Sunday, September 7, 2014

जन्म कुंडली से जाने संतान सुख :संतान सुख मे परेशानी :संतान प्राप्ति का समय:: संतान प्राप्ति के सरल उपाय: progeny:Progeny Prospects by kundali:Astrology Simplified Videos:

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 By Astrologer Housi Lal Chourey :जन्म कुंडली से जाने  संतान सुख  :Progeny Prospects by kundali
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जन्म कुंडली से जाने  संतान सुख
  पांचवें भाव से संतान सुख के  बारे मे   विचार करते  है |
 पांचवां भाव  ,भाव का  राशि व उसका स्वामी , कारक बृहस्पति और सप्तमांश कुंडली, इन सभी का विचार संतान सुख के लिए  किया जाता है |

संतान सुख प्राप्ति के  ग्रहो का प्रभाव :
पंचम भाव में बलवान शुभ ग्रह गुरु ,शुक्र ,बुध , चन्द्र ,स्व  उच्च राशि मे  हो तथा लग्न से केन्द्र ,त्रिकोण ,शुभ दृष्ट हो , संतान कारक गुरु  , तो ही संतान सुख की मिलता  है | शनि मंगल पाप ग्रह भी यदि पंचम भाव में स्व ,मित्र ,उच्च राशि के होने पर भी संतान सुख की मिलता  है. पंचम भाव ,पंचमेश तथा कारक गुरु तीनों जन्मकुंडली में बलवान  होने से संतान सुख   होता है। |


संतान सुख मे परेशानी के योग :
ऊपर बताये गये  ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है | |
 पुत्र या पुत्री :
सूर्य ,मंगल, गुरु पुरुष ग्रह हैं |
शुक्र ,चन्द्र स्त्री ग्रह हैं |
 बुध और शनि नपुंसक ग्रह हैं |
 संतान योग कारक पुरुष ग्रह होने पर पुत्र होता  है।
 संतान योग कारक स्त्री ग्रह होने पर पुत्री होती  है |
शनि और बुध  योग कारक हो  पुत्र व पुत्री होती  है|
ऊपर बताये गये  ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों तो ,  पुत्र या पुत्रियों की हानि होगी |

 संतान प्राप्ति का समय: लग्नेश, सप्तमेश, पंचमेश, गुरु एवं जो पांचवे भाव को देखने वाले ग्रहों में से किसी एक की महादशा या अंतर्दशा हो तो संतान की प्राप्ति के योग होते  है।
पंचमेश मे  जब गोचरवश गुरु आता है, तब भी संतान प्राप्ति होती है। लग्नेश जब गोचरवश- पंचमेश से योग करे, अपनी उच्च राशि में आए, अपनी स्वराशि में आए तब पुत्र प्राप्ति हो सकती है। यदि लग्नेश गोचरवश पंचम में आए या पंचमेश जहां स्थित है उस राशि में आए तब भी संतान  प्राप्ति के योग होते  है। पंचमेश केंद्र अथवा त्रिकोण में गया हो तो पुत्र सुख प्राप्त होता है।पंचम भाव में बुध, गुरु, शुक्र हो तो बलवान ग्रह (पुरुष ग्रह) से देखे जाते हो और पंचमेश भी बलवान हो तो बहुत से पुत्र होते हैं।
पुत्र या पुत्री संतान होगी, इसमें लग्न का क्या महत्व है? ज्योतिष के अनुसार लग्न, लग्नेश या चंद्र राशिश पर पुरुष ग्रहों का प्रभाव यदि अधिक होगा, तब जातक या जातिका में पुरुषत्व गुण अधिक होंगे। यदि पंचम भाव विषम राशि, पंचमेश विषम राशि में, भाव भावेश की पुरुष ग्रहों से युति या दृष्टि प्रभाव हो तब भोजन का पाचन व समस्त अंगों को पुरुषत्व प्रभाव पंहुचेगा।जितने पुरुष ग्रह पंचम को देखते हों उतने पुत्र और जितने स्त्री ग्रह को देखते हों उतनी पुत्रियां होती हैं।
मकर राशि में केवल गुरु हो और वह पंचम में हो तो कई पुत्र होते हैं।

