Thursday, November 20, 2014

ज्योतिष :कुंडली से जाने : तलाक के कारण और योग : सूत्र :रिश्तों को तोड़ते :पृथकताजनक ग्रह :Cause of Divorce: Divorce in astrology


 ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
 कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं।
ज्योतिष के अनुसार तलाक के कारण और योग :
ज्योतिष मै  तलाक के सूत्र formula :
सातवाँ   भाव :विवाह से सम्बन्ध रखता है। 
शुभ और अशुभ  ग्रह :
शुभ  ग्रह :चन्द्र, बुध, शुक्र और बृहस्पति  शुभ  ग्रह होते  हैं | |
अशुभ  ग्रह :सूर्य, मंगल, शनि, राहू  अशुभ ग्रह होते  हैं |
 शुभ और अशुभ  ग्रह : शुभ ग्रह सातवें भाव को शुभता  देते  हैं और अशुभ ग्रह सातवें भाव के लिए बाधक का काम करते हैं |
सातवें भाव पर पृथकताजनक ग्रहों का प्रभाव :
सूर्य, बुध और राहू पृथकताजनक ग्रह हैं |

बारहवें भाव की  राशि का स्वामी ग्रह भी पृथकतावादी ग्रह होता है।
 दो या दो से अधिक पृथकताजनक ग्रह अगर साथ मै  हों तो जहा  पर बैठेंगे उससे सम्बन्धित चीजों से आपको अलग कर देते है |  सातवें भाव में बैठेकर   जातक को अपने जीवन साथी से अलग करने  की कोशिश करते है  | 
 सप्तम भाव, सप्तमेश एवं कारक ग्रहों का पापी ग्रहों से युति या दृष्टि  दाम्पत्य जीवन में कटुता करता है। सूर्य, शनि, मंगल एवं राहु (पापी ग्रह) दाम्पत्य जीवन में अलगाव लाते हैं।  पापी ग्रहों को पृथकता कारक ग्रह होते  है। 
सप्तम भाव इन पापी ग्रहों से पीड़ित अथवा पाप प्रभाव में हो, तो वैवाहिक जीवन कष्टदायक एवं दुखमय होता है। 
बृहस्पति :बृहस्पति पति सुख का कारक होकर यदि सप्तम भाव में स्थित हो, जातका के पति सुख में कमी रहेगी। 
 सप्तम भाव के दोनों ओर पापकर्तरी योग (पापी ग्रह) होने पर एक दूसरे के प्रति क्रूर व्यवहार के कारण तलाक की स्थिति बनती है।
 तलाक होने का समय:
ग्रहों के फल देने का एक निश्चित समय : जन्मकुंडली में विमशोत्तरी महादशा के नाम से एक कालम होता है जिसमे यह सब समय विवरण दिया रहता है |
दशा अन्तर्दशा या गोचर :अशुभ ग्रहों का सातवें भाव में होना ही तलाक  की वजह बनते  है।   ग्रह जो सातवें घर को नुक्सान पहुंचा रहा है उसकी दशा अन्तर्दशा या गोचर में आपकी राशि से भ्रमण कर रहा हो |
उपाय -
इष्ट देव,  की आराधना करे।
सप्तम स्थान में स्थित क्रूर ग्रह के उपाय करे ।
मंगल   ग्रह  का दान करें। 
 गुरुवार का व्रत करें।
 माता पार्वती का पूजन करें।
सोमवार का व्रत करें।
प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। 

पीपल की परिक्रमा करें।

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गुरू उच्च होकर भी प्रभावहीन है, तो ये करें उपाय
Solutions for good effects of Guru Brihaspati
 

Wednesday, November 19, 2014

ज्योतिष :कुण्डली से जाने : अनैतिक संबंध :विवाहेतर संबंध :उपाय :Astrology: Immoral relationship :Extramarital affair:

कुण्डली  से जाने अनैतिक संबेधों के कारक :

ग्रह  भाव : चंद्र ,मंगल ,शुक्र ,राहु सप्तम भाव,पंचम ,द्वादश प्रमुख  है। 
मंगल :     कर्मठ ,शारीरिक शक्ति , विवाहेतर संबंधों का कारक।
शुक्र :विपरीत लिंग से: रोमांस की दृष्टि से आकर्षित करने की क्षमता, कामेच्छा, के लिए प्रेरित ।  .  
शनि  : आलोचना।
राहु-केतु :स्वामी के अनुरूप ही संबंध ।
मंगल तथा शुक्र :कामुक संबंध । 
विवाह का कारक चंद्र, मंगल और शुक्र हैं।
भाव  : सप्तम भाव व सप्तमेश, पंचम भाव व पंचमेश तथा द्वादश भाव व द्वादशेश का किसी भी रूप में संबंध हो तो अनैतिक संबंध बनते  है।
चंद्र की भी अहं भूमिका होती है।
मंगल ने शारीरिक शक्ति प्रदान की करता है।  विवाहेतर संबंधों का कारक का काम  करता  है।  सप्तम भाव में मंगल चारित्रिक दोष उत्पन्न करता है
कुंड़ली मे सप्तम भाव में सूर्य हो, तो अन्य स्त्री-पुरुष से नाजायज संबंध बनाने वाला जीवनसाथी हो सकता है।
अनैतिक संबेधों का कारण,दृष्टि, युति आदि  से होता   हैं। 
योगों में शनि का योगदान अनैतिक संबंध कारक माना जाता है। 
जन्म कुंड़ली मे सप्तम भाव में चन्द्रमा के साथ शनि की युति होने पर जातक किसी अन्य से प्रेम कर अवैध संबंध रखता है।
 कुंड़ली मे सप्तम भाव में राहु होने पर जीवनसाथी धोखा देने वाला और  व्यभिचारी होता हैं व विवाह के बाद अवैध संबंध बनाता है।
 कुंड़ली मे सप्तमेश यदि अष्टम या षष्टम भाव में हों,मतभेद पैदा करता  हैं।
सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव का संबंध उपर्युक्त योगों के साथ हो तो अनैतिक संबंध बनते है।
कुंडली में शुक्र उच्च का होने पर व्यक्ति के कई प्रेम प्रसंगहो सकते हैं ।
निर्बल मंगल गोपनीय संबंध बनाकर विवाहोपरांत जीवन को कष्टमय बना सकता है। लेकिन मंगल और शुक्र दोनों बलवान हों तो बहु संबंधों के साथ बहुविवाह भी होते  हैं ।
चतुर्थ एवं सप्तम भाव मंगल और राहु से प्रभावित हों, तो कई स्त्रियों या पुरुषों से संबंध बनते हैं। 
सप्तम भाव व सप्तमेश, पंचम भाव व पंचमेश तथा द्वादश भाव व द्वादशेश का किसी भी रूप में संबंध हो, विवाहेतर संबंध बनते हैं।
बहु संबंध एवं बहु विवाह का एक प्रमुख कारण देस ,काल , वातावरण  होता है। 
अनैतिक संबंध : पुरुष सौंदर्यप्रिय तथा स्त्री धनप्रिय होने  के  कारण विवाह   के कारण बनते  हैं।  वास्तुदोषों के कारण होते हैं। साथ  मै ग्रह योगों की भूमिका मुख्य होती है। 
 एक दूसरे कि भावनाओं का सम्मान करते हुवे अपने अंदर समर्पण कि भावना रखनी चाहिए।ऐसे अशुभ ग्रह योग का प्रभाव कम करने के लिए यह उपाय करें:
• प्रतिदिन शिव-पार्वतीजी का पूजन करें।
पूरे विधि-विधान से हरितालिकातीज का व्रत रखें।
• सोमवार का व्रत रखें।
• मोती की अंगुठी धारण करें।
• माता-पिता का हृदय कभी ना दुखाएं और उनका या अन्य किसी बड़े व्यक्ति का अनादर बिल्कुल ना करें।
  मंगल ,राहु व शनि के उपाय करना चाहिए।
• हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का पाठ करें।
• प्रतिदिन पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।
मंत्र-यंत्र-, रत्न उपाय करके ऐसे योग का प्रभाव कम किया जा सकता हैं।
विद्वान एवं जानकार ज्योतिषी से परामर्श लेना  चाहिए।

