Sunday, August 10, 2014

कुंडली मिलान और भकूट दोष : कारण :परिहार :Horoscope matching :Bkut Dosh : Parihar: Astrology Simplified video:

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 By Housi Lal Chourey : कुंडली मिलान और भकूट दोष : कारण :परिहार :Horoscope matching :Bkut Dosh : Parihar:
   कम्पयूटर का कार्य है सिर्फ गणित(Calculations) करना. जन्मकुंडली देखना,  का कार्य ज्योतिष के ज्ञाता का है. कम्पयूटर मानव कार्यों का एक सर्वोतम सहायक जरूर है, मानव नहीं.....इसलिए कम्पयूटर का उपयोग करें तो सिर्फ जन्मकुंडली निर्माण हेतु....न कि कम्पयूटर द्वारा दर्शाई गई गुण मिलान संख्या को आधार मानकर कोई अंतिम निर्णय लिया जाए....
कुंडली  मिलान और भकूट दोष:


 भकूट दोष:  वैवाहिक जीवन की ,जीवनशैली, सामाजिकता, सुख-समृद्धि, प्रेम-व्यवहार, वंशवृद्धि आदि को प्रभावित करता है।
  भकूट दोष का प्रभाव
 भकूट का तात्पर्य वर एवं वधू की राशियों के अन्तर से है।

द्विद्वार्दश भकूट में विवाह करने  सेे निर्धनता होता है।
 नव-पंचम भकूट में विवाह करने सेे संतान के कारण कष्ट होता है। 
षडाष्टक भकूट दोष के कारण विविध प्रकार के कष्टों के साथ शारीरिक कष्ट की संभावना होती है। 
 परिहार मिलने पर विवाह का निर्णय लेना:
भकूट दोष के परिहार उपलब्ध हो तो दोष समाप्त हो जाता है और वैवाहिक जीवन सुखद व्यतीत होता है।
 भकूट का तात्पर्य वर एवं वधू की राशियों के अन्तर से है।
  इन स्थितियों में भकूट दोष नहीं लगता है:-----
1. यदि वर-वधू दोनों के राशीश आपस में मित्र हों।
2. यदि दोनों के राशीश एक हों।
3. यदि दोनों के नवमांशेश आपस में मित्र हों।
4. यदि दोनों के नवमांशेश एक हो। 

 परिहार (काट) यदि वर-वधू की कुंडली में उपलब्ध हो तो दोष का निवारण हो जाता है।  

• मेलापक में राशि अगर प्रथम-सप्तम हो तो शादी के पश्चात पति पत्नी दोनों का जीवन सुखमय होता है और उन्हे उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।
• वर कन्या का परस्पर तृतीय-एकादश भकूट हों तो उनकी आर्थिक अच्छी रहती है एवं परिवार में समृद्धि रहती है,
• जब वर कन्या का परस्पर चतुर्थ-दशम भकूट हो तो शादी के बाद पति पत्नी के बीच आपसी लगाव एवं प्रेम बना रहता है। 


 भकूट दोष, कारण और निराकरण
Bkut defect
किसी भी सफल विवाह के लिए उसका शुभ होना बेहद जरूरी होता है। विवाह के वक्त यदि कुंडली में भकूट दोष हो तो भावी दम्पति का गुण मेलापक मान्य नहीं होता है, इसका मुख्य कारण यह है कि 36 गुणों में से भकूट के लिए 7 गुण निर्धारित हैं। भकूट दोष दाम्पत्य जीवन की जीवनश्ौली, सामाजिकता, सुख-समृद्धि, प्रेम-व्यवहार, वंशवृद्धि आदि को प्रभावित करता है। परन्तु इसका शास्त्र सम्मत परिहार (काट) यदि वर वधू की कुंडली में उपलब्ध हो तो दोष का निवारण हो जाता है।
भकूट दोष का प्रभाव
भकूट दोष का निर्णय बारीकी से किया जाना चाहिए। शास्त्रों में भकूट दोष निवारण के अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं। परिहार मिलने पर विवाह का निर्णय लेना शास्त्र सम्मत है। द्विर्द्वादश भकूट में विवाह करने का फल निर्धनता होता है। नव-पंचम भकूट में विवाह करने सेे संतान के कारण कष्ट होता है। षडाष्टक भकूट दोष के कारण विविध प्रकार के कष्टों के साथ शारीरिक कष्ट की संभावना होती है। भकूट दोष के शास्त्र सम्मत परिहार उपलब्ध हो तो दोष समाप्त हो जाता है और वैवाहिक जीवन सुखद व्यतीत होता है।
भकूट के आधार पर विवाह की शुभाशुभता
शुद्ध भकूट और नाड़ी दोष रहित 18 से अधिक गुण हों तो विवाह शुभ मान्य होता है।
अशुद्ध भकूट (द्विर्द्वादश, नवपंचम, षड़ाष्टक) होने पर भी यदि मित्र भकूट की श्रेणी में हो तो 20 से अधिक गुण होने पर विवाह श्रेष्ठ होता है।
शत्रु षड़ाष्टक (6-8) भकूट दोष होने पर विवाह नहीं करें। दाम्पत्य जीवन में अनिष्ट की संभावना रहेगी।
मित्र षड़ाष्टक भकूट दोष में भी पति-पत्नी में कलह होती रहती है। अत: षड़ाष्टक भकूट दोष में विवाह करने से बचना चाहिए।

