय -- 

- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।   
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए।    हो सके तो   सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे । 
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें। 

-हनुमान चालीसा का पाठ करें।  -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं। 
- इंटरव्यू देने के लिए निकलने से पहले एक चम्मच दही और चीनी मुंह में  रख लें।
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।

- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:
सूर्य के उपाय 
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय।

  नोट -योग्य ज्योतिषी के पास जाकर यह विश्लेषण करना बहुत ही फायदेमंद रहता है । 

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Monday, October 20, 2014

ज्योतिष: कुंडली से जाने : इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर :नौकरी प्राप्ति का समय: कामयाबी योग :Astrology :Engineering education to achieve career:When to get Jobs,:

ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं।

कुंडली से जाने  इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर :नौकरी प्राप्ति का समय: कामयाबी योग
नीचे  बताई गये पॉइंट्स को कुंडली मे देख  कर विश्लेशण करना होता है। 
इंजीनियरिंग की शिक्षा: शिक्षा और कैरियर के निर्धारण : 
इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर बनने संबंधी शिक्षा: लग्न, लग्नेश, चतुर्थ, चतुर्थेश, पंचम, पंचमेश, दशम भाव या दशमेश का बुध ,शुक्र, मंगल, शनि राहू केतु से संबंध होता है। ,
पंचमेश की बहुत महत्वपूर्ण है। बुद्धि, प्रसिद्धि, जीवन का स्तर, सफलता।
उच्च शिक्षा : बुध या शुभ ग्रह लग्न, चौथे, पांचवें, सातवें, भाग्य ,दशम भावमे  बलवान-स्वग्रही उच्च का होना चाहिए।
 चंद्र, गुरु एवं शुक्र ग्रह का शुभ योग हो तो वह व्यक्ति सफलता प्राप्त कर आर्थिक स्थिति मजबूत करता है।

बुध: तर्क शक्ति, ज्ञान एवं निर्णय शक्ति का कारक है.
इंजीनियर के कारक:
मंगल  :भूमिपुत्र मंगल खनिज, रंग, रसायन, फार्मेसी, धातु, सीमेंट तथा फैक्टरियों का कारक ग्रह है .
शनि :मशीनरी, लोाहा, पत्थर, मजदूरी, प्रधान धंधा, हार्डवेयर, लकड़ी, शस्त्र, ईंट, इलेक्ट्रिकल कार्योंं का कारक है।
पहले,चौथे, पांचवे, दसवें भाव एवं इनके स्वामियों का सम्बन्ध मंगल, शनि, राहु, केतु से  होना चाहिए।
भाव : दशम भाव (कर्म का भाव) ,
सप्तम भाव :(दशम से दशम) ,
षष्ठ भाव :(दशम से नवम यानि कर्म का भाग्य भाव) .
ग्रह :दशमेश ग्रह  दशम भाव पर प्रभाव डालने वाले ग्रह ,
बलवान ग्रह (षड्बली) .
इंजीनियर के कारक ग्रह - शुक्र, मंगल, राहू केतु , शनि .

बुध :बुद्धि व गणना का कारक ग्रह .
गुरु :ज्ञानकारक ग्रह .
कैरियर के लिए 2, 6, 10 भाव का आपस में संबंध
कैरियर निर्धारण : जन्म कुंडली, चंद्र कुंडली, सूर्य कुंडली में जो अधिक बली हो ।

मंगल, सूर्य :को बलवान होना इंजीनियर,
मंगल बुध : इलेक्ट्रिकल इंजीनियर का कारक
मंगल :बिजली .

बुध :को शिल्प, तर्क, गणना .
शनि : तकनीकी काम व यन्त्रों .
युति  :सूर्य मंगल  इंजिनियर .
शिक्षाभाव: दूसरे, चौथे ,पांचवे , नवम भाव:
दशमी भाव :आजीविका और कैरियर  ,
लग्न कुंडली के दशमस्थ ग्रह या दशमेश तथा दशमांश कुंडली (डी-10) के दशमस्थ ग्रह या दशमेश  
षष्ठ भाव :सेवा तथा नौकरी
द्वितीय भाव :धन
पंचम घर / पंचमेश से दशम व दशमेश का संबध
मंगल ,शनि  राहु/ केतु ,इंजिनियरों की कुण्डली में होता है.
दशाएं : ,दशमेश /दशम भाव में बैठे ग्रहों .

 शिक्षा के कारक :गुरु, बुध, मंगल,
 किसी भी जन्म कुंडली में दशम भाव ही कर्म का भाव कहलाता है।
 नवम भाव भाग्य भाव है।
नवमांश व दशमांश 

 कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम:
 प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।
डी १० चार्ट मे भी दिखना है।
लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में
दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।
राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :  

 गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।
गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है। 


 1.सूर्य: लोक प्रशासन ,राजनीति ,अर्थशास्त्र,गणित ,मौसम ,वनस्पति विज्ञान ,पशु चिकित्सा ,दवा संबंधी युद्ध संबंधी विषय आदि.
2.चंद्र : गृह विज्ञान,साहित्य,पशुपालन ,मनोविज्ञान ,नर्सिंग ,जल संबंधी,साज़ सज्जा ,शहद , छोटे बच्चों की देखभाल संबंधी विषय भोज्य पदार्थ संबंधी विषय ,व वस्त्र आदि से संबंधित.
3.मंगल : खनिज संबंधी ,ऑटो मोबाइल ,सेना ,पुलिस ,धातु ,पेट्रोलियम ,शारीरिक शिक्षा,व्यायाम ,फिजियोथेरेपी,धरती के अंदर होने वाले कार्यों से संबंधी आदि विषय.
4.बुध : बैंकिंग ,संचार , त्वचा संबंधी ,पत्र्कारिक्ता,शिक्षा,साँस संबंधी विषय,अर्थशास्त्र, कर्मकांड,पैसे संबंधी ,टैक्स आदि से संबंधित विषय.
5.गुरु: शिक्षा ,ज्योतिष ,क़ानून ,चिकित्सा ,व्याकरण,देखभाल ,प्रबंधन आदि संबंधित ..
6. शुक्र : फ़िल्म ,शरीर कि सुंदरता संबंधी ,नाटक ,एनिमेशन ,वस्त्र ,भोजन संबंधी वा लगभग वो सभी विषय जो चंद्र से भी जुड़े होते हैं .
7.शनि :इतिहास ,कृषि ,लेब टेस्ट आदि से संबंधी ,चमड़ा ,सिविल ,कंप्यूटर,अस्पताल ,एरोनाटिकल,विधि शाश्त्र ,कैंसर ,प्रबंधन ,मनोविज्ञान ,बाज़ार से संबंधी विषय.
8.राहू: पुरातत्व ,विषाणु संबंधी, दूरसंचार , इंजीनियरिंग ,जादू टोना ,रहश्य्मय विषय ,बॉयोटेक्नोलॉजी ,तकनीकी काम,रेडियोलॉजी  आदि. 


. नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर  सरकारी
नौकरी करता है
 केंद्र में गुरु स्थित होने पर
सरकारी नौकरी मे  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी करता है.
मंगल
कुण्डली में बली हो तो पुलिस, खुफिया विभाग अथवा सेना में उच्च पद होने की संभावना होती है।
गुरु
कुण्डली में बली हो तो  जातक को अच्छा वकील, जज, धार्मिक प्रवक्ता , ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद बनाता है।
बुध
कुण्डली में बली हो तो  व्यापारी, लेखक, एकाउन्टेंट, लेखन एवं प्रकाशन, में  ।
शुक्र
कुण्डली में बली हो तो  फिल्मी कलाकार,  गायक, सौंदर्य संबंधी ।
राहु से आयात व्यापार एवं केतु से निर्यात व्यापार ।  


  फलादेश कैसे करते  है ----
  - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं। 

बाधा  के योग :
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भी  बाधा आती है .
 

कुण्डली मे D-१०   (चार्ट ) का  भी आंकलन    करना  चाहिये
बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे। 
दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।
नौकरी मिलने के लिए उपाय -- 

- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।   
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए।    हो सके तो   सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे । 
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें। 

-हनुमान चालीसा का पाठ करें।  -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं। 
- इंटरव्यू देने के लिए निकलने से पहले एक चम्मच दही और चीनी मुंह में  रख लें।
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।

- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:
सूर्य के उपाय 
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय।

  नोट -ज्योतिषि को अपनी कुंडली दिखाइए। 

 ज्योतिष,वास्तु ,एक्यूप्रेशर पॉइंट्स ,हेल्थ , इन सबकी डेली टिप्स के लिए----लिंक को क्लिक  करें : 


 

Thursday, October 16, 2014

कुंडली मे डॉक्टर बनने के योग : डॉक्टर के रूप में कैरियर : कामयाबी योग :Career as Doctor :Becoming a doctor :Astrology Simplified video



 
Astrologer Housi Lal Chourey
 कुंडली मे डॉक्टर बनने के योग : डॉक्टर के रूप में कैरियर : कामयाबी योग :Career as Doctor :Becoming a doctor :
Astrology Simplified Videos:
ग्रह-तारे: click the blog.
http://hchourey.blogspot.in/
जातक की कुंडली  डॉक्टर बनने के योग  :
नीचे  बताई गये पॉइंट्स को कुंडली मे देख  कर विश्लेशण करना होता है। 
पंचमेश की बहुत महत्वपूर्ण है। बुद्धि, प्रसिद्धि, जीवन का स्तर, सफलता।
ग्रह :सूर्य, मंगल,गुरु शनि एवं राहु
सूर्य :स्वास्थ्य का कारक।
मंगल :भुजबल, उत्साह व कार्य शक्ति का कारक । 
गुरू :ज्ञान और सुख का कारक।
सूर्य, मंगल व गुरू : बली हों, 
शनि एवं राहु :टैक्निकल :

भाव : प्रथम , द्वितीय ,पंचम ,षष्ट ,दशम , एकादश,  तथा उनके स्वामिवो से सम्बध हो तो जातक डॉक्टर बनता है।
युति: चंद्र-शनि, मंगल-शनि, बुध-शनि
सूर्य-मंगल की युति : -डाक्टर, सर्जन ,शल्य चिकित्सक।
मंगल या केतु युति: शल्य चिकित्सक होता है।
शनि तथा सूर्य युति : दंत चिकित्सक बनाती है।  
शुक्र और सूर्य :डॉक्टर,  हार्ट अथवा न्यूरो सर्जन,स्त्री रोग विशेषज्ञ
राहु तथा केतु- सर्जन

सूर्य+मंगल +बुध -डाक्टर।
सूर्य+बुध+शुक्र-दांतों का डाक्टर ।
१० वे भाव में उच्च राशी का मंगल (१०)  

12 वें घर का उपचार, 
में बुद्धादित्य योग हो तो उसे प्रसिद्धि मिलेगी।.
दशम भाव में शनि तथा सूर्य की युति जातक को दंत चिकित्सक बनाती है

विश्लेशण :नवांश ,दशमांश कुंडली :
षड्बल:
कौन से ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये।
ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो.
कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा,  नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।  

बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे।
दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।


 ज्योतिष,वास्तु ,एक्यूप्रेशर पॉइंट्स ,हेल्थ , इन सबकी डेली टिप्स के लिए----लिंक को क्लिक  करें : 

Tuesday, October 14, 2014

कुंडली से जाने :कैरियर कम्प्यूटर : आई. टी. :नौकरी,कामयाबी प्राप्ति का समय: Career in Computer :Astrology Simplified video,