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Tuesday, November 18, 2014

अंक ज्योतिष् और कुंडली से नाम परामर्श




Housi lal chourey:Astrology Consultation‎: 09893234239, 08319942286: Jyotish visharad :Experts in Astrology, Numerology, Horoscope Compatibility, Vastu and Palmist etc. :housi.chourey@gmail.com: Subscribe to Astrology Simpliyfied to get updates: https://www.youtube.com/channel/UChJU... ग्रह-तारे: click the blog. http://hchourey.blogspot.in

Monday, November 17, 2014

ज्योतिष :नाम राशि के अनुसार रखा जाना चाहिए :किन राशिओ से नाम ना रखे :Astrology: The name should be according to rashi:

  • किस राशि के कौन-कौन से नाम अक्षर हैं:
  • |किन राशिओ से नाम ना रखै :
  •  |किन अक्षरो से नाम ना रखै :
  • निवास के लिये उपयुक्त नगर :
  • नामराशि से नगर की नामराशि:
 राशि के नाम अक्षर से ही नाम रखै-
किस राशि के कौन-कौन से नाम अक्षर हैं:
राशिनाम       अक्षर
• मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
• वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
• मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
• कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
• सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
• कन्या- ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
• तुला- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
• वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
• धनु- ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
• मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
• कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
• मीन- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची 
|किन अक्षरो से नाम ना रखै :
 राशिनाम       अक्षर
 मेष- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
वृष- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
मिथुन-मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
कर्क- ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
सिंह -रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची
कन्या- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
तुला -ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
वृश्चिक- भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
धनु- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
मकर-दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची
रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
कुंभ-चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
मीन- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
ऊपर  बताऐ   अक्षरो पर नाम ना रखै
किन राशिओ से नाम ना रखे।
मेष राशि वाले मिथुन राशि,तुला राशि ,वृश्चिक राशि और मीन राशि से नाम ना रखे।
वृष राशि वाले मिथुन राशि, वृश्चिक राशि , धनु राशि , मीन राशि से नाम ना रखे।
मिथुन राशि वाले कर्क राशि ,वृश्चिक राशि ,धनु राशि , कुम्भ राशि से नाम ना रखे।
कर्क राशि वाले, वृष राशि , मिथुन राशि , कन्या राशि वृश्चिक राशि कुम्भ राशि , से नाम ना रखे।
सिंह राशि वाले, वृष राशि ,तुला राशि ,मकर राशि, कुम्भ राशि से नाम ना रखे।
कन्या राशि वाले वृश्चिक राशि ,धनु राशि. मीन राशि ,वृष राशि से नाम ना रखे।
तुला राशि वाले वृश्चिक राशि , धनु राशि , मीन राशि ,वृष राशि से नाम ना रखे।  
वृश्चिक राशि वाले धनु राशि ,कर्क राशि मिथुन राशि , मीन राशि से नाम ना रखे।
धनु राशि वाले मेष राशि, मिथुन राशि, कर्क राशि,कन्या राशि, वृश्चिक राशि से नाम ना रखे। मकर राशि वाले मीन राशि मेष राशि, मिथुन राशि, सिंह राशि ,कन्या राशि से नाम ना रखे।
 कुम्भ राशि वाले मेष राशि, मिथुन राशि, सिंह राशि कर्क राशि मीन राशि से नाम ना रखे।
मीन राशि वाले वृष राशि , मिथुन राशि , कन्या राशि वृश्चिक राशि कुम्भ राशि से नाम ना रखे। (मात्राओ और अक्षरों मै फेर बदल कर सकते है )  .