नाड़ी दोष के साथ यदि षड़ाष्टक भकूट दोष (चाहे मित्र षड़ाष्टक हो अथवा दोनो की राशियों का स्वामी एक ही ग्रह हो) भी हो तो, विवाह कदापि नहीं करें। शुद्ध भकूट से गण दोष का परिहार स्वत: हो जाता है।
भकूट दोष परिहार
वर-कन्या की राशि से आपस में गणना करने पर द्विर्द्वादश (2-12) या एक दूसरे की राशि आगे पीछे हो, नव-पंचम (5-9) या षडाष्टक (6-8) राशि गणना में हो तो, भकूट दोष होता है। इन तीनों स्थितियों में यदि दोनों के राशि स्वामियों में शत्रुता हो तो भकूट दोष के कारण 7 में से शून्य अंक मिलेगा। लेकिन दोनों की राशियों का स्वामी एक ही ग्रह हो अथवा उनके राशि स्वामियों में मित्रता होने पर विवाह की अनुमति दी जा सकती है। इनके शास्त्र सम्मत परिहार ये हैं-
भकूट दोष होने पर भी यदि वर-कन्या के राशि स्वामी एक ही हों या राशि स्वामियों में मित्रता हो तो गणदोष एवं दुष्ट भकूट दोष नगण्य हो जाता है।
वर-कन्या के राशि स्वामी एक ही ग्रह हों, राशि स्वामियों में परस्पर मित्रता हो, परस्पर तारा शुद्धि हो, राशि सबलता हो, नवमांश पतियों में मित्रता हो तो यह पांच प्रकार के परिहार भी दुष्ट भकूट दोष निवारक हैं। परन्तु इनमें परस्पर नाड़ी शुद्धि होना चाहिए।


नवपंचम व द्विर्द्वादश दुष्ट भकूट होने पर वर की राशि से गणना करने पर कन्या की राशि 5वीं हो तो अशुभ किन्तु 9वीं शुभ तथा वर से कन्या की राशि गणना में 2 हो तो अशुभ परन्तु 12वीं शुभ होती है। ऎसे में भकूट दोष होने पर भी विवाह श्रेष्ठ होता है।
मेष राशि
इस राशि के जातकों को वृष, मीन राशि से द्विर्द्वादश भकूट, सिंह, धनु से नव-पंचम और कन्या, वृश्चिक राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
वृष राशि
इस राशि के जातकों को मिथुन, मेष राशि से द्विर्द्वादश, कन्या, मकर से नव-पंचम और तुला, धनु राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
मिथुन राशि
इस राशि को कर्क, वृष राशि से द्विर्द्वादश, तुला, कुंभ से नव-पंचम और वृश्चिक, मकर राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
कर्क राशि
इस राशि के जातकों को सिंह, मिथुन राशि से द्विर्द्वादश, वृश्चिक, मीन से नव-पंचम और धनु, कुंभ राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
सिंह राशि
इस राशि को कन्या, कर्क राशि से द्विर्द्वादश, धनु, मेष से नव-पंचम और मकर, मीन राशि के जातकों के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
कन्या राशि
इस राशि के जातकों को तुला, çंसंह राशि से द्विर्द्वादश, मकर, वृष से नव-पंचम और कुंभ, मेष राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
तुला राशि
इस राशि के जातकों को वृश्चिक, कन्या राशि से द्विर्द्वादश, कुंभ, मिथुन से नव-पंचम और मीन, वृष राशि वाले जातकों के साथ षडाष्टक भकूट दोष मान्य होगा।
वृश्चिक राशि
इस राशि के जातकों को धनु, तुला राशि से द्विर्द्वादश, मीन, कर्क से नव-पंचम और मेष व मिथुन राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
धनु राशि
इस राशि के जातकों को मकर, वृश्चिक राशि से द्विर्द्वादश, मेष, सिंह से नव-पंचम और वृष व कर्क राशि वालों के साथ षडाष्टक भकूट दोष मान्य रहेगा।
मकर राशि
इस राशि के जातकों को कुंभ, धनु राशि से द्विर्द्वादश, वृष, कन्या से नव-पंचम और मिथुन व सिंह राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
कुम्भ राशि
ऎसे जातकों को मीन, मकर राशि से द्विर्द्वादश, मिथुन, तुला से नव-पंचम और कर्क व कन्या राशि के जातक के साथ षडाष्टक भकूट दोष मान्य रहेगा।
मीन राशि
इन्हें मेष, कुंभ राशि से द्विर्द्वादश, कर्क, वृश्चिक से नव-पंचम और सिंह व तुला राशिं के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
उक्त वर्णित राशिगत भकूट दोष के परिहार स्वरूप यदि वर-कन्या दोनों का राशि स्वामी एक हो या दोनों के राशि स्वामियों में मैत्री भाव हो तो भकूट दोष समाप्त हो जाएगा और उनका मिलान शास्त्र सम्मत शुभ होता है।
डॉ. महेश शर्मा


8 comments:

deni said...

Hello Sir, My name is rohini sharma, i want to match Online Kundali Matching For Marriage with love aakash sharma. i dnt know what is his born timing. can i match our kundli by our name.

diya said...

Kundali matching by an Astrologer in Delhi. suggest me the best astrologer in Delhi

Unknown said...

Lagn sdhashtak dosh Ko to AAP likhe hi nahi, rashi ka kya hai,

Unknown said...

Meri kundli milaan mein shadashtak shatru dosh
hai iska koi upaye btaye please

Online Kundli Matching said...

how can i check my kundli matching with my bf by name. i want to do love marriage, please tell me kundli matching proces by name. my name is anjali and my boy friend name is varun. give me full details of kundli matching by name.

Unknown said...

Kundali Milan me astkut Milan he per nadi dosh he( madya)to kya age badh sakte he

STAR said...

दोनों का लग्न, राशि या नक्षत्र या नक्षत्र पद में से कोई एक भी अलग है तो नाड़ी दोष नहीं लगेगा।

Unknown said...

Khumb or meen rashi bhakoot dhosh nivaran