 
Astrologer Housi Lal Chourey कुंडली से जाने :कैरियर कम्प्यूटर : आई. टी. :नौकरी,कामयाबी प्राप्ति का समय:
 Career in Computer:
Astrology Simplified Videos:
ग्रह-तारे: click the blog.
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 कुंडली से हम  जान सकते है की हमारा कम्प्यूटर  मे कैरियर होगा या नहीं ?नीचे  बताई गये पॉइंट्स को कुंडली मे देख  कर विश्लेशण करना होता है। 
 कैरियर के निर्धारण : पंचमेश की बहुत महत्वपूर्ण है। बुद्धि, प्रसिद्धि, जीवन का स्तर, सफलता। कम्पयुटर के कारक
  भाव : दशम भाव (कर्म का भाव) ,
 सप्तम भाव :(दशम से दशम) ,
 षष्ठ भाव :(दशम से नवम यानि कर्म का भाग्य भाव) .
 ग्रह :दशमेश ग्रह  दशम भाव पर प्रभाव डालने वाले ग्रह ,
बलवान ग्रह (षड्बली) .
कारकों : कम्पयुटर के कारक ग्रह - शुक्र, मंगल, राहूकेतु , शनि .
 बुध :बुद्धि व गणना का कारक ग्रह .
गुरु :ज्ञानकारक ग्रह .
 कैरियर के लिए 2, 6, 10 भाव का आपस में संबंध
 कैरियर निर्धारण : जन्म कुंडली, चंद्र कुंडली, सूर्य कुंडली में जो अधिक बली हो ।
शुक्र ग्रह :कम्प्यूटर का कारक.
 मंगल :बिजली .
 बुध :को शिल्प, तर्क, गणना .
 शनि : तकनीकी काम व यन्त्रों .
 युति  :सूर्य मंगल  इंजिनियर .
शिक्षाभाव: दूसरे, चौथे ,पांचवे , नवम भाव:
दशमी भाव :आजीविका और कैरियर  ,
लग्न कुंडली के दशमस्थ ग्रह या दशमेश तथा दशमांश कुंडली (डी-10) के दशमस्थ ग्रह या दशमेश  
षष्ठ भाव :सेवा तथा नौकरी
द्वितीय भाव :धन
 पंचम घर / पंचमेश से दशम व दशमेश का संबध
मंगल ,शनि  राहु/ केतु ,इंजिनियरों की कुण्डली में होता है.
 दशाएं : ,दशमेश /दशम भाव में बैठे ग्रहों .
 शिक्षा के कारक :गुरु, बुध, मंगल,
शुक्र व शनि दोनो यन्त्रों से जुडे ग्रह अगर ,शिक्षा भाव, दूसरे, चौथे ,पांचवे , नवम,  भाव: से संबध बनाये तो जातक आई.टी क्षेत्र में  सफलता प्राप्त करता है.
 किसी भी जन्म कुंडली में दशम भाव ही कर्म का भाव कहलाता है।
 नवम भाव भाग्य भाव है।
नवमांश व दशमांश
   कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम:
 प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।
डी १० चार्ट मे भी दिखना है।
लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में
दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।
राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :   गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।
 बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे।
दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।
नौकरी मिलने के लिए उपाय --
- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।  
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए।    हो सके तो   सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे ।
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें।
-हनुमान चालीसा का पाठ करें।  -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं।
- इंटरव्यू देने के लिए निकलने से पहले एक चम्मच दही और चीनी मुंह में  रख लें।
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।
- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:सूर्य के उपाय
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय।
  नोट -ज्योतिषि को अपनी कुंडली दिखाइए।


 ज्योतिष,वास्तु ,एक्यूप्रेशर पॉइंट्स ,हेल्थ , इन सबकी डेली टिप्स के लिए----लिंक को क्लिक  करें : 

Friday, October 10, 2014

कुंडली से जाने फलादेश के नियम Kundli interpretation methods: predictions of the general rules