 मेष राशि के व्यक्तियों का भाग्य उदय 16, 22, 28, 32, एवं 36वें वर्ष में होता है.
मित्र-राशियाँ:- सिंह, तुला और धनु राशियाँ इनकी मित्र होती है.
शत्रु-राशियाँ:- मिथुन, कन्या राशि, यदि इस राशि वाले व्यक्ति इन राशियों के व्यक्तियों में प्रेम व सदभावना रखे तो, शुभ होगा, जो कि उनकी मित्र राशियाँ है. जीवन में सफलता पा सकते है.,
 नाम-अक्षर:- चु, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ
वृष राशि का भाग्य उदय:- 20 से 22 वर्ष के मध्य अक्सर हो जाता है. इनके जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष 29, 30, 47, 56, 65, 74 व 83वां वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
नाम अक्षर:- ई, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो,
मित्र राशियां:- कुम्भ तथा मकर,
शत्रु राशियां:- सिंह, धनु और मीन,
मिथुन राशि
अनुकूल वर्ष:- 21, 30, 39, 48, 57, 66, व 75वां वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण.
मित्र राशियां:- तुला, सिंह, कन्या, कुम्भ,
शत्रु राशियां:- कर्क, वृष, मेष,
नाम अक्षर:- का, की, कू, घ, ङ, के, छ, को, हा,
इस व्यक्ति का भाग्य उदय:- 22वें वर्ष में होता है. वैसे इनके जीवन में 22, 31, 40, 49, 58, 67, एवं 86वें वर्ष लाभदायक रहते है.
कर्क राशि
इस व्यक्ति का भाग्य उदय:- 22वें वर्ष में होता है. वैसे इनके जीवन में 22, 31, 40, 49, 58, 67, एवं 86वें वर्ष लाभदायक रहते है.
नाम अक्षर:- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो,
मित्र राशियां:- वृश्चिक, मीन, तुला,
शत्रु राशियां:- मेष, सिंह, धनु, मिथुन, मकर, व कुम्भ,
सिंह राशि
नाम अक्षर:- मा, मी, मु, में, मो, टा, टी, टू, टे,
इस राशि के लोगो का भाग्य उदय:- 23वें वर्ष में होते देखा गया है. आपके जीवन के 32, 41, 50, 68 व 77वां वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण व उन्नतिदायक होता है.
मित्र राशियां:- मिथुन, कन्या, मेष व धनु,
शत्रु राशियां:- बृषभ, तुला, मकर, कुम्भ,
कन्या राशि
राशि नाम अक्षर:- टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो,
इस राशि वालों का भाग्य उदय:- 24वें वर्ष के बाद भाग्य उदय के सुंदर अवसर प्राप्त होते है. 33, 42, 51, 60, 69 एवं 78वां वर्ष अत्याधिक उन्नतिदायक होता है.
मित्र राशियां:- मेष, मिथुन, सिंह, तुला,
शत्रु राशि:- कर्क,
तुला-राशि
नाम अक्षर:- रा, री, रु, रे, रो, ता, ती, तू, ते,
तुला राशि वालों का भाग्योदय:- 25वें वर्ष होता देखा गया है. इनके जीवन का 34, 43, 52, 61, 70 एवं 79वां वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
मित्र राशियां:- मिथुन, कुम्भ, मकर, धनु, कर्क,
शत्रु राशि:- सिंह,
वृश्चिक-राशि
नाम अक्षर:- तो, ना, नी, नु, ने, नो, या, यी, यु,
भाग्य उदय वर्ष:- 28वां वर्ष, सफलता का वर्ष होता है. वैसे इनके जीवन में 35, 44, 52, 53, 71, एवं 80वां वर्ष विशेष प्रभावशाली होता है.
मित्र राशियां:- कर्क एवं मीन,
शत्रु राशियां:- मेष, मिथुन, सिंह, धनु,
धनु राशि
नाम अक्षर:- ये, यो, भा, भी, भू, ध, फ, ढ, भे,
आपका भाग्य उदय:- 32 वर्ष के बाद सम्भव होता है. 36, 42, 45, 54, 63, 72, एवं 81वां वर्ष प्रभावशाली व भाग्यवर्धक वर्ष होते है.
मित्र राशि:- मेष व सिंह,
शत्रु राशि:- कर्क, वृश्चिक और मीन,
मकर राशि
नाम अक्षर :- भो, जा, जी, जू, जे, जो, खा, खी, खू, खे, खो, गा, गी,
आपका भाग्य उदय :- 36वें वर्ष के बाद, 37, 46, 55, 64, 73 vव 82वें वर्ष शुभदायक होते है.
मित्र राशियां :- कुम्भ,
शत्रु राशियाँ :- सिंह और धनु,
कुम्भ राशि
नाम अक्षर:- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, द.
भाग्य उदय:- 36वें वर्ष में शुरू हो जाता है. वैसे जीवन के 29, 38, 47, 56, 57, 65, 74 व 83वें वर्ष अत्यधिक महत्वपूर्ण व उन्नतिदायक होते है.
मित्र राशियां:- मीन, मिथुन, मकर, वृष व तुला.
शत्रु राशियां:- कर्क, सिंह, वृश्चिक.
मीन राशि
आपका भाग्य उदय:- 32वें वर्ष में शुरू हो जाता है. आपके जीवन के 41, 45, 48, 58, 65, 85वें वर्ष शुभफलदायक होते है.
मित्र राशियां:- कर्क, वृश्चिक.
शत्रु राशियां:- मेष, सिंह, धनु,
नाम अक्षर:- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची,
निवास के लिये उपयुक्त नगर:नामराशि से नगर की नामराशि
जातक की नाम राशि से नगर या मौहल्ला की नाम राशि 2, 5, 9, 10 व 11 वीं हो तो शुभ। 1, 7 हो तो शत्रु। 4, 8 व 12 हो तो रोग। 3, 6 हो तो रोग कारक समझना चाहिये। 

