Thursday, October 9, 2014

बिना तोड़- फोड़:घर का वास्तु: Bina tour phor ka Vastu

बिना तोड़- फोड़:घर का  वास्तु
दक्षिण में सिर करके सोना: स्वस्थ और दीर्घायु ।
पति पत्नी का सुंदर सा फोटो :शयन  कक्ष में लगाएं।
इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बढ़ेगी  , कलह में कमी आएगी।
घर में नित्य घी का दीपक: जलाना चाहिए।
रात्रि के समय शयन कक्ष :कपूर जलाने से बीमारियां, दुःस्वपन , पितृ दोष का नाश,।
 में कोई बीमार हो जाए: रोगी को शहद में चन्दन ,गंगाजल मिला कर चटाएं।
पत्नी बीमार हो तो: घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखभाल करे ।
पूर्व या दक्षिण दिशा: सिर रख कर ही सोना चाहिए।
घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही ह:एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने देने से  रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है।
शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।
 संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है।  इससे धन का क्षय होता है।
भोजन सदैव :पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए।
सोईघर में ही बैठकर भोजन :राहु शांत होता है।
 घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार: सूख जाने पर भी उन्हें घर में नही रखना है ।
 पवित्र नदियों का जल संग्रह घर के ईशान कोण में रखने से अधिक लाभ होता है।
घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए : कुत्ते को दूध दें, अपने कमरे में मोर का पंख रखें।
हनुमान जी की आरती करें। अनिष्ट दूर   होगा और धन भी प्राप्त   होगा ।
हनुमान जी के मन्दिर में:एक नारियल पर सिन्दूर, मोली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर  चढ़ा आएं। धन लाभ होगा।
पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। धन लाभ होना।
प्रातःकाल पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाए, तथा अपनी सफलता की मनोकामना करें।  घर से बाहर निकलते समय दाहिना पाँव पहले बाहर निकालें।
 रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए : गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें `जय गणेश काटो कलेश´।
शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें।
  तुलसी का पौधा : तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है।
 ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) : साफ-सुथरा रखें ,सूर्य की  किरणें घर में प्रवेश करे ।
भोजन बनाते समय गृहिणी : मुख पूर्व की ओर ।
 पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से: व्यक्ति की पाचन शक्ति में वृद्धि ।
 बच्चे  पूर्व की ओर मुख करके अध्ययन करना चाहिए करने से लाभ होगा।
 कन्याओं के विवाह में विलम्ब: वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) के कमरे में सोना चाहिए, विवाह अच्छे और समृद्ध परिवार में होता  है ।
 उत्तर दिशा की ओर सिर करके नहीं सोना : अनिद्रा रोग होने की संभावना होती है।
 घर में नमक के पानी से पोंछा लगाने से  नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
 माता-पिता को  प्रणाम करना से  बृहस्पति और बुध ठीक होते हैं।
प्रवेश द्वार : स्वच्छ होगा घर में लक्ष्मी आती है।
प्रवेश द्वार: स्वस्तिक, ॐ, शुभ-लाभ जैसे मांगलिक चिह्नों को लगाना  चाहिए।
विवाह पत्रिका : न फाड़े क्योंकि इससे गुरु और मंगल का दोष लगता है।
 घर में देवी-देवताओं की  तस्वीरें : शयन कक्ष में  न रखे ।
शयन कक्ष: टेलीविजन न रखें , शारीरिक क्षमताओं पर असर पड़ता है।
 दफ्तर में काम करते समय: उत्तर-पूर्व की ओर मुख करके बैठें ,,बॉस (कार्यालय प्रमुख) का केबिन नैऋत्य कोण में रखना चाहिए।
 शंख :बजाने से  रोगाणु नष्ट होते हैं।
पक्षियों को दाना खिलाने ,गाय को रोटी और चारा खिलाने, से गृह दोष कम  होते है।
पूर्व दिशा :  संपत्ति और तिजोरी रखना शुभ होता है ।
उत्तर दिशा :  कैश व आभूषण अलमारी में रखते हैं, उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी।
 दक्षिण दिशा : धन, सोना, चाँदी और आभूषण रखने से बढ़ोत्तरी  विशेष नहीं होती है।
तिजोरी  :सीढ़ियों के नीचे तिजोरी ,  टायलेट के सामनेरखना शुभ नहीं होता है  ।  कबाड़ या मकड़ी के जाले:  नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
घर में टूटी-फूटी मशीनों :को न रखें। रहने से मानसिक तनाव तथा शारीरिक व्याधियां उस घर के रहवासियों को घेरती हैं।
घर में कहीं भी झाड़ू :खड़ी करके नहीं रखना चाहिए,उसे पैर न  लगें ,उसे न लांघै ।  तो  बरकत होती है     
 पूजाघर में :तीन गणेश  3 माताओं तथा 2 शंखों का  पूजन  नही करना चाहिए।
घर के ईशान्य क्षेत्र में (उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में) कोई भी पालतू जानवर न बांधें। कुत्ते, मुर्गे एवं भैंसों के संबंध में तो और भी सावधान रहें, अन्यथा घर में परेशानियों का अंबार लगा रहेगा।
 तुलसी का पौधा, सीता अशोक, आंवला, हरश्रृंगार, अमलतास, निर्गुण्डी पौधे अवश्य होने चाहिए।  कैक्टस:अशांति देता है।
 ईश्वर का भजन-पूजन  होना चाहिए।  पूर्वाभिमुख अथवा उत्तरा‍भिमुख होकर पूजन करें।  घी का दीपक अवश्य जलाएं।
घर में सामान बिखरा हुआ नही होना चाहिए, क्योंकि...
