Saturday, February 29, 2020

कुंडली के माध्यम से अपने  परिवार और रिश्तो को किस तरह से संभाल कर रख सकते हैं और आप अपने आपको  कैसे प्रसन्न रख सकते हैं जो कि हमारी सुख समृद्धि में सहायक हो सके इसकी संक्षिप्त जानकारी

Friday, February 28, 2020

शैक्षिक योग्यता के लिए कुंडली का विश्लेषण किस तरह से करना चाहिए जिससे कि बच्चों पर अंको का प्रभाव ना पड़े और अपनी आजीविका को पहचान सके और उसकी पढ़ाई कर सकें तथा सरल उपाय

Thursday, February 27, 2020

ज्योतिष के द्वारा जाने की आपको रिश्ते से जो ब्रेकअप की संभावनाएं बन रही है तो उसको गंभीरता से लेकर किस तरह से अपने प्रयासों के द्वारा सफल बनाने की कोशिश करना चाहिए

सेना के क्षेत्र में जाकर अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं तो कुंडली में किस तरह से देखा जाता है इसकी संक्षिप्त जानकारी

Sunday, February 23, 2020

साझेदारी में कार्य करना चाहते हैं तो कुंडली में किस तरह से भावों को देखा जाता है उस की संक्षिप्त जानकारी

Saturday, February 22, 2020

कुंडली के माध्यम से आप अपने स्वास्थ्य और रोग का विचार किस तरह से कर सकते हैं इसकी संक्षिप्त जानकारी

Friday, February 21, 2020

 क्या प्रेम विवाह के बाद सुख में जीवन होगा, जानने का प्रयास करें

Wednesday, February 19, 2020

  ज्योतिष सूत्र, किसी जातक की कुंडली में दूसरी शादी के योग को कैसे देखा जाता है इसका सरल सूत्र बताने का प्रयत्न करेंगे अगर आपकी कुंडली में सातवें भाव का स्वामी और शुक्र ग्रह दोनों अगर दो  स्वभाव राशि में बैठे हैं  तो जातक का दूसरा विवाह की संभावना  बढ़ जाती है उपरोक्त कुंडली में आप देख सकते हैं यह सप्तम भाव का स्वामी बुध और शुक्र दोनों दो स्वभाव  की राशि मीन राशि जो कि दि स्वभाव  राशि  मैं बैठे हैं तो जातक की दूसरी शादी होती है। धन्यवाद।contact 9893234239,8319942286,

Tuesday, February 18, 2020

ज्योतिष सूत्र,कुंडली में मंगल ग्रह को भूमि का  कारक होता  है. जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव मकान वाहन भूमि का  होता है जब चतुर्थ भाव या  चतुर्थेश का मंगल का संबंध बनने पर व्यक्ति का अपना घर   होता है. उदाहरण कुंडली वृश्चिक लग्न की है चौथे भाव का स्वामी शनि मंगल के साथ में बैठा है तो व्यक्ति का अपना घर है आप भी अपनी कुंडली में इस तरह से विचार कर सकता है धन्यवाद

Monday, February 17, 2020

ज्योतिष सूत्र सूर्य और शनि युति सूर्य पिता है और शनि पुत्र है सूर्य प्रकाश है तो प्रकाश है और शनि पुत्र है सूर्य प्रकाश है तो प्रकाश पुत्र है सूर्य प्रकाश है तो शनि अंधकार है पिता-पुत्र होने कारण दोनों में भी परस्पर शत्रुता  रहती हैं।  सूर्य-शनि युति यह समसप्तक प्रतियुति जीवन को  संघर्षमय बनाते हैं। आपकी कुंडली में सूर्य कारक है या शनि कारक कारक है उसके अनुसार प्रभाव में अंतर आ सकता है परंतु जीवन संघर्ष में जरूर रहता है और जिस बाहों में से संबंध रहते हैं उस भाव भाव रहते हैं उस भाव भाव पर अपना प्रभाव जरूर देते हैं अगर यह प्रभाव कुंडली के चौथे और दसवें भाव भाव से बन रहा है तो उस भाव से संबंधित परेशानियां अवश्य आपको प्राप्त होगी यह योग जीवन में विलंब लाता है।  मेहनत करवाता,  देर से सफलता  प्राप्त होती है। पिता-पुत्र में  अनबन और मतभेद  बना रहता है  दशा-अंतर्दशा  यह फल देखने को मिलता है है है देखने को मिलता है है है।
ऐसी स्थिति में होने पर मतभेद को  टाले साथ साथ में परिश्रम करें और सूर्य और शनि की आराधना करना चाहिए जिससे यह प्रभाव कमजोर हो सके।contact 9893234239 ,8319942286,