   नगर की राशि               व्यक्ति की नामराशि

                              मेष   वृष  मिथुन  कर्क   सिंह  कन्या तुला  वृश्चिक  धनु   मकर    कुम्भ    मीन
मेष                        बैर    रोग    शुभ    शुभ    शुभ    रोग    बैर    हानि    शुभ    रोग    हानि    शुभ
वृष                        शुभ    बैर    रोग    शुभ    शुभ    शुभ    रोग    बैर    हानि    शुभ    रोग    हानि
मिथुन                   हानि    शुभ    बैर    रोग    शुभ    शुभ    शुभ    रोग    बैर    हानि    शुभ    रोग
कर्क                      रोग    हानि    शुभ    बैर    रोग    शुभ    शुभ    शुभ    रोग    बैर    हानि    शुभ
सिंह                      शुभ    रोग    हानि    शुभ    बैर    रोग    शुभ    शुभ    शुभ    रोग    बैर    हानि
कन्या                    हानि    शुभ    रोग    हानि    शुभ    बैर    रोग    शुभ    शुभ    शुभ    रोग    बैर
तुला                      शुभ    हानि    शुभ    रोग    हानि    शुभ    बैर    रोग    शुभ    शुभ    शुभ    रोग
वृश्चिक                रोग    बैर    हानि    शुभ    रोग    हानि    शुभ    बैर    रोग    शुभ    शुभ    शुभ
धनु                      शुभ    रोग    बैर    हानि    शुभ    रोग    हानि    शुभ    बैर    रोग    शुभ    शुभ
मकर                    शुभ    शुभ    रोग    बैर    हानि    शुभ    रोग    हानि    शुभ    बैर    रोग    शुभ
कुम्भ                    शुभ    शुभ    शुभ    रोग    बैर    हानि    शुभ    रोग    हानि    शुभ    बैर    रोग
मीन                     रोग    शुभ    शुभ    शुभ    रोग    बैर    हानि    शुभ    रोग    हानि    शुभ    बैर
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अंक ज्यातिष से जानिए :अनुकूल नंबर :वाहन नंबर: रंग :Numerology : Vehicle number:

वाहन के नंबर का कुल योग अनुकूल नंबर पर रखें तो उन्हे अच्छा लाभ मिलता है। 
  •  मूलांक :
  • किस  रंग का वाहन होना चाहिए:
  • शुभ दिन:
  • अनुकूल नंबर
 मूलांक :मूलांक - 1 : जिनका जन्म किसी भी महीने की1,10,19,और 28 तारिख  को  हुआ है तो इनका  मूलांक 1 होगा और इस अंक वालों का अनुकूल नंबर  1,2, 4 या 7   होता है
मूलांक - 2 : जिनका जन्म किसी भी महीने की2,11,20, और 29 तारिख  को  हुआ है तो इनका  मूलांक 2 होगा और इस अंक वालों का अनुकूल नंबर  1,2, 4 या 7  होता है
मूलांक - 3 : जिनका जन्म किसी भी महीने की 3,12,21 और 30 तारिख  को  हुआ है तो इनका  मूलांक 3 होगा और इस अंक वालों का अनुकूल नंबर  3,6, या 9 होता है

 मूलांक -4 : जिनका जन्म किसी भी महीने की 4,13,22, और 31 तारीख को है हुआ है वो लोग मूलांक 4 तो इस अंक वालों को अनुकूल नंबर  1, 2, 4 या 7 होता है
 मूलांक -5 : जिनका जन्म किसी भी महीने की  5,14,और 23 तारीख को है हुआ है वो लोग मूलांक 5 तो इस अंक वालों को अनुकूल नंबर   होता हैमूलांक - 6 : जिनका जन्म किसी भी महीने की  6,15,24, तारिख  को  हुआ है तो इनका  मूलांक 6 होगा और इस अंक वालों का अनुकूल नंबर  3,6, या 9 होता है
मूलांक - 7    : जिनका जन्म किसी भी महीने की 7,16,25, तारिख  को  हुआ है तो इनका  मूलांक 7    होगा और इस अंक वालों का अनुकूल नंबर  1,2, 4 या 7    होता है   
मूलांक -8: जिनका जन्म किसी भी महीने की  8,17,26,तारीख को है हुआ है वो लोग मूलांक 8तो इस अंक वालों को अनुकूल नंबर  8,होता है
मूलांक - 9 : जिनका जन्म किसी भी महीने की  9,18 , 27 तारिख  को  हुआ है तो इनका  मूलांक 9 होगा और इस अंक वालों का अनुकूल नंबर  3,6, या 9 होता है
शुभ दिन:
मूलांक दिन 1 रविवार 2 सोमवार 3 गुरुवार 4 शनिवार 5 बुधवार 6 शुक्रवार 7 रविवार 8 शनिवार 9 मंगलवार।
किस  रंग का वाहन होना चाहिए:
मूलांक 1:  पीले, सुनहरे अथवा क्रीम रंग का वाहन  । 
मूलांक  2:  सफेद अथवा हल्के हरे रंग का वाहन क्रय करें । 
मूलांक 3: पीले, बैंगनी, नीले या गुलाबी रंग का वाहन खरीदना चाहिए,
मूलांक  4:  नीले या भूरे रंग का वाहन शुभ होगा।
मूलांक  5:हल्के हरे, सफेद या भूरे रंग का वाहन रखें। 
मूलांक 6 : हल्के नीले, गुलाबी या पीले रंग का वाहन होना चाहिए,। 
मूलांक 7: वाहन नीले या सफेद रंग का हो तो शुभ रहेगा। 
मूलांक  8:  वाहन का रंग काले, नीले, भूरे एवं बैंगनी ।
मूलांक 9:  वाहन का रंग लाल या गुलाबी रखें तो शुभ हो। 
वाहन का नंबर अनुकूल नंबर पर रखें:

वाहन के नंबर का कुल योग नंबर 2451है, अतः कार का मूलांक 3हुआ। 
अनुकूल नंबर  3,6, या 9 होता है
वाहन लेते समय अनुकूल नंबर  3,6, या 9अंकों का चयन करना चाहिए, जिनके मूलांक की उसके मूलांक से मित्रता हो।

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Saturday, November 15, 2014

अंक ज्योतिष से जानिये , मोबाइल नंबर और कार्य क्षेत्र :Numerology: Mobile number and work area

अंक ज्योतिष से जानिये मोबाइल नंबर  और कार्य क्षेत्र :Numerology:
मोबाइल नंबर स्थिति। 
मोबाइल नंबर भी हमे  को प्रभावित करता है।   जैसा की हम जानते है  की
अंक भी  भाग्य को प्रभावित करते हैं।
अंकशास्त्र के अनुसार : 


