Tuesday, November 4, 2014

ज्योतिष: कुंडली से जाने: सेना में पेशा:रोज़गार :करियर ( सूत्र -फॉर्मूला ) : Astrology and Careers in Army:

 ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं। कुंडली में इन भावों एवं भाव स्वामियों का, बलवान हो कर,  कारक भावों एवं भावेशों तथा ग्रहों से संबंध सेना के द्वारा सफलता, ख्याति, उपलब्धि दिलाता है और सफल सैनिक अधिकारी बनाता है
कुंडली में इन भावों एवं भाव स्वामियों का, बलवान हो कर,  कारक भावों एवं भावेशों तथा ग्रहों से संबंध के द्वारा सफलता, ख्याति, उपलब्धि ,लाभ दिलाता है।
सेना विभाग में सफलता के लिए विचारणीय  सूत्र( फॉर्मूला )
ग्रह :मंगल, शनि, सूर्य, बुध ,गुरु  ,राहु, केतु ।
मंगल : वीरता,,शक्ति, पराक्रम, साहस ,शौर्य, बाहु बल.।
मंगल :मेष, सिंह, वृश्चिक या मकर राशि बली होता  है।
मंगल: प्रथम, तृतीय, षष्ठ या दशम् भाव में, मेष, सिंह, वृश्चिक या मकर राशि में बैठकर संबंध बनाए तो सेना विभाग में  सफलता मिलती है ।
राशियों : अग्नि तत्व राशियां मेष, सिंह और धनु । दशमेश का अग्नि तत्व राशियां और सूर्य, मंगल से संबंध हो तो यह सेना में सफल करियर देता है।
मंगल : ऊर्जावान, सक्रिय, कर्मशील, निर्भीक, खतरा उठाने की क्षमता , गर्मजोशी वाला ।
मंगल : ताकत ,ऊर्जा, शक्ति, पराक्रम, वीरता एवं आक्रामकता।
मंगल का तृतीय भाव  संबंध :सुदृढ़ शरीर वाला ,साहसी होता है। 
बुध :बौद्धिक क्षमता । 
गुरु : ज्ञान व प्रशासनिक योग्यता  । 
सूर्य मान-सम्मान।
राहु : जीत के प्रति सकारात्मक रवैये ।
राहु: राहु शीघ्र तथा सच्चा फल , सफलता ।
युति :मंगल+चंद्रमा : चंचलता, चपलता । 
गुरु और मंगल का योग:अधिकारी।
मंगल +शनि युति: आक्रामकता, गुस्सा, एकाग्रता और संयम । 
चंद्रमा +गुरु की युति: कुशलता, निरीक्षणता और सूक्ष्मता।
स्वगृही, उच्चस्थ, केंद्र एवं त्रिकोण स्थित ग्रहः बलवान होते है। 
सूर्य-शनि-मंगल ग्रहः :पौरुषदाता।
भाव : लग्न, तृतीय, छठे व दशम.
लग्न लग्नेश :  शरीर , स्वस्थ शरीर , स्वस्थ दिमाग,।
लग्न से शारीरिक शक्ति।
दशम भाव:
मंगल व शनि का दशम् भाव/दशमेश से संबंध हो।
दशमस्थ सूर्य : उच्च सरकारी पदों ,शीघ्रता से उन्नति ,प्रोमोशन ।
दशमेश का अग्नि तत्व राशियां और सूर्य, मंगल से संबंध
पंचम भाव एवं पंचमेश :  प्रतिभा एवं दक्षता ।
पंचम भाव, पंचमेश : अन्य संबंधित भावों एवं ग्रहों से संबंध।
तृतीय भाव :बल और पराक्रम , शारीरिक क्षमताओं ,लड़ने-भिड़ने की शक्ति।
छठे भाव : विरोधी पक्ष, प्रतियोगिता, संघर्ष ,प्रतिद्वंद्वियों ,सकारात्मक परिणाम।शत्रु पर टूट पड़ने की क्षमता ,।
तृतीय भाव :पराक्रम , दाहिना हाथ ।
एकादश भाव : उपलब्धियों एवं लाभ ,बायां हाथ ,आय ।
तृतीय भाव तृतीयेश  : बाहुबली ।
दशम भाव: कर्म एवं ख्याति ,कार्य क्षमता, स्थित ग्रहःशनि, मंगल, सूर्य एवं राहु।
नवम भाव: सफलता ,भाग्य , सफलता एवं यश ।
दशम भाव: करियर, लग्न :जातक का शरीर, चंद्रमा :मन ,सूर्य :आत्मा का विचार होता है।लग्न राशि  : मेष, वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक एवं मकर  सफल होते हैं।  मंगल, या शनि उच्च का, या स्वगृही हो, तो रूचक, शश, पंच महापुरुष योग। 
 डी 9 नवांश ,डी 10  कुंडली भी देखे। 
फलादेश कैसे करते  है :
- जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।

कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति : उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता।
केंद्र में गुरु स्थित होने पर   उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।

बाधा  के योग :
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में तो  भी  बाधा आती है . 

कुण्डली मे D-१०   (चार्ट ) का  भी आंकलन    करना  चाहिये । 
 लग्न कुडली में जो भाव, भावेश व भाव कारक अच्छी स्थिति में हों, उस भाव के जीवन में अच्छे फल मिलेंगे और जो भाव, भावेश व भाव कारक अशुभ स्थिति में हों, उसके फल नहीं मिलेंगे।
बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे। 
दान ,मंत्रो का जाप,रत्न ,आदि के द्यारा।
कुछ सरल उपाय:
- तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।   
- हनुमान जी के दर्शन करें।
-पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए।    हो सके तो   सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें।
-गाय को आटा और गुड़ खिला देवे । 
-इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
- हनुमान जी तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें। 

-हनुमान चालीसा का पाठ करें।  -
-सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं। 
- गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें।
- शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:
सूर्य के उपाय 
-आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
- ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
- गायत्री का जप कर ले
- घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
-घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे.
-पिता की सेवा।
-शराब और मांसाहार न खिलाये
-शिवजी ,पीपल के उपाय। 

नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिषी को  दिखाइए ।
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