Wednesday, November 5, 2014

ज्योतिष :कुंडली से जाने : किसे नौकरी करना चाहिए ? नौकरी प्राप्ति का समय :किसे नौकरी करने से सफलता ,प्रसिद्धि प्राप्त होती है:Astrology :Who should do the job? when to get job:


नौकरी, प्रसिद्धि एवं संपन्नताइन सभी ज्योतिषीय सूत्र  का एवं योगों को जानकर  नौकरी मैं प्रसिद्धि एवं संपन्नता को   प्राप्त कर सकता  है। 
ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं।

नौकरी  :
द्वितीय, दशम व एकादश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी करता  है  और  सफलता प्राप्त करता  है
दूसरा भाव:धन, परिवार, महत्वाकांक्षा,  धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि.
छठा भाव :छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है।
छठे भाव का कारक भाव शनि है।

छठे भाव का बलवान होना तथा अधिक ग्रहों की स्थिति नौकरी की संभावना दर्शाती है,  
दशम भाव:

पेशे, प्रसिद्धि,  अधिकार, सम्मान, सफलता,  कर्म, सफलता , पदोन्नति,  नौकरी, 

दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी  करता है।
दशम भाव बली हो तो नौकरी करना चाहिए
पंचम व पंचमेश का दशम भाव से संबंध हो तो शिक्षा जो प्राप्त हुई है वह नौकरी में काम आती है। 
लग्नेश, लाभेश, छठे भाव का  सवामी ,गुरु, चन्द्रमा का बली होना या केन्द्र त्रिकोण में स्थित होना नौकरी में सफलता दिलाता है। 

नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
द्वादश भाव का स्वामी यदि 1, 2, 4, , 5, 9, 10वें भाव में स्थित हो तो नौकरी का योग  बनाता  है।
दशमेश या दशम भाव में स्थित ग्रह दशमांश कुंडली में चर राशि में स्थित हो तो जातक नौकरी करता है और  सफलता प्राप्त करता  है। 
शनि कुण्डली में बली होकर बुध को दृष्ट कर रहा है तो व्यक्ति नौकरी करता है.
किसी भी कुंडली में मंगल, सूर्य, बुध, वृहस्पति, शनि, दशम्‌ भाव व दशमेश इन सबकी स्थिति जितनी अच्छी होगी, उसी के अनुसार जातक को उच्च अधिकार प्राप्त होगा।


डी 9 ,डी १० चार्ट मे भी देखना है।
 कुंडली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय  नियम: प्रथम, दूसरा भाव, छठे भाव,दशम भाव एवं एकादश भाव का संबंध  या इसके स्वामी से होगा तो  नौकरी के योग बनते  है ।

लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में 
नवमेश की दशा या अंतर्दशा में 
षष्ठेश की दशा या, अंतर्दशा में
प्रथम,दूसरा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में 

दशमेश की दशा या अंतर्दशा में
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में  
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से ।
द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है।


राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :
जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है। 
 गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में ।गोचर : शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र, या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है,
गोचर  : नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु का या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से संबंध होता है।सरकारी नौकरी:यह जान लें कि दशम भाव बली हो तो नौकरी  . 
 नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है।
सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति
सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर  सरकारी
नौकरी करता है
 केंद्र में गुरु स्थित होने पर
सरकारी नौकरी मे  उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
नौकरी  के अन्य योग :
शनि कुण्डली में बली हो  तो व्यक्ति नौकरी करता है.
मंगल
कुण्डली में बली हो तो पुलिस, खुफिया विभाग अथवा सेना में उच्च पद होने की संभावना होती है।
गुरु
कुण्डली में बली हो तो  जातक को अच्छा वकील, जज, धार्मिक प्रवक्ता , ख्याति प्राप्त ज्योतिर्विद बनाता है।
बुध
कुण्डली में बली हो तो  व्यापारी, लेखक, एकाउन्टेंट, लेखन एवं प्रकाशन, में  ।

शुक्र कुण्डली में बली हो तो  फिल्मी कलाकार,  गायक, सौंदर्य संबंधी ।
 डी 9 ,डी १० चार्ट मे भी देखना है।
 कामयाबी योग :
कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है। पंच महापुरूष योग:  जीवन में सफलता एवं उसके कार्य क्षेत्र के निर्धारण में महत्वपूर्ण समझे जाते हैं।पंचमहापुरूष योग कुंडली में मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र एवं शनि अपनी स्वराशि अथवा उच्च राशि का होकर केंद्र में स्थित होने पर महापुरुष योग बनता है।फलादेश कैसे करते  है ----
 - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं। 

नौकरी मिलने में बाधा के योग 
सूर्य और कॅरियर:  दसवां भाव सूर्य का  माना गया है। दसवें घर से व्यक्ति  प्रोफेशन, कॅरियर, कार्यस्थल, कार्य सफलता,और प्रगति देखी जाती है। दसवें भाव में कोई अनिष्टकारी घर बैठा हो, सूर्य नीच एवं किसी ग्रह से पीड़ित हो,  सूर्य को ग्रहण लगा हो तो कॅरियर में समस्याएं आती हैं।
नौकरी मिलने में बाधा आ रही हो , सफलता न मिल पा रही हो और पदोन्नति में समस्याएं आ रही हो उन्हें सूर्य साधना से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है।
 सूर्य के उपाय 
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने
 ॐ घृणी सूर्याय नमः  का कम से कम 108 बार जप कर ले
 गायत्री का जप कर ले
 घर की पूर्व दिशा से रौशनी  आयेगी तो अच्छा रहेगा ।
घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे
पिता की सेवा
शराब और मांसाहार न खिलाये
शिवजी ,पीपल के उपाय।

 कॅरियर में सफलता के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें।
लाल वस्त्र, लाल चन्दन, तांबे का बर्तन, केसर, गुड़, गेहूं का दान रविवार को करना शुभ फल प्रदान करता है।
रविवार काव्रत रखें, इस दिन नमक का प्रयोग न करें।
घर से बहार निकलने से पहले थोड़ा सा गुड़ खाएं।
 माता पिता के पांव छुकर आशीर्वाद लें।

 नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिष को  दिखाइए ।

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1 comment:

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