कार्य क्षेत्र के अंक का मोबाइल नंबर में  अधिक बार आना भाग्य को बलवान बनाता है और कार्य क्षेत्र उनत्ति प्रधान  करता  है । 
आप किस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उस प्रकार मोबाइल नंबर चुनना चाहिए। 
अंक 1- प्रशासक, अधिकारी, जौहरी का कार्य, मकानों की ठेकेदारी, जलप्रदाय विभाग, राजनीतिक कार्य ,आभूषण,  स्वर्णकारिता, विद्युत, चिकित्सा, नेतृत्व, स्पोर्टस वस्तु, अग्नि, सेवा कार्य, सैन्य विभाग व प्रशासन ,सरकारी क्षेत्रों, बिजली, सर्जरी, विज्ञान, प्रशासनिक, सोना, आभूषण सरकारी ठेकेदारी आदि मै  सफलता मिलती है,।
अंक 2 -तेल संबंधी कार्य, चीनी मिल, अन्न का व्यवसाय, दूध, दही, घृत, कागज, जल, कृषि, एजेंट, संपादन, लेखन, संगीत, अभिनय, नृत्य, मकानों की ठेकेदारी,द्रव्य पदार्थ, तैतीय कार्य, पर्यटन, एजेंट, फल-फूल,    ठेकेदारी, चिकित्सा, रत्नों का व्यवसाय, दंत चिकित्सा, पशुपालन,दूध, डेरी, तरल पदार्थ, पत्रकारिता, समुद्री कार्य, रत्न का व्यापार, कला, सजावट, आर्किटक्चर आदि के कार्य मै  सफलता मिलती है। 
अंक 3 - रेस्टोरेंट, होटल, व्याख्याता, प्राध्यापक, कानून के सलाहकार, न्यायाधीश, दलाल, पुलिस विभाग, दर्शन शास्त्री, अभिनेता, सेल्स मैन, टाइपिस्ट वस्त्र, भोजनालय, धर्मोपदेश, लेखन, संपादन, कानूनी सलाहकार, व्याख्याता, वकील, क्लर्क, चिकित्सा कार्य, दलाली, आढ़त, विज्ञापन, अभिनय, जल जहाज कार्य, पुलिस विभाग, दार्शनिक, प्रबंधन व जलीय व्यापार,शिक्षा के क्षेत्र में, अदालती, कामी, राजदूत, दर्शन शास्त्र, धार्मिक कार्य, बैंक आदि के क्षेत्रों में सफल होते  है।
अंक 4- तेल, मिट्टी का तेल, अर्क, इत्र, रेल विभाग, उपदेशक, राज्य कर्मचारी, मजदूर, मोटर चालक, पत्रकार, बाबू, टेलीफोन आॅपरेटर,इजी., सेल्समैन, वहीखाता, रेलवे, टेलीग्राफी, पत्रकारिता, तम्बाकू, दलाली, लेखा, ट्रांसपोर्ट, राजनीति तथा ज्ञान के क्षेत्रों में सफल होते हैं।
अंक 5 - ज्योतिष, सेल्समैन, डाकघर, बीमा विभाग, अनुवादक, राजनीति संबंधी कार्य, लाइब्रेरियन, इतिहास, खोज एवं पुरातत्व विभाग, मुनीम, पर्यटक एवं बुद्धिसेल्समैन, बीमा, लेखन, शिक्षा, गणितज्ञ, चिकित्सक तथा ऊंचे दर्जों के व्यापारी हो सकते हैं। 
अंक 6 - ब्यूटी पार्लर, होटल, ढाबे, शिल्पकार, डिजायनर, कहानीकार, बागवानी, वस्त्र व्यवसायी, वस्त्राभूषण, टेरीलीन, टेरीन, ऊनी वस्त्रादि के विक्रेता, मिष्टान्न व्यवसाय, घड़ीसाजी, नृत्याभिनयकला क्षेत्र में फैशन, फिल्मी दुनिया, गायन, लेखन, कथा कहानी, ड्रामा, चित्रकला ,में सफल होते हैं।
अंक 7 - अभिनय, फिल्म व्यवसाय, वायु सेवा, पर्यटन, ड्राइवर का कार्य, बाबूगिरी, संपादन कार्य, रबर, क्रय-विक्रय, भूमिगत पदार्थों का व्यवसाय, क्रय-विक्रय, ड्राईविंग, दवा विक्रेता, गुप्तचारी, पहलवानी, संपादन, राजनीति आदि तथा डेरी, फिल्म ज्योतिष, अध्यात्म आदि में  सफल होते हैं। 
अंक 8 - खेल-कूद, सैन्य विभाग, ठेकेदारी, टीन चद्दर आदि का कार्य, कुलीगिरी, लघु उद्योग, वकालत, ज्योतिष कार्य, वैज्ञानिक कार्य, मुर्गी पालन, बागवानी, सौंदर्य प्रसाधन कोयला और लकड़ी का व्यवसाय, इजी., खिलाड़ी, नगरपालिका, कोयला, खान, पशुपालन, न्याय विभाग, ठेकेदारी, जेल विभाग में सफलता मिलती है।
अंक 9: चिकित्सा, ज्योतिष, धर्मोपदेशक, सैन्य विभाग, गोला-बारूद, आतिशबाजी का व्यवसाय, वकालत, औषधि विक्रेता, लौह तथा अन्य धातु संबंधी कार्य,सेना, पुलिस, मशीनरी, इंजीनियर, पहलवानी, प्रबंधक, औषधि निर्माण, भूमि संबंधी, अग्नि संबंधी, इन क्षेत्रों में मै सफलता मिलती है।

जैसे अगर आप ऊपर   बताये  गऐ क्षेत्र से जुड़े हुए हैं  तो  अंक के  अनुसार उनकी  अधिकता वाला मोबाइल नंबर चुन सकते हैं। 