  कुंडली  से जाने  फलादेश के नियम
1. लग्न :आपका  स्वभाव  रंग  कद जीवन  सम्बन्धित\
2.  धन कुटुम्ब  :सम्पत्ति,वाणी ,विद्या
3.पराक्रम :नोकरी भाई बहन  ,यात्रा ,शक्ति  ,वीरता |
4.भवन :वाहन भवन   माता  सुख जनता  से लाभ |
5.विद्या :विद्या  बुद्द्धि सन्तान  प्रेम विवाह  मन्त्र  यंत्र लाटरी शास्त्र ज्ञान |
6 रोग :ऋण रोग  शुत्रु मुकदमा   जल  भय |
7 दाम्पत्य एवम  व्यापार :विवाह  ,  सझे दरी ,दाम्पत्य सुख |
8 आयु :रोग    गुप्त   ज्ञान  सोभाग्य  धन   वसीयत  क्लेश   कष्ट  |
9 भाग्य  :धर्म :यात्रा  भाग्य   भक्ति   धर्मिक  कार्य
10 कर्म :पद   नोकरी    व्यापार    व्   पद  का  लाभ  हानी     कार्यो  में  बाधा    |
11 आय  :लाभ  आय  अचनाक  लाभ   हानी  के  सयोग   आदी |
12 खर्च :सभी  प्रकार   का  व्यय   गुप्त  शत्रु    कष्ट 
 ग्रह शुभ है या अशुभ। शुभता ग्रह के बल में वृद्धि करेगी और अशुभता ग्रह के बल में कमी करेगी।
  ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो : शुभ फलदायक, नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि :ग्रह अशुभफल दायक ।
 -ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है: शुभ फल।
  - जो ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ या मध्य हो : शुभ फलदायक ।
  - जो ग्रह लग्नेहश का मित्र हो।
- त्रिकोण के स्वा‍मी : शुभ फल ।
  - केन्द्र का स्वामी शुभ ग्रह : शुभता छोड़ देता है, अशुभ ग्रह अपनी अशुभता छोड़ता है।
  - क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी: अशुभ फल।
  - उपाच्य भावों (1, 3, 6, 10, 11) में ग्रह : कारकत्वत में वृद्धि।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह :अशुभ फल।
  - शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में: शुभफल ,
 पाप ग्रह केन्द्र में :अशुभ फल ।
  - पूर्णिमा के पास का चन्द्र :शुभफलदायक .
अमावस्या के पास का चंद्र: अशुभफलदायक ।
- बुध, राहु और केतु :जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त : अशुभ फल देते हैं।
- दशाफल निर्धारण :
- ग्रह किस भाव में बैठा है। ग्रह उस भाव का फल देते हैं
- ग्रह अपने कारकत्‍व के हिसाब से भी फल देते हैं। सूर्य सरकारी नौकरी का कारक है ;: सूर्य की दशा में सरकारी नौकरी मिल सकती है।
-  दृष्टि का असर भी ग्रहों की दशा के समय मिलता है।
- राहु और केतु उन ग्रहों का फल: जिनके साथ वे बैठे होते हैं।
- महादशा का स्‍वामी ग्रह अपनी अन्‍तर्दशा : फल नहीं देता।
ध्‍यान रखै  । -
 भावकारक ग्रह :-प्रथम भाव का कारक सूर्य, द्वितीय भाव का गुरु, तृतीय भाव का मंगल, चतुर्थ भाव के चंद्रमा एवं बुध, पंचम भाव का गुरु, षष्ठ भाव के मंगल एवं शनि, सप्तम भाव का शुक्र, अष्टम भाव का शनि, नवम भाव का सूर्य एवं गुरु, दशम भाव के सूर्य, बुध, गुरु एवं शनि, एकादश भाव का गुरु तथा द्वादश भाव का कारक शनि होता है।
शुक्र एवं चंद्रमा एक-एक भाव के, मंगल एवं बुध दो-दो भावों के, सूर्य तीन भावों का, शनि चार भावों का और गुरु पांच भावों का कारक होता है।
गुरु, शुक्र, शुभ ग्रह से युक्त बुध एवं पूर्ण चंद्रमा। सूर्य, मंगल एवं शनि: पाप ग्रह हैं.क्षीण चंद्रमा एवं पापग्रह से युक्त बुध भी पाप ग्रह कहलाते हं।
 राहु एवं केतु दोनों को पाप ग्रह : पाप ग्रहों की अधिकतम संख्या : सात होती है- सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु, पापयुक्त बुध, क्षीण चंद्रमा।
सूर्य एवं चंद्रमा को राजा, बुध को युवराज, शुक्र को मंत्री, मंगल को नेता (सेनापति), गुरु को पुराहित तथा शनि को सेवक माना गया है।
क्योंकि ग्रहों की षोडशवर्ग में, लग्नादि भावों में, मेषादि राशियों में, केंद्र-त्रिकोण आदि शुभ भावों में, त्रिक आदि अशुभ भावों में या उच्च-मूल त्रिकोण आदि राशियों में स्थिति के बिना फलादेश नहीं किया जा सकता।
ग्रहों के प्रमुख बल छः प्रकार के होते हैं: स्थानबल, कालबल, दिग्बल, चेष्टा बल, नैसर्गिक बल एवं दृग्बल।
  दशाफल देखने के नियम –
 परम ऊंच-इस अवस्था का ग्रह अपनी दशा मे श्रेष्ठ फल देता हैं | ऊंच –ऊंच राशि का ग्रह अपनी दशा मे प्रत्येक प्रकार का सुख प्रदान करता हैं |-आरोही-अपनी ऊंच राशि से एक राशि पहले का ग्रह अपनी दशा आने पर धन्य धान्य की     वृद्दि एवं आर्थिक दृस्ती से संपन्नता देता हैं |- अवरोही-अपनी ऊंच राशि से अगली राशि पर स्थित ग्रह अपनी दशा मे रोग,परेशानी,मानसिक व्यथा व धन हानी प्रदान करता हैं | नीच- नीच राशि का ग्रह अपनी  दशा मे मान व धन हानी करवाता हैं |
परम नीच –इस अवस्था का ग्रह अपनी दशा मे ग्रह क्लेश,परिवार से अलगाव,दिवालियापन,चोरी व अग्नि का भय प्रदान करता हैं |
 मूल त्रिकोण –इसमे स्थित ग्रह अपनी दशा आने पर भाग्यवर्धक एवं धन लाभ कराने वाला होता हैं |
 स्वग्रही-इसमे स्थित ग्रह अपनी दशा आने पर विद्या प्राप्ति,यश बढ़ोतरी व पदोन्नति करवाता हैं |
 अति मित्र-अति मित्र ग्रह स्थित ग्रह अपनी दशा मे वाहन व स्त्री सुख देने वाला तथा विभिन्न मनोरथ पूर्ण करवाने वाला होता हैं |
 मित्र ग्रह-इसका ग्रह अपनी दशा मे सुख,आरोग्य व सम्मान प्रदान करने वाला होता हैं |
 सम ग्रह- इसमे बैठा ग्रह अपनी दशा मे सामान्य फल प्रदान करने वाला व विशेष भ्रमण करवाने वाला होता हैं |
 शत्र ग्रह-इसमे बैठे ग्रह की दशा मे स्त्री से झगडे के कारण मानसिक अशांति प्रदान करता हैं |
 अति शत्रु- इसमे बैठा ग्रह अपनी दशा मे मुकद्दमेबाजी,व्यापार मे हानी,व बंटवारा करवाने वाला होता हैं |
 ऊंच ग्रह संग ग्रह –यह ग्रह अपनी दशा मे तीर्थ यात्रा वा भूमि लाभ करवाने वाला होता हैं |
पाप ग्रह संग ग्रह- यह ग्रह अपनी दशा मे घर मे मरण,धन हानी प्रदान करता हैं |
शुभ ग्रह के साथ ग्रह –यह ग्रह अपनी दशा आने पर धन धन्य की वृद्धि,धनोपार्जन व स्वजन प्रेम आदि का लाभ देता हैं |
शुभ द्रस्ट ग्रह-यह ग्रह अपनी दशा मे विधा लाभ,परीक्षा मे सफलता,तथा ख्याति प्राप्त करवाता हैं |
 अशुभ द्रस्ट-इस ग्रह की दशा मे संतान बाधा,अग्निभय,तबादला तथा माता पिता मे से एक की मृत्यु होती हैं |
इनके अलावा कुंडली मे दशाओ का फलादेश करते समय कई अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए जिनमे कुछ बाते निम्न हैं |
लग्न से 3,6,10,व 11वे भाव मे स्थित ग्रह की दशा उन्नतिकारक व सुखवर्धक होती हैं |
दशानाथ यदि लग्नेश,नवांशेश,होरेश,द्वादशेश व द्रेष्कानेश हो तो उसकी दशा जीवन मे मोड या बदलाव लाने मे सक्षम होती हैं |
-अस्त/वक्री/_ ग्रह की दशा अशुभ फल प्रदान करती हैं
-ग्रह,6,8,12 वे भाव के स्वामी की दशा : पतन की ओर ले जाती हैं |
-नीच और शत्रु ग्रह की दशा :परदेश मे निवास,शत्रुओ व व्यापार से हानी तथा मुकदमे मे हार होती हैं |


फलादेश कैसे करते  है ----
  - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं। 

बाधा  के योग :
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भी  बाधा आती है .
 
