Thursday, November 20, 2014

ज्योतिष :कुंडली से जाने : तलाक के कारण और योग : सूत्र :रिश्तों को तोड़ते :पृथकताजनक ग्रह :Cause of Divorce: Divorce in astrology


 ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
 कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं।
ज्योतिष के अनुसार तलाक के कारण और योग :
ज्योतिष मै  तलाक के सूत्र formula :
सातवाँ   भाव :विवाह से सम्बन्ध रखता है। 
शुभ और अशुभ  ग्रह :
शुभ  ग्रह :चन्द्र, बुध, शुक्र और बृहस्पति  शुभ  ग्रह होते  हैं | |
अशुभ  ग्रह :सूर्य, मंगल, शनि, राहू  अशुभ ग्रह होते  हैं |
 शुभ और अशुभ  ग्रह : शुभ ग्रह सातवें भाव को शुभता  देते  हैं और अशुभ ग्रह सातवें भाव के लिए बाधक का काम करते हैं |
सातवें भाव पर पृथकताजनक ग्रहों का प्रभाव :
सूर्य, बुध और राहू पृथकताजनक ग्रह हैं |

बारहवें भाव की  राशि का स्वामी ग्रह भी पृथकतावादी ग्रह होता है।
 दो या दो से अधिक पृथकताजनक ग्रह अगर साथ मै  हों तो जहा  पर बैठेंगे उससे सम्बन्धित चीजों से आपको अलग कर देते है |  सातवें भाव में बैठेकर   जातक को अपने जीवन साथी से अलग करने  की कोशिश करते है  | 
 सप्तम भाव, सप्तमेश एवं कारक ग्रहों का पापी ग्रहों से युति या दृष्टि  दाम्पत्य जीवन में कटुता करता है। सूर्य, शनि, मंगल एवं राहु (पापी ग्रह) दाम्पत्य जीवन में अलगाव लाते हैं।  पापी ग्रहों को पृथकता कारक ग्रह होते  है। 
सप्तम भाव इन पापी ग्रहों से पीड़ित अथवा पाप प्रभाव में हो, तो वैवाहिक जीवन कष्टदायक एवं दुखमय होता है। 
बृहस्पति :बृहस्पति पति सुख का कारक होकर यदि सप्तम भाव में स्थित हो, जातका के पति सुख में कमी रहेगी। 
 सप्तम भाव के दोनों ओर पापकर्तरी योग (पापी ग्रह) होने पर एक दूसरे के प्रति क्रूर व्यवहार के कारण तलाक की स्थिति बनती है।
 तलाक होने का समय:
ग्रहों के फल देने का एक निश्चित समय : जन्मकुंडली में विमशोत्तरी महादशा के नाम से एक कालम होता है जिसमे यह सब समय विवरण दिया रहता है |
दशा अन्तर्दशा या गोचर :अशुभ ग्रहों का सातवें भाव में होना ही तलाक  की वजह बनते  है।   ग्रह जो सातवें घर को नुक्सान पहुंचा रहा है उसकी दशा अन्तर्दशा या गोचर में आपकी राशि से भ्रमण कर रहा हो |
उपाय -
इष्ट देव,  की आराधना करे।
सप्तम स्थान में स्थित क्रूर ग्रह के उपाय करे ।
मंगल   ग्रह  का दान करें। 
 गुरुवार का व्रत करें।
 माता पार्वती का पूजन करें।
सोमवार का व्रत करें।
प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। 

पीपल की परिक्रमा करें।

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