उदाहरण- किसी जातक कामोबाइल नंबर 8861209966:
अंक के  अनुसार उनकी  अधिकता 666 , 88, 99तो  इनको 6 अंक ,8 अंक,9 अंक के कार्य क्षेत्र से जुड़ना  चाहिए । 
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अंक ज्योतिष से जानिये नौकरी और व्यवसाय :Numerology: Job and Business:

अंक से प्रभावित लोगों के नौकरी और  व्यवसाय :Numerology: Job and Business:
अंक 1- प्रशासक, अधिकारी, जौहरी का कार्य, मकानों की ठेकेदारी, जलप्रदाय विभाग, राजनीतिक कार्य ,आभूषण,  स्वर्णकारिता, विद्युत, चिकित्सा, नेतृत्व, स्पोर्टस वस्तु, अग्नि, सेवा कार्य, सैन्य विभाग व प्रशासन ,सरकारी क्षेत्रों, बिजली, सर्जरी, विज्ञान, प्रशासनिक, सोना, आभूषण सरकारी ठेकेदारी आदि मै  सफलता मिलती है,।
अंक 2 -तेल संबंधी कार्य, चीनी मिल, अन्न का व्यवसाय, दूध, दही, घृत, कागज, जल, कृषि, एजेंट, संपादन, लेखन, संगीत, अभिनय, नृत्य, मकानों की ठेकेदारी,द्रव्य पदार्थ, तैतीय कार्य, पर्यटन, एजेंट, फल-फूल,    ठेकेदारी, चिकित्सा, रत्नों का व्यवसाय, दंत चिकित्सा, पशुपालन,दूध, डेरी, तरल पदार्थ, पत्रकारिता, समुद्री कार्य, रत्न का व्यापार, कला, सजावट, आर्किटक्चर आदि के कार्य मै  सफलता मिलती है। 
अंक 3 - रेस्टोरेंट, होटल, व्याख्याता, प्राध्यापक, कानून के सलाहकार, न्यायाधीश, दलाल, पुलिस विभाग, दर्शन शास्त्री, अभिनेता, सेल्स मैन, टाइपिस्ट वस्त्र, भोजनालय, धर्मोपदेश, लेखन, संपादन, कानूनी सलाहकार, व्याख्याता, वकील, क्लर्क, चिकित्सा कार्य, दलाली, आढ़त, विज्ञापन, अभिनय, जल जहाज कार्य, पुलिस विभाग, दार्शनिक, प्रबंधन व जलीय व्यापार,शिक्षा के क्षेत्र में, अदालती, कामी, राजदूत, दर्शन शास्त्र, धार्मिक कार्य, बैंक आदि के क्षेत्रों में सफल होते  है।
 अंक 4- तेल, मिट्टी का तेल, अर्क, इत्र, रेल विभाग, उपदेशक, राज्य कर्मचारी, मजदूर, मोटर चालक, पत्रकार, बाबू, टेलीफोन आॅपरेटर,इजी., सेल्समैन, वहीखाता, रेलवे, टेलीग्राफी, पत्रकारिता, तम्बाकू, दलाली, लेखा, ट्रांसपोर्ट, राजनीति तथा ज्ञान के क्षेत्रों में सफल होते हैं।
 अंक 5 - ज्योतिष, सेल्समैन, डाकघर, बीमा विभाग, अनुवादक, राजनीति संबंधी कार्य, लाइब्रेरियन, इतिहास, खोज एवं पुरातत्व विभाग, मुनीम, पर्यटक एवं बुद्धिसेल्समैन, बीमा, लेखन, शिक्षा, गणितज्ञ, चिकित्सक तथा ऊंचे दर्जों के व्यापारी हो सकते हैं। 
अंक 6 - ब्यूटी पार्लर, होटल, ढाबे, शिल्पकार, डिजायनर, कहानीकार, बागवानी, वस्त्र व्यवसायी, वस्त्राभूषण, टेरीलीन, टेरीन, ऊनी वस्त्रादि के विक्रेता, मिष्टान्न व्यवसाय, घड़ीसाजी, नृत्याभिनयकला क्षेत्र में फैशन, फिल्मी दुनिया, गायन, लेखन, कथा कहानी, ड्रामा, चित्रकला ,में सफल होते हैं।
 अंक 7 - अभिनय, फिल्म व्यवसाय, वायु सेवा, पर्यटन, ड्राइवर का कार्य, बाबूगिरी, संपादन कार्य, रबर, क्रय-विक्रय, भूमिगत पदार्थों का व्यवसाय, क्रय-विक्रय, ड्राईविंग, दवा विक्रेता, गुप्तचारी, पहलवानी, संपादन, राजनीति आदि तथा डेरी, फिल्म ज्योतिष, अध्यात्म आदि में  सफल होते हैं। 
अंक 8 - खेल-कूद, सैन्य विभाग, ठेकेदारी, टीन चद्दर आदि का कार्य, कुलीगिरी, लघु उद्योग, वकालत, ज्योतिष कार्य, वैज्ञानिक कार्य, मुर्गी पालन, बागवानी, सौंदर्य प्रसाधन कोयला और लकड़ी का व्यवसाय, इजी., खिलाड़ी, नगरपालिका, कोयला, खान, पशुपालन, न्याय विभाग, ठेकेदारी, जेल विभाग में सफलता मिलती है।
 अंक 9: चिकित्सा, ज्योतिष, धर्मोपदेशक, सैन्य विभाग, गोला-बारूद, आतिशबाजी का व्यवसाय, वकालत, औषधि विक्रेता, लौह तथा अन्य धातु संबंधी कार्य,सेना, पुलिस, मशीनरी, इंजीनियर, पहलवानी, प्रबंधक, औषधि निर्माण, भूमि संबंधी, अग्नि संबंधी, इन क्षेत्रों में मै सफलता मिलती है। 