 

Thursday, October 9, 2014

बिना तोड़- फोड़:घर का वास्तु: Bina tour phor ka Vastu

बिना तोड़- फोड़:घर का  वास्तु
दक्षिण में सिर करके सोना: स्वस्थ और दीर्घायु ।
पति पत्नी का सुंदर सा फोटो :शयन  कक्ष में लगाएं।
इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बढ़ेगी  , कलह में कमी आएगी।
घर में नित्य घी का दीपक: जलाना चाहिए।
रात्रि के समय शयन कक्ष :कपूर जलाने से बीमारियां, दुःस्वपन , पितृ दोष का नाश,।
 में कोई बीमार हो जाए: रोगी को शहद में चन्दन ,गंगाजल मिला कर चटाएं।
पत्नी बीमार हो तो: घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखभाल करे ।
पूर्व या दक्षिण दिशा: सिर रख कर ही सोना चाहिए।
घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही ह:एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने देने से  रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है।
शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।
 संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है।  इससे धन का क्षय होता है।
भोजन सदैव :पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए।
सोईघर में ही बैठकर भोजन :राहु शांत होता है।
 घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार: सूख जाने पर भी उन्हें घर में नही रखना है ।
 पवित्र नदियों का जल संग्रह घर के ईशान कोण में रखने से अधिक लाभ होता है।
घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए : कुत्ते को दूध दें, अपने कमरे में मोर का पंख रखें।
हनुमान जी की आरती करें। अनिष्ट दूर   होगा और धन भी प्राप्त   होगा ।
हनुमान जी के मन्दिर में:एक नारियल पर सिन्दूर, मोली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर  चढ़ा आएं। धन लाभ होगा।
पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। धन लाभ होना।
प्रातःकाल पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाए, तथा अपनी सफलता की मनोकामना करें।  घर से बाहर निकलते समय दाहिना पाँव पहले बाहर निकालें।
 रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए : गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें `जय गणेश काटो कलेश´।
शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।
  तुलसी का पौधा : तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है।
 ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) : साफ-सुथरा रखें ,सूर्य की  किरणें घर में प्रवेश करे ।
भोजन बनाते समय गृहिणी : मुख पूर्व की ओर ।
 पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से: व्यक्ति की पाचन शक्ति में वृद्धि ।
 बच्चे  पूर्व की ओर मुख करके अध्ययन करना चाहिए करने से लाभ होगा।
 कन्याओं के विवाह में विलम्ब: वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) के कमरे में सोना चाहिए, विवाह अच्छे और समृद्ध परिवार में होता  है ।
 उत्तर दिशा की ओर सिर करके नहीं सोना : अनिद्रा रोग होने की संभावना होती है।
 घर में नमक के पानी से पोंछा लगाने से  नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
 माता-पिता को  प्रणाम करना से  बृहस्पति और बुध ठीक होते हैं।
प्रवेश द्वार : स्वच्छ होगा घर में लक्ष्मी आती है।
प्रवेश द्वार: स्वस्तिक, ॐ, शुभ-लाभ जैसे मांगलिक चिह्नों को लगाना  चाहिए।
विवाह पत्रिका : न फाड़े क्योंकि इससे गुरु और मंगल का दोष लगता है।
 घर में देवी-देवताओं की  तस्वीरें : शयन कक्ष में  न रखे ।
शयन कक्ष: टेलीविजन न रखें , शारीरिक क्षमताओं पर असर पड़ता है।
 दफ्तर में काम करते समय: उत्तर-पूर्व की ओर मुख करके बैठें ,,बॉस (कार्यालय प्रमुख) का केबिन नैऋत्य कोण में रखना चाहिए।
 शंख :बजाने से  रोगाणु नष्ट होते हैं।
पक्षियों को दाना खिलाने ,गाय को रोटी और चारा खिलाने, से गृह दोष कम  होते है।
पूर्व दिशा :  संपत्ति और तिजोरी रखना शुभ होता है ।
उत्तर दिशा :  कैश व आभूषण अलमारी में रखते हैं, उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी।
 दक्षिण दिशा : धन, सोना, चाँदी और आभूषण रखने से बढ़ोत्तरी  विशेष नहीं होती है।
तिजोरी  :सीढ़ियों के नीचे तिजोरी ,  टायलेट के सामनेरखना शुभ नहीं होता है  ।  कबाड़ या मकड़ी के जाले:  नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
घर में टूटी-फूटी मशीनों :को न रखें। रहने से मानसिक तनाव तथा शारीरिक व्याधियां उस घर के रहवासियों को घेरती हैं।
घर में कहीं भी झाड़ू :खड़ी करके नहीं रखना चाहिए,उसे पैर न  लगें ,उसे न लांघै ।  तो  बरकत होती है     
 पूजाघर में :तीन गणेश  3 माताओं तथा 2 शंखों का  पूजन  नही करना चाहिए।
घर के ईशान्य क्षेत्र में (उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में) कोई भी पालतू जानवर न बांधें। कुत्ते, मुर्गे एवं भैंसों के संबंध में तो और भी सावधान रहें, अन्यथा घर में परेशानियों का अंबार लगा रहेगा।
 तुलसी का पौधा, सीता अशोक, आंवला, हरश्रृंगार, अमलतास, निर्गुण्डी पौधे अवश्य होने चाहिए।  कैक्टस:अशांति देता है।
 ईश्वर का भजन-पूजन  होना चाहिए।  पूर्वाभिमुख अथवा उत्तरा‍भिमुख होकर पूजन करें।  घी का दीपक अवश्य जलाएं।
घर में सामान बिखरा हुआ नही होना चाहिए, क्योंकि...
 नेगेटिव प्रभाव देती है।
 बेड के अंदर पुराने कपड़े, पुराने बिस्तर आदि : अशुभ प्रभाव, बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
 घर में गंदगी रहती है तो निश्चित ही वहां दरिद्रता का वास हो जाता है। कोई टूटा-फूटा सामान हो तो उसे तुरंत हटा दें।  कोई टेढ़े आकार का कांच, खंडित मूर्ती अथवा कोई टूटा चित्र, बंद घड़ी हो तो इन्हें भी घर में नहीं रखना चाहिए।दरिद्रता की ही प्रतीक मानी जाती हैं। अत: इन्हें तुरंत हटा
घर की छत पर: फालतू सामान, गंदगी पड़ी रहती है तो इसके दुष्प्रभाव परिवार की आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य की हानि होती  है।
 नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। जहां गंदगी होती है वहां से लक्ष्मी चली जाती है और दरिद्रता का वास हो जाता है।
 कोई मूर्ति किसी प्रकार से खंडित हो जाए तो उसकी पूजा नहीं करना चाहिए।
 खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन माना गया है।
घर के दरवाजे सुंदर और आकर्षक होने चाहिए।  टूटे दरवाजे नकारात्मक ऊर्जा को अधिक सक्रिय कर देते हैं।
 ईशान कोण के दोष
 ईशान दिशा में कोई दोष है जैसे- ईशान कोण कटा हुआ है, यहां शौचालय, रसोई। ईशान कोण के स्वामी भगवान शिव है। ईशान कोण में दोष होने पर भगवान शिव की पूजा करना चाहिए।
ईशान कोण का स्वामी गृह बृहस्पति होने के कारण प्रत्येक गुरुवार को ऊँ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करना चाहिए।
 तर्जनी अंगुली में सोने का छल्ला धारण करे ।
पीले रंग के बल्व
5 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
 सुख-समृद्धि: बैठक कक्ष,शयनकक्ष , में फूलों का गुलदस्ता रखें।
 घर में कभी भी कंटीली झाडिय़ां या पौधे न रखें।
ऐसे पुष्प या पौधे को सजावट में न ले जिससे दूध झरता हो।
शयनकक्ष में झूठे बर्तन नहीं रखना चाहिए: रोग व दरिद्रता आती है।
रात में बुरे सपने आते हों :जल से भरा तांबे का बर्तन सिरहाने रखकर सोएं।
 गृहस्थ जीवन में समस्याएं : कमरे में शुद्ध घी का दीपक प्रतिदिन जलाना चाहिए।
 पूजा स्थल ईशान कोण(पूर्व-उत्तर) : इससे घर में खुशहाली आएगी।
टी.वी. या अन्य अग्नि संबंधी उपकरण : आग्नेय कोण में रखें।
बच के रहें घर का ये कोना खतरनाक है आपके लिए...
लड़की का विवाह नहीं हो रहा: वायव्य कोण यानि उत्तर-पश्चिम दिशा के कोने में (जिसे वायुदेवता का स्थान भी कहा जाता है।) कमरा देना चाहिये।
 व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं चाहिये : घर के वायव्य कोण वाला कमरे का उपयोग नहीं करना चाहिये।
घर में शुभता की दृष्टि से मंदिर लकड़ी, पत्थर और संगमरमर का होना चाहिए।
मंदिर इमारती लकड़ियों के बने होने चाहिए जैसे चंदन, शाल, चीड़, शीशम, सागौन आदि।
 घर में पूजा के लिए डेढ़ इंच से छोटी और बारह इंच से बड़ी मूर्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