Saturday, February 15, 2020

ज्योतिष सूत्र :मंगल और शनि योग : मंगल शनि का योग, जिस भाव में बनता और उसभाव से उथल-पुथल कर देता है अगर यह मांगलिक दोष वाले भाव में बैठकर मंगल शनि की  युति होती है तो शादी से परेशानियां उत्पन्न करता है ऐसे अगर एक कैरियर भावमें बन रहा होगा तो कैरियर में  उथल-पुथल रहेगी जातक का तकनीकी क्षेत्र में अपना कार्यक्षेत्र रहेगा साथ साथ में यह हो सकता है कि मंगल अगर योगकारक है तो मंगल का प्रभाव होगा, कुंडली में शनि योगकारक है तो  शनि  का प्रभाव रहेगा तो आप भी अपनी कुंडली मैं देख सकते है वृश्चिक लग्न की कुंडली है और जातक की कुंडली में दशम भाव में शनि मंगल की युति
 है  तो यहां पर मंगल का प्रभाव है जातक इंजीनियरिंग में आया तथा कार्यक्षेत्र में उथल-पुथल रहती है । शनि ग्रह मंगल का योग करियर के लिए संघर्ष पूर्ण रहता है ।दे
करियर की स्थिरता आने में में बहुत समय लगता है और व्यक्ति को बहुत अधिक कार्य करना पड़ता है  तब जाकर  सफलता मिलती है। शनि मंगल का योग व्यक्ति को तकनीकी कार्यों जैसे इंजीनियरिंग आदि में प्रगति कराता है। यह योग कुंडली के शुभ भावों में होने पर व्यक्ति  संघर्ष से अपनी तकनीकी प्रतिभाओं के द्वारा सफलता देर से प्राप्त करता है है । शनि मंगल का योग यदि कुंडली के छठे या आठवे भाव में हो तो पुष्पा से संबंधित स्वास्थ्य की परेशानियां होती है  तथा कष्ट उत्पन्न करता है शनि मंगल का योग  पाचनतंत्र   और एक्सीडेंट  की समस्याएं देता है। कुंडली में बलवान शनि सुखकारी तथा निर्बल या पीड़ित शनि कष्टकारक और दुखदायी होता है।  विपरीत स्वभाव  ग्रह है।
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शनि मंगल  यह योग लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में होने पर मंगल दोषबनाता को अधिक अमंगलकारी बनाता
 जातक के जीवन में वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां आती हैं।  रिश्ते टूटते हैं, विवाह देर से होता है और विवाह के बाद भी जीवन हो शांत रहता है रहता है।  विवाह विच्छेद  की संभावनाओं को बढ़ाता है को बढ़ाता है

Friday, February 14, 2020

ज्योतिष और स्वयं की की स्वयं की की बनाई हुई संपत्ति  कुंडली का चतुर्थ भाव प्रॉपर्टी  को देखा जाता है. चतुर्थ भाव से  जातक की स्वयं  के द्वारा बनाई हुई सम्पत्ति को देखा जाता है. कुंडली के चतुर्थ भाव पर शुभ ग्रह गुरु शुक्र बुध चंद्र का प्रभाव अधिक है तब व्यक्ति स्वयं की  संपत्ति  बनाता है. उदाहरण कुंडली में आप देख रहे हैं कि  मेष लगना का  जातक है इसके चौथे भाव में कर्क राशि में चंद्रमा बैठा है जो  खुद की राशि है और उस शुभ ग्रह बुध और शुक्र  सातवीं दृष्टि से उसे देख रहे हैं यह दर्शाता है कि जातक के पास अपने खुद की अर्जित संपत्ति है  अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर देख सकते हैं कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर है आपकी अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर संपत्ति है आपकी अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर कर में यह सूत्रों को लगा कर कर अपनी कुंडली में यह सूत्रों को लगा कर देख सकते हैं । धन्यवाद।