मूलांक -  जन्म तारीख के कुल योग को मूलांक कहते है ।
मूलांक- किसी भी जातक की जन्मतिथि का योग मूलांक होता है जैसे 4 ,22,31,,  तारीखों को जन्मे जातकों का मूलांक 4कहलाएगा।
भाग्यांक - DD : MM : YYYY के कुल योग को भाग्यांक कहते है।
 भाग्यांक- जन्म की तिथि, माह व वर्ष का योग भाग्यांक होता है जैसे 31 अक्टूबर माह 1949 का भाग्यांक  3+ 1+1+0 +1+9+4+9 =28=10 =1होगा।
 मूलांक और भाग्यांक:अनुसार काम करने से जीवन में काम पुरे होने  मै  बाधाऐ  नही  आती  है ।
   अंक   स्वामी ग्रह        मित्रांक           समांक            शत्रु अंक
   १        सूर्य             ४-८            २,३,७,९            ५,६
   २      चन्द्रमा           ७-९            १,३,४,६            ५,८
   ३        गुरु             ६-९             १,२,५,७            ४,८
   ४     हर्षल-राहु         १-८             २,६,७,९          ३,५
   ५       बुध             ३-९             १,६,७,८             २,४
   ६       शुक्र             ३-९             २,४,५,७            १,८
   ७    नेप्चून-केतु      २-६             ३,४,५,८         १,९
   ८      शनि             १-४             २,५,७,९             ३,६
   ९      मंगल            ३-६             २,४,५,८             १,७


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Friday, November 14, 2014

अंक ज्योतिष:मूलांक व भाग्यांक का नामांक से मेल करके लाभ कैसे प्राप्त करे:Numerology:How to get benefits:

अंक ज्योतिष:मूलांक व भाग्यांक का नामांक से मेल करके लाभ कैसे प्राप्त करे:
मूलांक -  जन्म तारीख के कुल योग को मूलांक कहते है ।
भाग्यांक - DD : MM : YYYY के कुल योग को भाग्यांक कहते है।

 मूलांक और भाग्यांक:अनुसार काम करने से जीवन में काम पुरे होने  मै  बाधाऐ  नही  आती  है ।
मूलांक व भाग्यांक का नामांक का मेल न करना।
नामांक का ग्रह उसके मूलांक, भाग्यांक का शत्रु नही होना चाहिए ।
नाम के आगे अथवा पीछे कुछ अक्षरों को जोड़ या   घटाकर नामांक का  मेल करते हैं
नामांक :प्रत्येक अक्षर का एक अंक होता है अत: नाम लिखने के बाद सभी अक्षरों के अंकों को जोड़ा जाता है जिससे नामांक ज्ञात होता है।
 मूलांक व भाग्यांक का नामांक से मेल कैसे करे:
मूलांक- किसी भी जातक की जन्मतिथि का योग मूलांक होता है जैसे 4 ,22,31,,  तारीखों को जन्मे जातकों का मूलांक 4कहलाएगा। भाग्यांक- जन्म की तिथि, माह व वर्ष का योग भाग्यांक होता है जैसे 31 अक्टूबर माह 1949 का भाग्यांक  3+ 1+1+0 +1+9+4+9 =28=10 =1होगा। उदारण- किसी जातक का नाम  HVSI  LAL  CHOUREY व उसकी जन्मतिथि 31.10.1949 है। जातक का मूलांक = 31= 3+1 = 4है। जातक का भाग्यांक = 31.10.1949 3+ 1+1+0 +1+9+4+9 =28=10 =1 जातक का नामांक- 
 HVSI  LAL  CHOUREY 56313133576251=51=6  चूंकि नामांक (6) 41का मित्र अंक नहीं है इसलिए जातक को इस नाम में कुछ फेर बदल करना पड़ेगा (मूलांक व भाग्यांक बदल नहीं सकते)। यदि जातक अपना नाम केवल
 HOUSI  LAL CHOUREY 576313133576251=58=5+8+=13=1+3=4 कर ले जिससे नामांक  =4 हो जाएगा तो उसे लाभ होने लगेगा कारण अंक 4 ,मूलांक व भाग्यांक दोनों का मित्र है जिससे उसे हर काम में  लाभ होने लगेगा।
  नाम की सारणी (नामांक) बनाने की विधि 
A B C D E F G H I J K L M
1  2  3 4  5 8 3   5 1 1 2 3 4 
N O P Q R S T U V W X Y Z 
5 78 1 2 3 4 6 6 6 5 1 2 

 वर्णाक्षर             स्वामी अंक         वर्णाक्षर           स्वामी अंक
 A,I,J,Q,Y                1             E,H,N,X              5
 B,K,R                     2             U,V,W                 6
 C,G,L,S                  3             O,Z                     7
 D,M,T                    4              F,P                     8
                                                                          9
नौ अंक सबसे श्रेष्ठ है तथा इसे किसी भी वर्णाक्षर का स्वामित्व नहीं मिला। प्रस्तुत अंक तालिका कीरो के सिद्धान्त के अनुसार प्रस्तुत है।

   अंको के मित्र-शत्रु
अंकों के प्रभाव की जानकारी हेतु अंक और ग्रह की निम्नांकित तालिका प्रस्तुत की जाती है।
  अंक   स्वामी ग्रह        मित्रांक           समांक            शत्रु अंक
   १        सूर्य             ४-८            २,३,७,९            ५,६
   २      चन्द्रमा           ७-९            १,३,४,६            ५,८
   ३        गुरु             ६-९             १,२,५,७            ४,८
   ४     हर्षल-राहु         १-८             २,६,७,९          ३,५
   ५       बुध             ३-९             १,६,७,८             २,४
   ६       शुक्र             ३-९             २,४,५,७            १,८
   ७    नेप्चून-केतु      २-६             ३,४,५,८         १,९
   ८      शनि             १-४             २,५,७,९             ३,६
   ९      मंगल            ३-६             २,४,५,८             १,७