Tuesday, October 7, 2014

कुंडली से जाने: शेयर निवेश : किस क्षेत्र में निवेश करना चाहिए :किस समय शेयर खरीदें या बेचें? : Astrology and Stock Market:





 राशि अनुसार निवेश से लाभ
 कुंडली के अनुसार जानिए आपको किस क्षेत्र में निवेश करना चाहिए और किस क्षेत्र निवेश नहीं करना चाहिए। निवेश यदि राशि या लग्न  और योगकारक ग्रह के अनुसार  किया जाये तो नुकसान की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।
मेष राशि: लग्न :
मेष राशि के स्वामी मंगल देव हैं।
 निवेश: जमीन, मकान, खेती , दवाइयों , वाहन विक्रय, खनिज, कोयला में निवेश करना चाहिए
  निवेश न करे  : केमिकल, चमड़े, लोहे से संबंधित कार्य में निवेश नहीं करना चाहिए।
उपाय : मंगलवार के दिन हनुमानजी को सरसो के तेल का दीपक लगाना चाहिए।
वृषभ :
इस राशि का स्वामी शुक्र है। 
निवेश :अनाज, कपड़ा, चांदी, शकर, चावल, सौन्दर्य सामग्री, इत्र, दूध , प्लास्टिक, खाद्य तेल, ऑटो पार्टस, वाहन , कपड़े ।
 निवेश न करे  :जमीन, खनिज, कोयला, रत्न, सोना, चांदी, स्टील, कोयला, शिक्षण संस्थान, चमड़ा, लकड़ी, वाहन, आधुनिक यंत्र, औषधियों, विदेशी दवाइयों । उपाय : पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रह के लिये  घी का दीपक लगाना चाहिए।
मिथुन
इस राशि का स्वामी बुध है। बुध व्यापार का  ग्रह है।
निवेश : सोने ,कागज, लकड़ी, पीतल, गेंहू, दालें, कपड़ा, स्टील, प्लास्टिक, तेल, सौन्दर्य सामग्री, सीमेंट, खनिज पदार्थ, पशु, पूजन सामग्री, वाद्य यंत्र आदि का व्यापार ।
  निवेश न करे  :चांदी, शकर, चावल, सुखे मेवे, कांसा, लोहा, इलेक्ट्रॉनिक्स, जमीन, सीमेंट, इत्र, केबल तार, वाहन, दवाइयों, पानी से संबंधीत पदार्थ ।उपाय :सफेद वस्त्रों का दान करें।
कर्क
कर्क राशि का स्वामी स्वयं चन्द्रमा है। निवेश  :चांदी, चावल, शकर एवं कपड़ा उत्पाद करने वाली कंपनियों के शेयर, प्लास्टिक, अनाज, लकड़ी, केबल, तार, फिल्मों, खाद्य सामग्रियों, आधुनिक उपकरण,  खिलोने, फायनेंस कंपनियों । निवेश न करे  :जमीन, प्लाट, मकान, दुकान, तेल, सोना, पीतल, वाहन, दूध से बने पदार्थ, पशु, रत्न, फर्टीलाइजर्स, सीमेंट, औषधियों एवं विदेशी दवाई कंपनियों। उपाय : श्रीगणेश को भोग लगाएं।
सिंह
इस राशि का स्वामी सूर्य चंद्रमा का मित्र है। 
निवेश  : सोना, गेंहू, कपड़ा, औषधियों, रत्नों, सौन्दर्य सामग्री, इत्र, सेंट, शेयर एवं जमीन जायदाद में निवेश से लाभ होता है। तकनीकी उपकरण, वाहन, सौदंर्य सामग्री, फिल्म्स, प्लास्टिक, केबल तार, इलेक्ट्रॉनिक्स, कागज, खाद्य पदार्थ, लकड़ी एवं उससे बने उपकरण, सेना में सप्लाई ।निवेश न करे  :निवेश लाभ-हानि बराबर होती है।
 उपाय:हनुमानजी को चमेली के तेल का दीपक लगाएं।
कन्या
इस राशि का स्वामी बुध है। 
 निवेश  : शिक्षण संस्थान, सोना, औषधियों, केमिकल, फर्टीलाइजर्स, चमड़े से बने सामान, खेती, खेती के उपकरणों ।निवेश न करे  :जमीन, चांदी, सीमेंट, ट्रांसपोर्ट, मशीनों का सामान, पशु एवं जल से जुड़े कार्यों । उपाय : श्रीगणेश को लड्डू का भोग लगाएं।
तुला
इस राशि का स्वामी शुक्र होता है।  निवेश  करे: लौहा, सीमेंट, स्टील, दवाइयों, केमिकल,चमड़े, फर्टीलाइजर्स, कपड़ा, तार, इस्पात, कोयला, रत्नों, प्लास्टिक, आधुनिक यंत्रों (कंप्यूटर, कैमरे, टेलीविजन आदि बनाने वाली कंपनी) तेल में निवेश । निवेश न करे :जमीन, मकान, खेती, खेती संबंधी उपकरण, वस्त्र, में निवेश करने से बचें।उपाय : सूर्य को दूध अर्पण करें।
वृश्चिक
इस राशि का स्वामी मंगल है। निवेश  करे: जमीन, मकान, दुकान, खेती, सीमेंट, रत्नों, खनिजों, खेती एवं मेडिकल के उपकरण, पूजन सामग्री, कागज, वस्त्र में निवेश से लाभ होता है।निवेश न करे: तेल, केमिकल एवं तरल पदार्थों ।उपाय : मंगलवार के दिन हनुमानजी को सरसो के तेल का दीपक लगाना चाहिए।
धनु
इस राशि के स्वामी गुरु ग्रह हैं।गुरु व्यापारियों को लाभ देने वाला ग्रह है।  निवेश: आभूषणों, रत्नों, सोना, अनाज, कपास, चांदी, शकर, चावल, औषधियों, सौंदर्य सामग्री, दूध से बने पदार्थ, पशुओं का व्यापार  । 
 निवेश न करे :तेल, केमिकल, खनिज, खदान, कोयला, खाद्य तेल, किराना व्यापार, केबल तार, शीशा, लकड़ी, जमीन, मकान, सीमेंट, लौहे के व्यापार ।उपाय : सरसों का तेल दान करें।
मकर
इस राशि का स्वामी शनि है।  निवेश  करे : लोहा, इस्पात, केबल, तेल सभी प्रकार के, खाद्य सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, यंत्र, खनिज पदार्थ, खेती उपकरण, वाहन, चिकित्सा के उपकरण, वस्त्र, इत्र, सेंट, स्टील, सौन्दर्य सामग्री, ग्लेमर वर्ल्ड, फिल्म्स, नाटकों । निवेश न करे :जमीन, मकान, सीमेंट, सोना, चांदी, रत्न, पीतल, अनाज, वस्त्र, । उपाय  :शनि का दान करे
कुंभ
इस राशि का स्वामी भी शनि  है : निवेश करे :  लोहा, इस्पात, केबल, तेल सभी प्रकार के खाद्य सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, यंत्र, खनिज पदार्थ, खेती उपकरण, वाहन, मेडिकल के उपकरण, वस्त्र, इत्र, सेंट, स्टील, सौन्दर्य सामग्री, ग्लेमर वल्र्ड, फिल्म्स, नाटकों आदि में निवेश । निवेश न करे :जमीन, मकान, सीमेंट, सोना, चांदी, रत्न, पीतल, अनाज, वस्त्र, ।
