Friday, November 22, 2019

 विषकन्या योग :कुंडली में अगर विषकन्या योग बन रहा हो तो ऐसी कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए जब तक कि उसका परिहार नहीं हो जाता है| विषकन्या योग बनता है अगर आपकी कुंडली में अश्लेषा नक्षत्र हो सप्तमी तिथि हो मंगलवार का दिन हो या शनिवार का दिन और द्वादशी तिथि हो और कृतिका नक्षत्र हो या रविवार का दिन हो द्वितीय तिथि हो शतभिषा नक्षत्र हो| ऐसे योग में उत्पन्न कन्या विष कन्या योग से पीड़ित होती है इसका परिहार यह है कि कुंडली के अंदर सप्तम भाव में शुभ ग्रह हो या स्वराशि के हो तो उसका परिहार हो जाता है जैसे कि आप ऊपर कुंडली देख रहे हैं इसमें सप्तम भाव में शुभ ग्रह चंद्र और बृहस्पति बैठे हैं या सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में हो तो भी परिहार हो जाता है तो यहां बृहस्पति स्वराशि का होकर सप्तम भाव में बैठा है तो ऐसी स्थिति में परिहार हो जाता है तभी शादी करना चाहिए |आपने कुंडली को किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य को दिखाइए कि उसका परिहार हो रहा है या नहीं अगर नहीं हो रहा है तो यह शादी आपके लिए अच्छी नहीं रहेगी धन्यवाद|

1 comment:

Unknown said...

Sir, विषकन्या योग तो शनि एवं चंद्रमा की युति से बनता है