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Friday, November 7, 2014

कुंडली से जाने :विवाह की उम्र: Marriage tips For Age of Marriage

  विवाह की उम्र
ज्योतिष के अनुसार, विवाह भावनात्मक और शारीरिक रूप से लगाव है. कुछ लोगो की शादी 18-24, 25-32, और 33-40 साल की उम्र में होती है. और कुछ लोग शादी नहीं कर पाते हैं .  
सातवें स्थान और शुक्र अच्छा है तो पुरुष की 
शादी  24-28 साल की उम्र मे होती है।  महिलाओं का सातवें स्थान और बृहस्पति अच्छा हो तो उनकी शादी 22-26 की उम्र मे होती है।   मंगल, राहु और शनि सातवें और आठवें स्थान तथा शुक्र या बृहस्पति को प्रभावित करता है , तो व्यक्ति इस स्थिति में 28 वर्ष की उम्र तक शादी नहीं कर पाता है , अगर वे शादी  28 वर्ष की आयु के पहले  कर लेते  है  ,तो शादी से   खुशी नहीं मिल पाती है ,अतः  शादी 28 वर्ष की  आयु  के बाद ही करनी चाहिएै। 

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Wednesday, November 5, 2014

ज्योतिष :कुंडली से जाने : किसे नौकरी करना चाहिए ? नौकरी प्राप्ति का समय :किसे नौकरी करने से सफलता ,प्रसिद्धि प्राप्त होती है:Astrology :Who should do the job? when to get job:


नौकरी, प्रसिद्धि एवं संपन्नताइन सभी ज्योतिषीय सूत्र  का एवं योगों को जानकर  नौकरी मैं प्रसिद्धि एवं संपन्नता को   प्राप्त कर सकता  है। 
ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं।

नौकरी  :
द्वितीय, दशम व एकादश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी करता  है  और  सफलता प्राप्त करता  है
दूसरा भाव:धन, परिवार, महत्वाकांक्षा,  धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि.
छठा भाव :छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है।
छठे भाव का कारक भाव शनि है।

छठे भाव का बलवान होना तथा अधिक ग्रहों की स्थिति नौकरी की संभावना दर्शाती है,  
दशम भाव:

पेशे, प्रसिद्धि,  अधिकार, सम्मान, सफलता,  कर्म, सफलता , पदोन्नति,  नौकरी, 

दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी  करता है।
दशम भाव बली हो तो नौकरी करना चाहिए
पंचम व पंचमेश का दशम भाव से संबंध हो तो शिक्षा जो प्राप्त हुई है वह नौकरी में काम आती है। 
लग्नेश, लाभेश, छठे भाव का  सवामी ,गुरु, चन्द्रमा का बली होना या केन्द्र त्रिकोण में स्थित होना नौकरी में सफलता दिलाता है। 

नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
द्वादश भाव का स्वामी यदि 1, 2, 4, , 5, 9, 10वें भाव में स्थित हो तो नौकरी का योग  बनाता  है।
दशमेश या दशम भाव में स्थित ग्रह दशमांश कुंडली में चर राशि में स्थित हो तो जातक नौकरी करता है और  सफलता प्राप्त करता  है। 
शनि कुण्डली में बली होकर बुध को दृष्ट कर रहा है तो व्यक्ति नौकरी करता है.
किसी भी कुंडली में मंगल, सूर्य, बुध, वृहस्पति, शनि, दशम्‌ भाव व दशमेश इन सबकी स्थिति जितनी अच्छी होगी, उसी के अनुसार जातक को उच्च अधिकार प्राप्त होगा।


डी 9 ,डी १० चार्ट मे भी देखना है।
 कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम: प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।

लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में 
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में 
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में 

दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में  
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।


राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है। 
 गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
गोचर  : नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु का या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से संबंध होता है।सरकारी नौकरी:यह जान लें कि दशम भाव बली हो तो नौकरी  . 
 नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति
सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर  सरकारी
नौकरी करता है
 केंद्र में गुरु स्थित होने पर
सरकारी नौकरी मे  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी करता है.
मंगल
कुण्डली में बली हो तो पुलिस, खुफिया विभाग अथवा सेना में उच्च पद होने की संभावना होती है।
गुरु
कुण्डली में बली हो तो  जातक को अच्छा वकील, जज, धार्मिक प्रवक्ता , ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद बनाता है।
बुध
कुण्डली में बली हो तो  व्यापारी, लेखक, एकाउन्टेंट, लेखन एवं प्रकाशन, में  ।

शुक्र कुण्डली में बली हो तो  फिल्मी कलाकार,  गायक, सौंदर्य संबंधी ।
 डी 9 ,डी १० चार्ट मे भी देखना है।
 कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है। पंच महापुरूष योग:  जीवन में सफलता एवं उसके कार्य क्षेत्र के निर्धारण में महत्वपूर्ण समझे जाते हैं।पंचमहापुरूष योग कुंडली में मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र एवं शनि अपनी स्वराशि अथवा उच्च राशि का होकर केंद्र में स्थित होने पर महापुरुष योग बनता है।फलादेश कैसे करते  है ----
 - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं। 

नौकरी मिलने में बाधा के योग 
सूर्य और कॅरियर:  दसवां भाव सूर्य का  माना गया है। दसवें घर से व्यक्ति  प्रोफेशन, कॅरियर, कार्यस्थल, कार्य सफलता,और प्रगति देखी जाती है। दसवें भाव में कोई अनिष्टकारी घर बैठा हो, सूर्य नीच एवं किसी ग्रह से पीड़ित हो,  सूर्य को ग्रहण लगा हो तो कॅरियर में समस्याएं आती हैं।
नौकरी मिलने में बाधा आ रही हो , सफलता न मिल पा रही हो और पदोन्नति में समस्याएं आ रही हो उन्हें सूर्य साधना से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है।
 सूर्य के उपाय 
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
 ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
 गायत्री का जप कर ले
 घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे
पिता की सेवा
शराब और मांसाहार न खिलाये
शिवजी ,पीपल के उपाय।

 कॅरियर में सफलता के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें।
लाल वस्त्र, लाल चन्दन, तांबे का बर्तन, केसर, गुड़, गेहूं का दान रविवार को करना शुभ फल प्रदान करता है।
रविवार काव्रत रखें, इस दिन नमक का प्रयोग न करें।
घर से बहार निकलने से पहले थोड़ा सा गुड़ खाएं।
 माता पिता के पांव छुकर आशीर्वाद लें।

 नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिष को  दिखाइए ।

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