Sunday, February 9, 2020

 ज्योतिष सूत्र :आज हम चर्चा कर रहे हैं कि जब सूर्य ग्रह शनि के प्रभाव में आता है तो व्यक्ति के मान प्रतिष्ठा और जो भी सूर्य के कार तत्व है  उसमें कमी लाता है तो आप भी अपनी कुंडली में इसे देख सकते हैं यहां उदाहरण के लिए हमें सिंह लग्न कुंडली बता रहे हैं जिसमें शनि की तीसरी दृष्टि से सूर्य को देख रहा है तो जातक के मान सम्मान प्रतिष्ठा में कमी लाता है आप भी अपनी कुंडली में से देख सकते हैं.

Sunday, February 2, 2020

ज्योतिष सूत्र  राजनीति में सफल होने के लिए राहु कुंडली में मजबूत होना चाहिए 

राजनीति में जाने के लिए भी कुंडली में बुध गुरु और सूर्य का प्रभाव दशम भाव पर होने के साथ-साथ शनि की भी अच्छी स्थिति की भी अच्छी स्थिति होना चाहिए यदि इसका दशम भाव से संबंध हो या यह स्वयं दशम में हो तो जातक राजनीति करता है,राहु के कारण जातक  चालाक होता है। 
 ग्रह गुरु-  उच्च का होकर दशम से संबंध करें, या दशम को देखें, तो व्यक्ति बुद्धि के बल पर स्थान बनाता है,

बुध ग्रह के कारण जातक अच्छा वक्ता होता है। बुध गुरु के कारण  भाषण कला लोकप्रिय होती है। राजनीति में सूर्य व्यक्ति को मान प्रतिष्ठा और उच्च पद देता है,सूर्य केंद्र में हो  नवम या दशम में हो तो व्यक्ति उच्च पद पर होता है, 
  शनि का मजबूत होना जरूरी है। धर्म व न्याय का साथ देना चाहिएहै,
कितना ज्यादा प्रभावित घरों का कुंडली में होगा यह ग्रह अपनी मित्र राशि में 100 राशि राशि के उच्च राशि में केंद्र में त्रिकोण में होने से इसका प्रभाव अच्छा होता है समझने के लिए एक कुंडली दिखा रहा दिखा रहा है। कुंडली व्हाट्सएप लग्न की है और साथ में आप देख रहे हैं कि जो भागने ग्रह राजनीति के बताया राजनीति के बताया उनका संबंध दशम भाव से बन रहा है शनि की दृष्टि भी दशम भाव पर हैं गुरु की भी दृष्टि दशम भाव पर हैं और साथ-साथ में बुध भी दशम भाव में है तो इस तरह जातक का राजनीति के क्षेत्र में अच्छा कर रहा है आप भी अपनी कुंडली में इस तरह से देख सकते हैं धन्यवाद consultation 8319942286,9893234239.

Saturday, February 1, 2020

ज्योतिषी सूत्र :कुंडली में अगर लगन मजबूत नहीं है और कमजोर स्थिति में है तो हमें चंद्र कुंडली को देखना चाहिए अगर चंद्र कुंडली में शुभ ग्रहों का प्रभाव हो चंद्र कुंडली मजबूत हो बलवान हो तो आपको चंद्र कुंडली को लग्न मानकर बाकी मानकर  बाकी भावों को देखकर आप उसका  उसका आकलन कर सकते हैं जैसे चंद्र कुंडली से दशम भाव को देखकर आप आकलन कर सकते अपने रोजगार और कार्यक्षेत्र के बारे में इसके लिए हम एक कुंडली देख रहे हैं जो कि मेष लग्न लग्न की है जिसमें हम देख रहे हैं कि चंद्र कुंडली मजबूत है चंद्र कुंडली को सप्तम भाव से शुभ ग्रह देख रहे हैं तो और मजबूत कर रहे हैं कुंडली को इस तरह आप भी अपनी कुंडली में देख सकते हैं धन्यवादFor consultation contact 8319942286