Sunday, November 2, 2014

ज्योतिष :कुंडली से जाने:वकील बनने के योग:सूत्र : कैरियर के रूप में कानून:Astrology : Becoming a lawyer:law as career

 ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
 कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं।  कुंडली से जाने:वकील बनने के योग :
  • बुध ही बुद्धि तथा वाणी का स्वामी है।
  • मंगल: जोश, उत्साह, उत्तेजना, पराक्रम, इच्छा, तर्क शक्ति,  शत्रु पर विजय, दृढ़ निश्चय,  कोर्ट कचहरी के विवादों को निपटाने की शक्ति।
  • शनि:  अत्यधिक परिश्रम, धैर्य, सही वक्त के इंतजार का कारक है।
    गुरू :हाइ कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के वकील या जज ।
  • राहु: चतुरता,
  • एडवोकेट के लिए पाठ्यक्रम श.बु.रा.मं..
  •  मंगल+बुध+गुरू - वकील।
  •  मंगल+गुरु +सूर्य - कानून विभाग, ।
  •  बुध+गुरू - वकील,।
  • गुरु व बुध ग्रह  :वकील बनने के लिए  मानसिक ऊर्जा, तीव्र बुद्धि, शीघ्र  निर्णय लेने की क्षमता, वाक्पटुता के कारक गुरु व बुध ग्रह  को देखा  जाता है।गुरु ग्रह को न्याय का कारक  है। करता  गुरु ग्रह से प्रभाव से जातक न्यायाधीषादि जैसे उच्च पदों को प्राप्त करता है। 
  •  शनि को मजिस्ट्रेट या दण्डाधिकारी माना जाता है 
  •  गुरु, बुध व शनि :ग्रह  और भाव बली होना चाहिए 
  •  शुक्र : धनी एवं सफल वकील ।
  •  राहु ग्रह : झूठे बयान ,कूटनीतिपूर्ण व्यवहार,का कारक होता है।
  • मंगल ग्रह :साहसी होना चाहिए।
  •   छठे भाव : कोर्ट-कचहरी, कानून व मुकद्दमे ।
  •   नवम् भाव : न्याय का विचार। 
  • द्वितीय भाव : वाक्पटुता,
  •  पंचम भाव से बुद्धि। 
  • दषम भाव से व्यवसाय । ग्रह :बुध, गुरु , मंगल ,शनि, राहु। भाव  : दूसरा, छठा, दशम,  पंचम  , एकादश,
  •   द्वितीय, पंचम, षष्ठ, नवम भाव एकादश और इनके स्वामी व कारक का सम्बन्ध   दषम भाव से  होना चाहिए।
  • डी  9 ,डी १० चार्ट मे भी देखना चाहिए ।
  1. गुरु:ज्ञान के कारक , गुरु धन तथा परामर्श
  2. मंगल :साहस व प्रतियोगिता के कारक  
  3. दूसरा भाव  :अर्थ व धन।
  4. छठा भाव  :प्रतियोगिता ,कानून।
  5. दशम भाव  :कर्म स्थान,  
  6. चतुर्थ ,पंचम भाव :शिक्षा :सलाह। 
 शनि का प्रभाव भी पंचम भाव/पंचमेश पर अच्छा समझा जाता है.
गुरु :पंचम ,चतुर्थ, , सप्तम, दशम ,द्वितीय भाव में हो।
 पंचमेश, बुध, गुरु व राहु भी बली होना चाहिए।
 बुध और राहु का परस्पर संबंध  हो ,पंचम और पंचमेश से संबंध । 
लग्नेश :पंचम भाव ,पंचमेश भी पंचम, या लग्न से संबंध बनाता हो।
पंचमेश बलवान : संबंध गुरु, बुध, राहु तथा लग्नेश से  हो।  
ग्रह :दूसरे, पंचम तथा एकादश भावों से संबध।
  फलादेश कैसे करते  है :
 - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।

 कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।
 सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति : उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता

 केंद्र में गुरु स्थित होने पर 
  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
   बाधा  के योग :
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भी  बाधा आती है .
 

कुण्डली मे D-१०   (चार्ट ) का  भी आंकलन    करना  चाहिये । 
 लग्न कुडली में जो भाव, भावेश व भाव कारक अच्छी स्थिति में हों, उस भाव के जीवन में अच्छे फल मिलेंगे और जो भाव, भावेश व भाव कारक अशुभ स्थिति में हों, उसके फल नहीं मिलेंगे।
बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे। 
दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।
कुछ सरल उपाय:
- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।   
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए।    हो सके तो   सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे । 
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें। 

-हनुमान चालीसा का पाठ करें।  -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं। 
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।
- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:
सूर्य के उपाय 
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय। 

नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिष को  दिखाइए ।
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