 उपाय  :शनि का उपाय करे  
मीन
इस राशि का स्वामी गुरु है।  निवेश करे : आभूषणों, रत्नों, सोना, अनाज, कपास, चांदी, शकर, चावल, औषधियों, सौंदर्य सामग्री, दूध से बने पदार्थ, पशुओं का व्यापार करने एवं इन चीजों में निवेश । निवेश न करे :तेल, केमिकल, खनिज, खदान, कोयला, खाद्य तेल, किराना व्यापार, केबल तार, शीशा, लकड़ी, जमीन, मकान, सीमेंट, लौहे के व्यापार ।उपाय : दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
 शेयर बाजार में लाभ हेतु
 लग्न से अष्टम भाव पर विचार: व्यक्ति को बीमा से लाभ होगा या नहीं, इसके लिए अष्टम भाव का विचार करेंगे। 
जातक को पैतृक संपत्ति मिलेगी या नहीं ।  ऐसी धन-संपत्ति, जिसको जातक बिना अधिक परिश्रम कीये प्राप्त करता है,
शेयर बाजार से कमाया गया धन भी कुछ इसी प्रकार का धन कहलाएगा।  अष्टमेश बली हो उसको अच्छे धन की प्राप्ति अधिक परिश्रम के बिना हो सकेती है । द्वादशेश, अष्टम स्थान में स्थित हो या षष्ठेश अष्टम भाव में स्थित हो तो विपरीत राजयोग का निर्माण हो जाता है, जिसकी कुंडली में द्वादशेश या षष्ठेश या दोनों अष्टम भाव में स्थित हो जाएं तो ऐसे व्यक्ति को शेयर बाजार में कभी भी निवेश नहीं करना चाहिए, हानि की संभावना ही अधिक रहेगी। इसके अतिरिक्त यदि षष्ठेश पंचम भाव में राहु के साथ स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को शेयर बाजार में अकस्मात् धन प्राप्ति की संभावना अधिक रहती है। अधिक लालच नहीं करना चाहिए।  जब राहु में षष्ठेश की दशा हो और राहु उच्च का होकर पंचम भाव में स्थित होगा तो अत्यधिक लाभ देगा। 
 कौन-सा शेयर खरीदें ? 
लग्नेश का संबंध जिन वस्तुओं से हो, जातक को उन वस्तुओं के व्यापार करने वाली कंपनियों के शेयर खरीदने चाहिए।
 जैसे किसी व्यक्ति का मकर या कुंभ लग्न है तो लग्नेश शनि होगा अर्थात् ऐसे व्यक्ति को शनि से संबंधित लोहे, पेट्रोल, केरोसीन, कोयला, खान से संबंधित उत्पादित वस्तुओं का कार्य करने वाली कंपनियों जैसे स्टील अथारिटी आॅफ इंडिया लिमिटेड, रिलायंस पेट्रो केमिकल्स तथा उत्खनन का कार्य करने वाली कंपनी के शेयरों से लाभ होने की संभावना अधिक होती है। योगकारक ग्रह से संबंधित वस्तु का व्यापार करने वाली कंपनी का शेयर खरीदना अधिक लाभप्रद होगा। जैसे मकर लग्न के लिए शुक्र योगकारक होगा तो ऐसे व्यक्ति को व्यक्ति को इलेक्ट्राॅनिक्स, सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों की कंपनी, आभूषण, हीरे का व्यापार । यदि अष्टमेश लग्न में स्थित हो और उच्च, स्वराशि, मूल त्रिकोण या मित्र की राशि में हो तो ऐसे ग्रह से संबंधित वस्तु का व्यापार करनेवाली कंपनी का चुनाव भी शेयर खरीदने के लिए किया जा सकता है।
ग्रह से संबंधित होरा में कंपनी के शेयर को शुभ चैघड़िया का प्रयोग करते हुए हम खरीद कर अधिक लाभ कमा सकते हैं। विभिन्न ग्रहों से संबंधित वस्तुओं के नाम इस प्रकार हैं- सूर्य: ईंधन, बिजली, चमड़े की वस्तुएं, ऊन, सूखे अनाज, गेहँू, औषधि, सरकार से संबद्ध कार्य।
 चंद्र: कपड़ा, दूध, शहद, मिठाई, चावल, जौ, जल, समुद्र, तरल पदार्थ। मंगल: हथियार, भूमि, मकान, प्राॅपर्टी, अस्पताल, डाॅक्टर, तांबा, लाल मसूर, तम्बाकू, सरसों।
 बुध: पन्ना, तिलहन, मूंग, खाद्य तेल, मिश्र-धातुएं, कापी, पेन, पेपर, समाचार पत्र, पत्रिका, मोबाइल फोन, संचार माध्यम। गुरु: बैंक, फाइनेंस, सलाहकार, ज्योतिष सामग्री, धर्मग्रंथ, हल्दी, बेसन, केसर, चने की दाल, केला। 
शुक्र: काॅस्मेटिक पदार्थ, रेडीमेड गारमेंटस, रेस्टोरेंट, होटल, इत्र, सजावट की वस्तु, रेशम। 
शनि: लोहा, कोयला, पेट्रोल, बिजली, मशीन, यंत्र, सरिया, निर्माणकार्य, केरोसीन। 
किस समय शेयर खरीदें या बेचें?
 होरा मुहूर्त और चैघड़िया पर विचार करके शेयर को खरीदने और बेचने का समय निश्चित करके ही शेयर व्यापार करना चाहिए।
 उदाहरणार्थ, सोमवार के दिन आप ऐसी शेयर खरीदना चाहते हैं जो शनि से संबंधित अर्थात् स्टील, लोहे का व्यापार करने वाली कंपनी स्टील अथाॅरिटी आॅफ इंडिया का है तो उचित समय निर्धारण के लिए शनि की होरा और शुभ चैघड़िया का विचार करें।
दिन की चैघड़िया 
अमृत, चर, लाभ और शुभ। 
इन चैघड़िया में ही शेयर से संबंधित किया गया व्यापार लाभकारी होगा। 
उद्वेग, काल और रोग जैसी चैघड़िया अशुभ चैघड़िया हैं। इनमें खरीदे गए शेयर लाभकारी नहीं होंगे।
 तो कब करना चाहिए निवेश
 कुण्‍डली में ग्‍यारहवां घर होता है आय का और बारहवां घर होता है व्‍यय का।
सट्टे में पांचवां भाव प्रमुख रूप से देखा जाता है। इसके अलावा ग्‍यारहवां भाव।  बारहवां भाव ऑपरेट होने पर निवेश करने की सलाह दी।   ग्‍यारहवां भाव ऑपरेट हो रहा था उन दिनों में उन्‍हें पैसे निकाल लेने की सलाह दी गई।
     कुंडली के ग्यारहवें घर के बलवान होने पर ,अधिक शुभ ग्रहों का प्रभाव होने लाभ प्राप्ति ।  ग्यारहवें घर के बलहीन होने पर ,एक से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर , लाभ नहीं उठा पाता।