पुत्रियां कितनी होंगी? एकादश में बुध, चंद्र या शुक्र हो, तो पुत्रियां अधिक होती हैं। चंद्र और बुध पंचम में हो, तो अनेक पुत्रियां होती हैं।पंचम में सम राशि , उसमें बुध या शनि स्थित हो तथा उस पर शुक्र या चंद्र की दृष्टि हो तो अनेक पुत्रियां होती हैं। पंचम भाव में चंद्रमा की राशि अथवा शुक्र की सम राशि हो उस पर चंद्रमा या शुक्र की दृष्टि हो तो अनेक पुत्रियां होती हैं। पंचमेश द्वितीय या अष्टम में हो तो अनेक पुत्रियां होती हैं। चंद्र, बुध या शुक्र पंचम में हो तो पुत्रियां अधिक होती हैं। चंद्रमा, बुध या शुक्र पंचमेश होकर द्वितीय या अष्टम में हो तो पुत्रियों की संख्या अधिक होती है। मकर राशिस्थ शनि पंचम में हो तो पुत्रियां अधिक होती हैं। बुध पंचम या सप्तम भाव में सम राशि में हो तो अनेक पुत्रियां होती हैं। पंचम में सम राशि हो तथा एकादश में बुध, चंद्रमा व शुक्र हो तो पुत्रियां अधिक होती हैं।कर्क राशि में गुरु पंचम में हो तो कन्याएं अधिक होती हैं। चंद्र या शुक्र मकर राशि में पंचम में हो, तो पुत्रियां अधिक होती हैं।
फलादेश कैसे करते  है ----

  - जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।

संतान का जन्म लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश, वृहस्पति या जिन ग्रहों से पंचम भाव दृष्ट है अथवा जिनकी स्थिति पंचम भाव में हो, तो इनकी दशा अंतर्दशा में संतान का सुख प्राप्त होता है। चंद्र से पंचम स्थान के स्वामी या नवम स्थान के स्वामी की दशा/ अंतर्दशा में। नवमेश की दशा/अंतर्दशा में।यदि गुरु गोचरवश पंचम, एकादश, नवम या लग्न में भ्रमण करे तो भी संतान लाभ की संभावना होती है। जब गोचरवश लग्नेश, पंचमेश तथा सप्तमेश एक ही राशि में भ्रमण करे तो संतान लाभ होता है।
  बाधा  के योग :
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भी  बाधा आती है .

  संतान बाधा दूर करने के सरल  उपाय:
-   ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं गुरुवे नमः का जाप करें |
-  गुरु योग कारक होने पर ,तर्जनी में गुरु रत्न पुखराज स्वर्ण में धारण  करें |
-संतान गोपाल स्तोत्र
ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः |जाप ,हवन. तर्पण ,ब्राह्मणों को भोजन कराएं |
- किसी गरीब दम्पति की संतान उत्पन्न होने पर बच्चे के उपयोग में आने वाले वस्तुए का दान करना चाहिए।

  -  गायें की सेवा करे द |
- गरीब बालक, बालिकाओं को, पढ़ाएं, लिखाएं, वस्त्र, कापी, पुस्तक, दान देना  है।
- आम, बील, आंवले, नीम, पीपल के पांच पौधे लगाना चाईऐ ।
-गोपाल सहस्रनाम- हरिवंश पुराण   का पाठ करें।-
- पंचम-सप्तम स्थान पर स्थित क्रूर ग्रह का उपाय करें।
- दूध   अंजीर, सफेद प्याज का मुरब्बा  सेवन करें।
-शकर और एलाची  का मिल्क  सेवन करें।
-  भगवान शिव का प्रतिदिन  पूजन करें।
- किसी बड़े का अनादर ना करे।
-  धार्मिक आचरण रखें।
- गरीबों और असहाय खाना खिलाएं, दान करें  की मदद करें।
- किसी अनाथालय में  दान दें।
-कुता  को प्यार करे।
- संतान दोष अथवा पितृ दोष का  उपाय करे  .
- घर का वास्तुदोष का  उपाय करे। 
- हरिवंश पुराण का पाठ या संतान गोपाल मंत्र का जाप कराये .
-बाधक   ग्रहो के उपाय करे।
-  सोने  का उपयोग न करे।
- ताबै का उपयोग  करे।
-ताबै के बर्तन का पानी पीये।
-मास मदिरा का सेवन ना करे। 

-अनुलोम विलोन ,कपालभाति करे। 
-खासी सरदी को ठीक करे।
 

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