 नेगेटिव प्रभाव देती है।
 बेड के अंदर पुराने कपड़े, पुराने बिस्तर आदि : अशुभ प्रभाव, बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
 घर में गंदगी रहती है तो निश्चित ही वहां दरिद्रता का वास हो जाता है। कोई टूटा-फूटा सामान हो तो उसे तुरंत हटा दें।  कोई टेढ़े आकार का कांच, खंडित मूर्ती अथवा कोई टूटा चित्र, बंद घड़ी हो तो इन्हें भी घर में नहीं रखना चाहिए।दरिद्रता की ही प्रतीक मानी जाती हैं। अत: इन्हें तुरंत हटा
घर की छत पर: फालतू सामान, गंदगी पड़ी रहती है तो इसके दुष्प्रभाव परिवार की आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य की हानि होती  है।
 नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। जहां गंदगी होती है वहां से लक्ष्मी चली जाती है और दरिद्रता का वास हो जाता है।
 कोई मूर्ति किसी प्रकार से खंडित हो जाए तो उसकी पूजा नहीं करना चाहिए।
 खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन माना गया है।
घर के दरवाजे सुंदर और आकर्षक होने चाहिए।  टूटे दरवाजे नकारात्मक ऊर्जा को अधिक सक्रिय कर देते हैं।
 ईशान कोण के दोष
 ईशान दिशा में कोई दोष है जैसे- ईशान कोण कटा हुआ है, यहां शौचालय, रसोई। ईशान कोण के स्वामी भगवान शिव है। ईशान कोण में दोष होने पर भगवान शिव की पूजा करना चाहिए।
ईशान कोण का स्वामी गृह बृहस्पति होने के कारण प्रत्येक गुरुवार को ऊँ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करना चाहिए।
 तर्जनी अंगुली में सोने का छल्ला धारण करे ।
पीले रंग के बल्व
5 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
 सुख-समृद्धि: बैठक कक्ष,शयनकक्ष , में फूलों का गुलदस्ता रखें।
 घर में कभी भी कंटीली झाडिय़ां या पौधे न रखें।
ऐसे पुष्प या पौधे को सजावट में न ले जिससे दूध झरता हो।
शयनकक्ष में झूठे बर्तन नहीं रखना चाहिए: रोग व दरिद्रता आती है।
रात में बुरे सपने आते हों :जल से भरा तांबे का बर्तन सिरहाने रखकर सोएं।
 गृहस्थ जीवन में समस्याएं : कमरे में शुद्ध घी का दीपक प्रतिदिन जलाना चाहिए।
 पूजा स्थल ईशान कोण(पूर्व-उत्तर) : इससे घर में खुशहाली आएगी।
टी.वी. या अन्य अग्नि संबंधी उपकरण : आग्नेय कोण में रखें।
बच के रहें घर का ये कोना खतरनाक है आपके लिए...
लड़की का विवाह नहीं हो रहा: वायव्य कोण यानि उत्तर-पश्चिम दिशा के कोने में (जिसे वायुदेवता का स्थान भी कहा जाता है।) कमरा देना चाहिये।
 व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं चाहिये : घर के वायव्य कोण वाला कमरे का उपयोग नहीं करना चाहिये।
घर में शुभता की दृष्टि से मंदिर लकड़ी, पत्थर और संगमरमर का होना चाहिए।
मंदिर इमारती लकड़ियों के बने होने चाहिए जैसे चंदन, शाल, चीड़, शीशम, सागौन आदि।
 घर में पूजा के लिए डेढ़ इंच से छोटी और बारह इंच से बड़ी मूर्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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