ज्योतिष : कुंडली से जाने ::रोग ,बीमारी का समय : Astrology:timing of disease

 हम कुंडली से जान सकते हैं की बीमारी कब हो सकती हैं :
  देह-सुख :  यदि लग्नेश 6, 8, 12 भाव में स्थित हो अशुभ ग्रह के साथ स्थित  तो शारीरक सुखों में कमी होती है।
  लग्नेश अस्त, नीच अथवा शत्रु राशि में स्थित हो तो जातक बार-बार बीमार होता  है। 
शुभ ग्रह केन्द्र-त्रिकोण में स्थित हों तो शरीर सुख  मिलते हैं।
 लग्नेश या चंद्रमा अशुभ प्रभाव में हों या उन पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो देह सुखों में कमी आ जाती है.
 बली सूर्य और बली चंद्र का होना भी आवश्यक होता है।
 रोग के विश्लेषण :  लग्न और लग्नेश की क्या स्थिति।  कारक ग्रह और उनकी राशि :
   फेफ़डों और ह्वदय से संबंधित रोग के लिए हमें चतुर्थ भाव और कर्क राशि पर विचार करना होगा। . 
चिकित्सा ज्योतिष के लिए छठे भाव और इसके स्वामी पर विचार करना चाहिए।
 रोग का समय : 6, 8, 12 भावों के स्वामियों की दशाओं   लग्नेश की अंतर्दशा में रोग की उत्पत्ति होती है। 
मेष लग्न में मंगल की दशा में बुध की अंतर्दशा के अंतर्गत बीमारियां आती हैं। बुध छठे भाव के स्वामी हैं।
वृषभ लग्न में छठे भाव में शुक्र की मूल त्रिकोण राशि तुला स्थित होती है। शुक्र महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा  रोग उत्पन्न होता है।  इस लग्न में बृहस्पति एकादशेश होते हैं, जो छठे से छठा भाव होता है।
सभी लग्नों में 6, 8, 12 भावों के स्वामियों की दशाओं या अंतर्दशाओं के साथ-साथ लग्नेश की अंतर्दशा में रोग प्रकट होते हैं।

6, 8, 12 भावों में स्थित ग्रह भी उनकी महादशाओं या अंतर्दशाओं में बीमारियों को जन्म देते हैं।
मृत्यु संबंधी मामलों में मारक ग्रहों की दशाओं में रोगों  बढ़ जाते  है। मारक भावों (2-7) और 8, 12 भावों में स्थित ग्रह अपनी दशा या अंतर्दशा में रोग कारक हो जाता है। 
राहु और शनि दो प्रबल कार्मिक ग्रह हैं। अपनी दशा-अंतर्दशाओं में रोग और समस्याओं का कारण बन जाते हैं।
नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिषी  को  दिखाइए  और रोग कारक ग्रहों को जानकर उनकी दशा, अंतर्दशा तथा प्रत्यंतर में उपाय करके अशुभ प्रभावों में कमी कर सकते  हैं  
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